SBI ने बदला नियम, अब ATM से ट्रांजेक्शन फेल हुआ तो भरनी होगी पेनल्टी; जानिए क्या कहते हैं RBI के नियम

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने ATM से पैसे निकालने के नियमों में बदलाव किया है। अब यदि कस्टमर के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं है और वह ATM से पैसे निकाल रहा है तो उसे नाकाम ATM ट्रांजेक्शन (failed ATM transaction) के लिए पेनल्टी चार्ज देना होगा। ICICI, HDFC, Yes Bank, कोटक महिंद्रा, Axis बैंक में पहले से ही ये नियम लागू है। आइए जानते हैं कितना देना होगा चार्ज और क्या हैं RBI के फेल ट्रांजेक्शन से जुड़े नियम। इन्हें 10 सवालों और उनके जवाबों से समझते हैं।

SBI आपसे क्या फीस लेगा?

SBI वेबसाइट के मुताबिक अकाउंट में अपर्याप्त बैलेंस होने पर यदि कस्टमर ATM से ट्रांजेक्शन करता है तो उसे पेनल्टी चार्ज के रूप में 20 रुपए और साथ में GST देना होगा। बैंक नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस के लिए भी चार्ज वसूलेगा।
अभी SBI में मुफ्त ATM ट्रांजेक्शन के नियम क्या हैं?

SBI फिलहाल सेविंग अकाउंट होल्डर को एक महीने में ATM से 8 मुफ्त लेनदेन की सुविधा देता है। SBI के ATM से 5 और दूसरे बैंकों के ATM से 3 ट्रांजेक्शन आप कर सकते हैं।
गैर-मेट्रो शहरों में 10 मुफ्त ATM ट्रांजेक्शन की सुविधा मिलती है, इसमें SBI के ATM से 5 ट्रांजेक्शन और अन्य दूसरे बैंकों के ATM से भी 5 ट्रांजेक्शन कर सकते हैं।

10,000 रुपए ATM से निकालने के लिए क्या ओटीपी डालना होगा?

SBI के ATM से 10 हजार या इससे ज्‍यादा रुपए निकालने के लिए ओटीपी की जरूरत पड़ती है। अब बैंक के सभी ATM पर यह सेवा 24 घंटे उपलब्‍ध है। SBI ने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए एक जनवरी 2020 को ओटीपी सेवा शुरू की थी।
इसके बाद से जब भी कोई कस्टमर ATM से 10 हजार या इससे ज्यादा रकम निकालता है तो ATM स्‍क्रीन पर ओटीपी डालने के लिए कहा जाता है। यह ओटीपी कस्टमर के रजिस्‍टर्ड मोबाइल नंबर पर आता है। ओटीपी आधारित कैश विड्रॉल की सुविधा अभी सिर्फ SBI के ATM पर उपलब्‍ध है। इसका फायदा आप सुबह 8 बजे से रात 8 बजे के बीच उठा सकते हैं।

क्या कहता है ट्रांजेक्शन फेल होने का नियम?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2019 में ऐसे फेल्ड ट्रांजेक्शन (जिनके लिए कस्टमर जिम्मेदार नहीं है) को लेकर बैंकों के लिए नियम बनाए थे। इसके मुताबिक जब आप किसी ATM से कोई ट्रांजेक्शन करते हैं और वह फेल हो जाता है तो कस्टमर पर पेनल्टी चार्ज लगता है, लेकिन यह चार्ज उन्हीं मामलों में लगता है, जिनमें कस्टमर की गलती की वजह से ATM ट्रांजेक्शन फेल होता है। कुछ ATM ट्रांजेक्शन के फेल होने में कस्टमर की गलती नहीं होती है। ऐसे मामलों में कस्टमर पर चार्ज नहीं लगता, उल्टा बैंकों को मुआवजा देना पड़ता है।

यदि कस्टमर को मुआवजा न मिले तो क्या वह शिकायत कर सकता है?

RBI की गाइडलाइन के मुताबिक कुछ स्थितियों में ट्रांजेक्शन फेल होने के लिए कस्टमर जिम्मेदार नहीं होगा। जैसे कम्युनिकेशन लिंक्स में गड़बड़ी, एटीएम में कैश न होना, टाइम आउट सेशंस आदि।
RBI ने 2019 में बैंकों को सर्कुलर जारी कर कहा था कि कस्टमर की शिकायत या क्लेम के बिना ही उन्हें मुआवजा देना होगा। अगर किसी कस्टमर को मुआवजा नहीं मिलता है तो वह रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल से शिकायत कर सकता है।
बैंकों को किन स्थितियों में कस्टमर को मुआवजा देना पड़ता है?

RBI ने बैंकों के लिए फेल्ड ट्रांजेक्शन पर कस्टमर की शिकायतों के निपटारे और रकम के ऑटो रिवर्सल के लिए समयावधि निश्चित की हुई है। इसे टर्न अराउंड टाइम (TAT) नाम दिया गया है।

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