अर्जुन के बाण : प्रजातंत्र के मंदिर में आपराधिक मामलों के आरोपी सांसदों की संख्या में वृद्धि चिंता का विषय

अर्जुन सिंह चंदेल

दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातंत्र होने के कारण इठिलाना, इतराना और गर्व करना 140 करोड़ देशवासियों के लिये लाजिमी है। लोकतंत्र और प्रजातंत्र का मंदिर कहा जाने वाला हमारा संसद भवन हमें सदैव भारत की आजादी और उसके बाद नवनिर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत माता के सपूतों की कुर्बानी का भी स्मरण कराता है जिन्होंने राजनीति को सेवा का माध्यम बनाया।

जनता जनार्दन द्वारा चुने जाने के बाद संसद में पहुँचकर हम सबकी आवाज को बुलंद किया और भारत को महान बनाया, चाहे वह पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री जवाहरलाल नेहरू, स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री, स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी, स्वर्गीय मोरारजी देसाई, स्वर्गीय राजीव गाँधी, स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी हो या वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी हो सभी ने अपने सामथ्र्यनुसार देश की प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी के जतन किये हैं।

यह तो हो गया सकारात्मक पहलू अब लोकतंत्र के मंदिर यानि संसद के एक नकारात्मक पहलू का जानना भी हम सबके लिये जरूरी है। शायद हम में से अधिकांश देशवासियों को यह नहीं पता होगा कि इस बार की लोकसभा (2024) में हमने जो 543 नुमाइंदे (सांसद) भेजे हैं उनमें से 261 पर यानि 46 प्रतिशत पर आपराधिक मामले घोषित हैं।

ऐसा नहीं है कि दागी सांसद पहली बार प्रजातंत्र के मंदिर में पहुँचे हो वह तो हर बार रहते हैं परंतु चिंता इस बात की है कि ऐसे दागी सांसदों की संख्या में हर बार ईजाफा हो रहा है। ऐसा नहीं है कि मैं कोई कपोल कल्पित बात कर रहा हूँ। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म’ ने 543 जीते हुए उम्मीदवारों द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष जो शपथ-पथ प्रस्तुत किये हैं उनके विश्लेषण पश्चात यह आँकड़े प्रस्तुत किये हैं। और इस बात के पुख्ता सबूत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर मौजूद हैं।

चलिये अब बानगी देखते हैं कैसे-कैसे बीते 4 लोकसभा चुनावों में बढ़ती गई संख्या

  • सन् 2009 के 543 लोकसभा सांसदों में से 162 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। यानि कुल संख्या का 30 प्रतिशत।
  • वर्ष 2014 की लोकसभा में पहुँचे 542 में से 185 पर आपराधिक मामले दर्ज थे यानि 34 प्रतिशत पर।
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में विजयी 539 सांसदों में से 233 सांसदों यानि 43 प्रतिशत पर आपराधिक प्रकरण दर्ज थे।
  • इस बार सारे रिकार्ड ध्वस्त हो गये तथा 543 विजयी उम्मीदवारों में से 261 पर आपराधिक मामले हैं, यानि 46 प्रतिशत पर।

बीते 15 सालों में हुए 4 लोकसभा चुनाव में 2009 की तुलना में 2024 में आपराधिक मामले दर्ज सांसदों की संख्या में 55 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। और हाँ ऐसा नहीं है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में जीते हुए हमारे नेताओं पर छोटे-मोटे मामले दर्ज हो हमारे माननीय 170 सांसदों पर यानि 31 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

अब यह भी जान लीजिये कि गंभीर अपराध किसे कहते हैं। बलात्कार, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, माहिलाओं के ऊपर अत्याचार ये सभी गंभीर अपराधों की श्रेणी में आते हैं। वर्ष 2019 में 539 सांसदों में से 159 यानि 29 प्रतिशत पर, 2014 में 542 में से 112 यानि 21 प्रतिशत पर और 2009 में 543 में से 76 यानि 14 प्रतिशत सांसदों पर गंभीर किस्म के अपराध दर्ज थे।

और हाँ कद्रदानों, इस बार की हमारी लोकसभा में 4 ऐसे भी उम्मीदवार जीतकर सांसद बन गये हैं जिन पर हत्या अर्थात धारा 302 के अपराध का आरोप है। इसमें 1 सांसद उत्तरप्रदेश, 1 बंगाल, 1 महाराष्ट्र और 1 आंध्रप्रदेश से है। हत्या के प्रयास जैसे धारा 307 के 27 आरोपी इस बार हमारे मननीय सांसद हैं। धारा 376, बलात्कार जैसे अपराध के भी आरोप हमारे 2 सांसदों पर है। 1 महोदय तेलंगाना और 1 पश्चिम बंगाल से है। अपहरण में सिद्धहस्त होने का आरोप 4 माननीय सांसदों पर है जिसमें 1-1 बिहार, पंजाब, यूपी और तेलंगाना से है।

(प्रतिकात्मक चित्र)

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