जिला प्रशासन ने रविवार को नरेश जीनिंग फैक्ट्री की जमीन अतिक्रमण से मुक्त करा दी। ४०० करोड़ से भी अधिक कीमती इस जमीन पर कब्जा लेने के लिए मुख्यमंत्री सहित कई प्रमुख हस्तियां प्रशासन के आला अधिकारियों को शुभकामनाएं दे रही है। अच्छे काम के लिए बधाई…..!
लेकिन दिलासा के दो शब्द के हकदार तो वे छोटे-मोटे व्यवसायी भी हैं जो इस प्रक्रिया में बर्बाद हो चुके हैं। प्रशासन ने इन लोगों को अपनी दुकानों से सामान हटाने का मौका भी नहीं दिया और जेसीबी के पंजे की मार से सबकुछ बर्बाद कर दिया। यह छोटे व्यापारी रविवार को दिनभर मलबे में से अपना बचा-खुचा सामान समेटते रहे।
अगर दुकाने तोड़ते वक्त नगर निगम इनकी मदद इतनी कर देता कि दुकान खाली कर सामान सडक़ों पर रख देता तो भी इन्हें कुछ राहत हो जाती। अमले ने सुबह ७ बजे जेसीबी दुकानों पर चलाना शुरू कर दी, तब तक व्यापारी अपनी दुकान पर पहुंचे भी नहीं थे। जैसे-तैसे पहुंचे भी तो सामान नहीं बचा पाए। यूं तो इस शहर में सहृदय अधिकारी हैं, प्रभावशाली मंत्री, सांसद और विधायक भी हैं, लेकिन इनकी सुनने के लिए उस भीड़ में कोई नहीं था। दूसरे दिन भी इनकी उंगली थामने कोई नहीं पहुंचा।