भाजपा के पूर्व मंत्री पारस जैन पर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज

7 अन्य को भी बनाया आरोपी, मामला सिलिंग पर बनी बाउंड्रीवॉल का

उज्जैन, अग्निपथ। भाजपा से उत्तर विधानसभा के विधायक रहे पूर्व मंत्री पारस जैन पर विधायक निधि की राशि का निजी हित में उपयोग कर शासन को 153.72 लाख रुपए की क्षति पहुंचाने के मामले में मंगलवार को लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज कर लिया है। पूर्व विधायक के साथ लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को भी षडयंत्र और धोखाधड़ी का आरोपी बनाया है।

लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि देवास के रहने वाले दिनेश चौहान ने भोपाल लोकायुक्त में पूर्व विधायक पारस जैन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि 2 साल पहले पांड्याखेड़ी गांव में स्थित सिलिंग की 15 बीघा जमीन को पारस जैन ने पद का दुरूपयोग करते हुए अपनी पत्नी अंगूरबाला जैन के नाम से कॉटन मर्चेंट शैक्षणिक एवं पारमार्थिक न्यास के नाम से 80 लाख रुपये में खरीद लिया था। उन्होने करीब 2 बीघा नाले से लगी शासकीय भूमि पर भी अवैध कब्जा कर लिया था। उसके बाद विधायक निधि से लगभग 81 लाख रुपये में नाले की ओर से अपनी पूरी भूमि के चारों और बाउंड्री वाल बना ली। विधायक निधि का उपयोग निजी हित में किया गया है।

भोपाल लोकायुक्त मुख्यालय से जांच मिलने पर सत्यापन शुरू किया गया। जिसमें सामने आया कि पारस जैन द्वारा विधायक निधि वर्ष 2020-2021 से 89.18 लाख रुपये स्वीकृत की गई थी, पुल की सुरक्षा दीवार की कुल लंबाई 230 मीटर है, जिसमें से 0-75 मीटर सुरक्षा दीवार का निर्माण हो चुका है, आगे शेष 80 मीटर दीवार के निर्माण कार्य के लिये वर्ष 2021-2022 से 99.90 लाख रुपये स्वीकृत कर निर्माण एजेन्सी लोक निर्माण विभाग उज्जैन को बनाये जाने के लिये अनुशंसा कलेक्टर को की गई थी।

प्रशासकीय स्वीकृति उपरांत जिला योजना अधिकारी, संभागीय योजना एवं सांख्यिकी उज्जैन संभाग द्वारा कलेक्टर के माध्यम से 31 मार्च 2022 को कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग को निर्माण एजेन्सी बनाया था। तत्कालीन विधायक जैन द्वारा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना वर्ष 2023-24 में प्राप्त आवंटन में से शहर के वार्ड क्रमांक 4 पिंगलेश्वर मार्ग पर स्थित पिल्याखाल नाले पर पुल की सुरक्षा स्थाई पक्की दीवार चैनेज 174.20 से 204.70 मीटर कुल लम्बाई 30.50 मीटर का निर्माण कार्य लागत राशि 44.76 लाख रूपये स्वीकृत कर निर्माण एजेन्सी लोक निर्माण विभाग को बनाये जाने के लिये अनुशंसा कलेक्टर को की गई। अनुशंसा अनुसार कार्यालय कलेक्टर (योजना एवं सांख्यिकी) सम्राट विक्रमादित्य प्रशासनिक संकुल भवन उज्जैन के आदेश द्वारा प्रशासकीय आदेश जारी कर लोक निर्माण विभाग को निर्माण एजेन्सी बनाया गया था, वर्तमान में निर्माण प्रारंभ नहीं हुआ है।

लोकायुक्त निरीक्षक श्रीवास्तव के अनुसार जांच के दौरान लोक निर्माण विभाग से प्राप्त दस्तावेजों में ऐसा कोई पत्राचार नहीं है, जिससे कि यह परिलक्षित हो कि लोक निर्माण विभाग ने हल्का पटवारी या तहसीलदार से नाले की भूमि संबंधित दस्तावेजों की मांग की हो, लोक निर्माण विभाग द्वारा ऑनलाईन खसरे की नकल को निकालकर दस्तावेजों में सम्मिलित किया गया है, नाले की भूमि के संबंध में सत्यापन लोक निर्माण विभाग द्वारा नहीं किया गया है। पूर्व विधायक द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर शासकीय विधायक निधि की राशि को अपने निजी हित में उपयोग कर लगभग 153.72 लाख रुपये का कार्य निजी हित में किया जाकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई है। 44.76 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति योजना और सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी की जा चुकी हैं, जिसका कार्य अभी किया जाना शेष है।

पूर्व विधायक ने छल और षडयंत्र किया

इस प्रकार 153.72 लाख रुपये की आर्थिक क्षति शासन को पहुंचाना जाना प्रथम दृष्टया प्रमाणित पाया गया है। पूर्व विधायक ने पारिवारिक भूमि के हितों को साधने के लिये छल और षडयंत्र किया है। जिसमें निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग, संभागीय योजना और सांख्यिकी कार्यालय के अधिकारीगणों की भूमिका भी है। जांच उपरांत मामले में पूर्व विधायक पारस जैन, लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन अधीक्षण यंत्री राजेन्द्र कुमार जैन, जीपी पटेल तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, सीमा सागर अनुविभागीय अधिकारी, संदीप बेनीवाल अनुविभागीय अधिकारी, शरद त्रिपाठी उपयंत्री, गौतम अहिरवार कार्यपालन यंत्री, डॉ राजश्री सांकले जिला सांख्यिकी अधिकारी द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर मिलीभगत की है। सभी के खिलाफ धारा 7, 13 (1) ए, 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ 420, 120 बी भादवि का अपराध पंजीबद्ध किया गया है।

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