बचपन में हकला कर बोलने वाले बाइडेन होंगे दुनिया के शहंशाह

 

कौन होगा अमेरिका का राष्ट्रपति? इस सवाल के जवाब का इंतजार अमेरिका के साथ पूरी दुनिया कर रही है। अमेरिका के 16 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 10 करोड़ मतदाताओं ने तो मेल के माध्यम से ही किया है इस बार मतदान। यदि जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो (जिसकी प्रबल संभावना है) वर्तमान भारत-अमेरिका संबंधों में जो कड़वाहट है वह निश्चित तौर पर कम होगी क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले 78 वर्षीय जो बाइडेन की छवि एक उदारवादी नेता की है। बाइडेन के राष्ट्रपति बन जाने से भारत के साथ संबंधों में गर्माहट के साथ मिश्री घुल जाने की उम्मीद हर भारतवासी कर रहा है।
जो बाइडेन कैथोलिक विचारधारा को मानने वाले हैं। पूरी दुनिया को शायद विश्वास नहीं होगा कि बचपन में ठीक से बोल नहीं पाने वाले बाइडेन साथियों से बात करते समय हकलाते थे वह व्यक्ति आज दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष बनने जा रहा है। 78 वर्षीय जो बाइडेन के जीवन में भी वह क्षण आये थे जब उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त करने का विचार कर लिया था परंतु वह अपने बेटों और उन लोगों के लिये जिनका वह प्रतिनिधित्व करते थे जिंदा रहने का विचार किया। अमेरिका के पेंसिल्वेनिया के ब्लू कॉलर शहर के स्कैटन में 20 नवंबर 1942 को जन्मे बाइडेन के पिता जोसेफ बाइडेन उपयोग की हुई कारों को बेचने का व्यवसाय करते थे। माँ कैथरीन यूजेनिया ‘जीम’ थी। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में जो बाइडेन स्कूल की पढ़ाई के समय ट्यूशन का खर्च निकालने के लिये बगीचों की निदाई और घरों की खिड़कियों को धोने का भी काम कर चुके हैं। 1961 में आर्कमेरे में स्नातक में दाखिला लेकर इतिहास और राजनीति विज्ञान का अध्ययन किया। उसके पश्चात 1968 में कानून से भी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाइडेन ने 1966 में अपनी प्रेमिका हंटर से शादी रचा ली। जिससे दो पुत्र जोसेफ और हंटर बाइडेन और पुत्री नाओमी बाइडेन। कानून से स्नातक होने के बाद उन्होंने वकील का पेशा अपनी जिंदगी के लिये चुना। परंतु ईश्वर को तो उन्हें कहीं और ले जाना था 1972 में डेलावेयर डेमोक्रेटिक पार्टी ने 29 वर्षीय बाइडेन को संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेट के लिये उम्मीदवार घोषित कर दिया और बाइडेन जीतकर पाँचवें सबसे कम उम्र के अमेरिकी सीनेटर बन गये और इस तरह बाइडेन के राजनैतिक सफर की शुरुआत हुई। सन् 1972 जहाँ बिडने के लिये खुशियाँ लेकर आया और उनके सारे सपने हकीकत में बदलने लगे वहीं सन् 1972 जाते-जाते उनकी हँसती खेलती जिंदगी को टीस भी दे गया। क्रिसमस से एक सप्ताह पूर्व उनकी पत्नी और तीनों बच्चे क्रिसमस ट्री खरीदते समय एक भयानक कार दुर्घटना का शिकार हो गये जिसमें उनकी पत्नी और एक साल की बेटी नाओमी की दुर्घटनास्थल पर ही मौत हो गई और दोनों बेटे 3 साल का जोसेफ और 2 वर्षीय हंटर गंभीर गंभीर रूप से घायल हो गये। पत्नी और बेटी की मौत से आहत बाइडेन के मन में आत्महत्या का ख्याल आया कि जब जीवन में कुछ नहीं बचा है तभी उनके मन में ख्याल आया कि मेरे बाद इन घायल बच्चों का क्या होगा और जिन लोगों ने मुझे सीनेट के लिये चुना है उनके प्रति यह नाइंसाफी होगी। और उन्होंने आत्महत्या का विचार त्याग दिया। बाइडेन के जीवन में खुशियों के साथ परेशानियों ने भी उनका दामन थाम लिया था सन् 1977 में जो बाइडेन ने दूसरी शादी की और दूसरी पत्नी से सन् 1981 में पुत्री का जन्म हुआ जिसका नाम ऐशले रखा गया। सन् 1988 में बाइडेन के सिर में भयंकर दर्द हुआ तब पता चला कि उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया है। डॉक्टरों द्वारा उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई इस दौरान फेफड़ों में खून का थक्का जम जाने के कारण दुबारा से सर्जरी करनी पड़ी और बाइडेन को पूरी तरह स्वस्थ होने में 7 माह लग गये। जीवन के प्रति चाह ने बाइडेन को फिर से खड़ा कर दिया। ईश्वर ने उन्हें एक और आघात दिया सन् 2015 में जब 30 मई को उनके बेटे ब्यू (हंटर) की 46 वर्ष की आयु में मस्तिष्क कैंसर से मौत हो गई। काल के थपेड़ों ने एक से एक आघात बिडेन को दिये परंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जनसेवा के रास्ते से विमुख नहीं हुए। उनकी अथक मेहनत को देखते हुए 12 जनवरी 2017 को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘स्वतंत्रता के राष्ट्रपति’ पदक से सम्मानित करते हुए उन्हें सर्वश्रेष्ठ उपराष्ट्रपति और अमेरिकी इतिहास का शेर बताया। बाइडेन दो बार वर्ष 2008 और 2012 में अमेरिकी उपराष्ट्रपति पद की शोभा भी बढ़ा चुके हैं। अब आगामी 14 दिसंबर को 538 इलेक्टे्रर्स अमेरिकी सीनेट में मतदान करेंगे जिसमें 270 मत लाना जरूरी है। पूरी संभावना है बाइडेन इसमें कामयाब होंगे। अग्निपथ की ओर से बधाई।

 

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