यात्रा वृत्तांत: चंडीगढ़ स्टेशन पर हमारा इंतजार कर रहा ‘फरिश्ता’ मिल ही गया

चंडीगढ़ से कसौली
  • अर्जुन सिंह चंदेल

हरियाणा, पंजाब की राजधानी और केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की सरजमीं पर हमने पहली बार कदम रखा। कंपकपाने वाली सर्दी लगी वातानुकूलित डिब्बे के बाहर। ‘घुमक्कड़ी दिल से’ ग्रुप की मीट चंडीगढ़ से लगभग 60 किलोमीटर दूर सोलन जिले में स्थित कसौली नामक हिल स्टेशन पर थी जहाँ हम सभी को पहुँचना था।

चंडीगढ़ से कसौली पहुँचने के लिये हमारे लिये 13 सीटर टेम्पो टे्रवल्स की व्यवस्था कर दी गयी थी, वाहन चालक के चलायमान फोन का नंबर हमारे पास ही था जो कि स्टेशन के बाहर हमारा इंतजार ही कर रहा था।

विमल जी बंसल
विमल जी बंसल

हाँ मैंने पिछले वृत्तांत में एक फरिश्ते का जिक्र किया था चलिये उससे भी आपको रूबरू करवा ही देता हूँ। स्थूलकाय काया के धनी 40 वर्षीय विमल जी बंसल ‘यारों के यार’ जिंदादिल इंसान, सेवाभावी जिनकी तारीफ किये बिना मेरी कलम रह नहीं सकती है। ‘

घुमक्कड़ी दिल से’ ग्रुप का एक अदना सा सदस्य सोश्यल मीडिया के 80 हजार से अधिक सदस्यों में से एक साधारण विमल जी कद में भले ही छोटे हो पर मेरी कसौली यात्रा के आइकॉन में से वह एक हैं।

जिंदगी में हम सभी लोगों से पहली बार मुलाकात करने वाला वह शख्स चंडीगढ़ की ठंड में सुबह 5 बजे से वह हमारे आने का इंतजार कर रहा था, जोमेटो के लिये डिलेवरी बाय का कार्य करने वाला अदभुत इंसान का यह प्रेम उसके व्यक्तित्व को महान बनाने के लिये काफी था। कुछ वर्षों पूर्व प्रसव दौरान पत्नी की मौत के बाद वह ‘घुमक्कड़ी दिल से’ ग्रुप के सदस्यों को ही अपना परिवार मानता है।

कसौली मीट में देश भर से आने वाले साथियों को चंडीगढ़ में विमल नाम के देवदूत ने ही अगवानी की और अंतिम यात्री को भी कसौली रवाना करने के बाद वह स्टेशन से हटे, शायद इतनी मेहनत तो सगे नाते-रिश्तेदार भी नहीं करते हैं वह भी मोबाइल पर लोकेशन भेजकर अपना कत्र्तव्य पूरा कर लेते हैं।

खैर, हमारी तो पहली मुलाकात थी उसे फरिश्ते से पर बाद में पता चला कि जो लोग एक दिन पहले चंडीगढ़ पहुँच गये थे उनके रूकने की व्यवस्था भी विमल ने की थी। मानवता के पुजारी तुम्हें शत-शत प्रणाम….।

4-5 और साथियों को लेकर हम रवाना हो गये कसौली के लिये जो कि हमारे लिये बिल्कुल नया स्थान था। हिमाचल यात्रा को लेकर लोगों और इस नाशमिटे मोबाइल ने बहुत डरा दिया था। मित्रवंद बोल रहे थे बहुत गलत मौसम में जा रहे हो, ठंड में जम जाओगे सारे सूटकेस में ठूंस-ठूंस कर गर्म कपड़े भर लिये थे। लक्स कोझी इनर, आउटर, गर्म मौजे, दस्ताने, टोपा-टोपी, हाईनेक, जॉकेट और भी ना जाने क्या-क्या।

निकल पड़ी टेम्पो ट्रेवलर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से। बहुत ही सुंदर सुनियोजित तरीके से बसाये गये शहर को देखकर मंत्रमुग्ध हो गये एक विशेष बात वहाँ ट्राफिक सिग्नल सुबह पाँच बजे से ही कार्य करने लग जाते हैं। हमारे शहर की तरह सुबह 8 बजे का इंतजार नहीं करते हैं।

चंडीगढ़ शहर से निकलने के थोड़ी देर बार ही पहाड़ चालू हो गये पर इस बार पहाड़ नीरस लग रहे थे हरियाली नदारद सी थी। मौसम उल्टा था जहाँ मैदानी इलाकों में सर्दी थी वहीं पहाड़ों पर चटक धूप खिलना चालू हो गया था। चंडीगढ़-शिमला हाइवे पर चलने के बाद ड्राइवर ने गाड़ी को बॉये छोटे से रास्ते पर मोड़ लिया कसौली जाने वाले मार्ग का संकेतक लगा हुआ था।
(शेष कल)

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