धार जिले में 94 सहकारी समितियों का होगा डिजिटाइजेशन, 58 हो गईं ऑनलाइन

देशभर में हो रहे कम्प्यूटराइजेशन में मप्र के पायलेट प्रोजेक्ट में धार भी शामिल

धार, अग्निपथ। देशभर में सहकारी सोसायटियों के डिजिटाइजेशन का काम किया जाना है। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत मप्र के 10 जिलों में धार को भी शामिल किया गया है। फिलहाल जिले की 94 सहकारी सोसायटियों का डिजिटाइजेशन किया जाएगा।

आधुनिकता के दौर में अब भी सहाकारी सोसायटियां किसानों के खाते, वितरण और ऋण व्यवस्था को पुराने बहीखाता पद्धति से मेंटेन कर रही है। अब इन सोसायटियों को भी अपग्रेड करने की कवायद सरकार ने शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ने सहकारिता को आसान बनाने के लिए पैक्स कम्प्यूटराइजेशन योजना शुरू की है।

इस योजना के प्रथम चरण में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत सहकारी सोसायटियों को कम्प्यूटराइज्ड किया जाना है। मध्यप्रदेश में भी यह काम होना है, लेकिन पायलेट प्रोजेक्ट होने के कारण शुरुआत में कुछ ही जिले में इसमें चयनित हो पाए हैं। इनमें मप्र के 10 जिले शामिल है। जिनमें आदिवासी बाहुल्य धार जिला भी शामिल है। जिले की 94 सहकारी सोसायटियों को डिजिटल किया जाना है। इसके तहत अब तक 58 सोसाटियों में ऑनलाइन कामकाज पूर्णता की ओर है। शेष सोसायटियों में भी युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है, ताकि वे भी ऑनलाइन नेटवर्क की कतार में आकर खड़ी हो जाएं। इस व्यवस्था से सोसायटियों में कामकाज काफी आसान हो जाएगा। साथ ही पारदर्शिता भी आएगी।

हर सोसायटियों को ऑनलाइन कार्य शुरू करने के लिए दो लाख रुपए का बजट आवंटित किया है। इसमें जरूरी कम्प्यूटर, डेटा, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के साथ कनेक्टिविटी के इंतजाम होना है। प्रदेश में जिन 10 जिलों का चयन हुआ है इनमें विदिशा, सीहोर, भिंड, भोपाल, दमोद, खरगोन, देवास, इंदौर व खंडवा शामिल है।

ये होंगे फायदे

इन सोसायटियों का डिजिटइजेशन होने के बाद सबसे ज्यादा फायदा किसानों को होगा। जिले के एक लाख से अधिक किसान सीधे सोसायटी के खातेधारक है। सोसायटी ही इन्हें रबी और खरीफ सीजन में सीधे ऋण उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया करती है। इसके अलावा ऋण वसूली, प्रधानमंत्री फसल बीमा और खाद वितरण जैसे महत्वपूर्ण काम भी सोसायटी के माध्यम से संचालित होते हैं। कम्प्यूटराइज्ड व्यवस्था नहीं होने के कारण सारा कामकाज अभी मैन्यूअल होता है। जिसमें रोजाना का हिसाब मिलेगा।

आवक-जावक का खाता आसान होगा। पूरा डेटा बैंक की तर्ज पर ऑनलाइन होगा। खाद वितरण प्रणाली में सुधार होगा। ऋण वितरण की व्यवस्था भी सुधरेगी।

अभी ऑफलाइन होता है सारा काम

वर्तमान में सोसायटियों का पूरा काम ऑफलाइन यानी रजिस्टर पर रिकार्ड मेंटेन करते हुए होता है। इस व्यवस्था में कई बार रिकार्ड मेल नहीं खाता। सबसे ज्यादा दिक्कत खाद वितरण के वक्त होती है। सोसायटी में खाद खत्म हो जाता है, लेकिन सूचना भेजने में देरी होने पर विभाग की नजर में सोसायटी के पास खाद रिकार्ड में दिखता है। कामकाज ऑनलाइन होने से खाद का नियमित डाटा मेंटेन हो सकेगा। इससे खाद की नियमित आपूर्ति होती रहेगी।

58 संस्थाएं हुई ऑनलाइन

जिले की 58 संस्थाएं ऐसी हैं, जो इस ऑनलाइन नेटवर्क से जुड़ चुकी ऑपरेटरों की मदद से किया जा रहा भी जुलाई तक अपडेट करने का है। साथ ही शेष संस्थाओं को अपडेट करने का काम लगातार है। जिले की शेष 36 संस्थाओं को लक्ष्य रखा गया है। इसको लेकर महाप्रबंधक के के रायकवार निदेश कार्य कर रहे। वही इसमें किसी प्रकार की परेशानी आती है तो तुरंत ही जिला सहकारी बैक के कर्मचारी अंकित परमार समस्या को हर करते है वही पिछले दिनों पैक्स कम्प्यूटरीकरण का लेकर धार सोसायटी को दिल्ली में पुरस्कृत किया था।

इनका कहना है

सोसायटियों के डिजिटाइजेशन का काम जारी है। जिले की 94 संस्थाओं में काम चल रहा है। अब तक 58 संस्थाएं ऑनलाइन काम कर रही है, जहां रिकार्ड अपडेट हो चुका है। शेष में काम जारी है, जो जल्द पूरा हो जाएगा।क्योंकि यह पायलेट प्रोजेक्ट के तहत अपग्रेड की जानी है।
– केके रायकवार, सीईओ, सीसीबी धार

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