रोकस के खाते में भी रुपये डाले, आरएमओ आफिस में दिनभर रसीद काटने और कट्टा भरने का काम चलता रहा
उज्जैन, अग्निपथ। जिला अस्पताल के आरएमओ आफिस में मेडिकल बोर्ड को मिलने वाली राशि के गबन के मामले को लेकर सामने आया है। मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रमाण पत्र दिए जाने के एवज में ली जाने वाली राशि की हेराफेरी करने के मामले में एक स्टीवर्ट सहित बाबू के उपर आरोप लगे थे। जिसको लेकर सिविल सर्जन ने रविवार को दोनों को 8 फरवरी को शोकाज नोटिस जारी किया गया था। मामले में अपने उपर तलवार लटकता देखकर स्टीवर्ट ने सोमवार की शाम को गबन राशि का 80 प्रतिशत पैसा जमा करवा दिया है।
जिला अस्पताल में मेडिकल बोर्ड के नाम पर ली गई राशि में आरएमओ आफिस के स्टीवर्ट जयसिंह और बाबू राकेश मालवीय पर गबन के आरोप लगे हैं। जिला अस्पताल के कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने करीब चार वर्ष से मेडिकल बोर्ड के नाम पर लोगों से ली जाने डॉक्टरों की शेयर मनी, शासन मद का शुल्क और रोगी कल्याण समिति के मद में जाने वाली करीब 2 लाख रुपए से अधिक की राशि को अब तक जमा नहीं करवाया है। मामला संज्ञान में आते ही जिला अस्पताल में हडक़ंप मचा हुआ है। मामला कलेक्टर नीरज सिंह के पास भी पहुंचा है।
गेहूं के साथ घुन भी पिस गया
जानकारी के अनुसार बाबू राकेश मालवीय विगत अक्टूबर-2018 से अपना स्टीवर्ट का चार्ज और लेखाजोखा जयसिंह को सौंपकर इंदौर के एमवाय में दो साल की ट्रेनिंग करने के लिये चला गया था। ट्रेनिंग के दो वर्ष पूर्ण होने के बाद कोरोना ने पैर पसारे लिहाजा उनको इंदौर में ही मरीजों की देखभाल के लिये स्वास्थ्य विभाग ने रोक लिया।
उनको वहां पर जनवरी-2022 तक रखा गया। इसके बाद रिलीव कर दिया गया। इसके बाद सिविल सर्जन ने उनको फिर से आरएमओ कार्यालय में बाबू के पद पर बैठा दिया। राशि में हेराफेरी का मामला इसी अवधि के दौरान हुआ है।
डॉक्टर्स, शासन का मद, रोकस का पैसा लौटाया
जानकारी के अनुसार सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा ने शोकाज नोटिस में अगस्त-2019 से शीघ्र उनके सामने विवरण प्रस्तुत करने को कहा था। लिहाजा सोमवार को दिनभर आरएमओ आफिस में रसीद भरने का काम चलता रहा। स्टीवर्ट जयसिंह ने सोमवार को डॉक्टर्स का शेयर शुल्क की 80 प्रतिशत राशि लौटा दी है। शासन के मद का शुल्क भी डाल दिया गया है। वहीं रोगी कल्याण समिति के खाते में जाने वाली सबसे अधिक राशि को भी इसके खाते में स्थानांतरित कर दिया है।
पूरा चार्ज स्टीवर्ट के पास फिर दूसरे को नोटिस..?
इस मामले को गबन का नाम दिया जा रहा है। जोकि काफी हद तक ठीक भी है। क्योंकि मामला 2 लाख से अधिक की राशि का है। यदि आरएमओ आफिस के बाबुओं की नीयत साफ होती तो उसकी समय यह राशि तीनों मदों में डाल दी जाती, लेकिन ऐसा किया नहीं गया। बताया जाता है कि पूरा चार्ज स्टीवर्ट के पास होता है। मेडिकल बोर्ड की राशि भी उनके ही पास होती है।
ऐसे में राशि का तुरंत भुगतान नहीं करने कहीं ना कहीं संदेह की परिधि में आता है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन द्वारा बाबू राकेश मालवीय को भी शोकाज नोटिस जारी किया गया है, लेकिन इस अवधि में वह ट्रेनिंग पर गये हुए थे।