घरों के बाहर सडक़ों की धुलाई- अब गंभीर डेम में 523 एमसीएफटी पानी शेष

कम पानी बचा है और इस पानी से पूरे दो माह निकालना है जो भीषण गर्मी के महीने होते हैं

उज्जैन, अग्निपथ। गंभीर डेम में रविवार तक केवल 523 एमसीएफटी पानी बचा है और इस पानी से पूरे दो माह निकालना है जो भीषण गर्मी के महीने होते हैं। यदि बारिश में खेंच हुई तो शहर में बड़ा जल संकट की स्थिति बन सकती है। आए दिन शहर की पाइपलाइन फूट जाती है तो कभी अंबोदिया के ट्रांसफार्मर में खराबी आ जाती है।

शहर के लोग भी जल व्यय के प्रति गंभीर नहीं हैं। जलप्रदाय के दिन लगभग हर घर के बाहर सडक़ों को धोया जा रहा है। इससे जल का अपव्यय हो रहा है। नगरनिगम को ऐसे अपव्यय पर रोक लगाना होगी अन्यथा आने वाले दिनों में गंभीर जलसंकट से रूबरू होना पड़ सकता है।

रविवार को गंभीर में 523 एमसीएफटी पानी तो शेष बचा है। डेम का लेवल 47823 मीटर है। इससे आराम से दो से ढाई महीने निकाले जा सकते हैं लेकिन अंबोदिया डेम की पेयजल पाइप लाइन बार-बार फूट जाती है और इसे सुधारने में एक से दो दिन लगते हैं। ऐसे में शहर में अभी से जल संकट की स्थिति बन जाती है। शहर के कई हिस्सों में जनता को पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में जल आपूर्ति के लिए टैंकर बुलवाना पड़ रहे हैं।

प्रतिदिन 125 टैंकर शहर की जलापूर्ति में अलग से लग रहे हैं। वर्तमान में 523 एमसीएफटी पानी जो बचा है। पूरे 60 दिन इसी पानी से पेयजल की व्यवस्था चलानी है। प्रतिदिन 6 एमसीएफटी पानी खर्च हो रहा है। एक दिन छोडक़र एक क्षेत्र में जल प्रदाय किया जा रहा है। ऐसे में 180 एमसीएफटी पानी प्रतिमाह और दो माह में 360 एमसीएफटी लगेगा।

इसके अलावा में महीने से लेकर 20 से 22 जून तक भीषण गर्मी पड़ेगी और इस दौरान डेम से पानी का वाष्पन भी बहुत तेजी से होगा और यदि बारिश में खेंच रही तो शहर में जल संकट की स्थिति बन सकती है। गंभीर के अलावा वैकल्पिक डेम बनाने की भी योजना बनना चाहिए। नहीं तो हर वर्ष शहर में ऐसी ही स्थिति रहेगी।

कहीं सडक़ों की धुलाई तो कहीं नलों में टोटी नहीं

देश के कई बड़े शहरों में जलसंकट की स्थिति शुरू हो गई है। पास के शहर इंदौर की ही बात करें तो यहां पर भी जलसंकट की आहट सुनाई देने लगी है। ऐसे में शहर के दो क्षेत्रों में अलग अलग दिन प्रदाय किये जाने वाला जल का उपव्यय रोकना होगा। शहर के लोग भी जलसंकट के प्रति गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं। अपने घरों के बाहर पाइप से प्रतिदिन सडक़ और वाहन धोते दिखाई दे रहे हैं। शहर के कई सार्वजनिक नलों पर में से तो टोटियां ही गायब हैं।

टंकियों के भर जाने के बाद इनमें से जल बहता रहता है, लेकिन किसी को भी इस बात की चिंता नहीं है कि इसको किसी तरह से बंद किया जा सके। नगरनिगम और पीएचई विभाग के अधिकारियों को जलप्रदाय के दिन वार्डों में जाकर जल का अपव्यय करने वालों के विरुद्ध जुर्माने की कार्रवाई करना होगा, अन्यथा पानी की खेंच हुई तो जलसंकट से शहर वासियों को जूझना पड़ सकता है।

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