जन्मदिन पर मुख्यमंत्री पद की सौगात पाने वाले तेजस्वी ने उतारा पितृ ऋण

बिहार के भावी मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आज 31 वर्ष पूर्ण कर 32वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। किसी भी व्यक्ति के जीवन में मुख्यमंत्री पद से बढक़र जन्मदिन का कोई उपहार हो ही नहीं सकता। कल आने वाले चुनाव परिणामों के पूर्व देश भर के चैनलों ने जो चुनावी सर्वे बताया है उसमें उन्हें बिहार के मतदाताओं का असीम प्यार और आशीर्वाद मिलता दिख रहा है।

बिहार के मतदाताओं ने इन चुनावों में जो अपनी विवेकशीलता का परिचय दिया है वह तारीफ करने योग्य है। बिहार ने अपने ऊपर लगे जातिवादी चुनाव के दाग को हमेशा-हमेशा के लिये धो दिया है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बिहार में हुए इन चुनावों में 42 प्रतिशत मतदाताओं ने विकास के मुद्दे पर मतदान किया है। 31 प्रतिशत मतदाताओं ने बेरोजगारी के मुद्दे पर मतदान किया है। शेष 27 प्रतिशत मतदाताओं ने महंगाई एवं अन्य मुद्दों पर वोट डाले हैं।

जातिवाद से कोसो दूर हुए इन चुनावों ने निश्चित तौर पर भारत में प्रजातंत्र की नई इबारत लिख दी है। बिहार के मतदाताओं ने महज 31 साल के नवजवान तेजस्वी में विश्वास व्यक्त किया है और भविष्य के विकसित बिहार का सपना संजोया है। 9 नवंबर 1989 को बिहार के पटना में पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू यादव और माता राबड़ी देवी के घर में नौवीं संतान के रूप में जन्मे। 9वीं तक शिक्षित तेजस्वी यादव ने 10वीं की परीक्षा को उत्तीर्ण करने में असफल होने पर पढ़ाई छोड़ दी और क्रिकेट को अपने कैरियर के रूप में चुना। बल्लेबाज के रूप में रणजी ट्राफी में खेला और 2008-2012 में आई.पी.एल. में दिल्ली की डेयर डेविल्स की टीम से भी क्रिकेट खेला।

अपने माता-पिता की राजनैतिक विरासत के सही उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव ने 2015 में अपनी माता राबड़ी देवी की परंपरागत सीट राघोपुर से राजनैतिक मैदान में उतरकर धुआंधार बल्लेबाजी करके चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सतीश कुमार को 22733 मतों से हराकर बिहार विधानसभा में धमाकेदार प्रवेश किया और बिहार में देश के सबसे कम उम्र के उपमुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया।

2015 से 2017 के बीच 20 माह बिहार के उपमुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अनेक विकास कार्यों की आधारशिला रखी। 2017 में नीतिश कुमार भाजपा से हाथ मिलाने के बाद सरकार में मुख्यमंत्री बने रहे तब तेजस्वी ने विधानसभा में देश के सबसे कम उम्र के नेता प्रतिपक्ष बनने का भी तमगा हासिल किया।

31 साल की आयु वाले तेजस्वी जब 13 साल के नाबालिग थे तभी राजनैतिक प्रतिरोध स्वरूप उनके विरुद्ध, पिता पूर्व मुख्यमंत्री लालू के साथ उन्हें भी निविदा घोटाले में आरोपी बना दिया गया था। बिहार में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में तेजस्वी यादव की जनसभाओं में उमड़ी जनमैदिनी ने लोकप्रियता के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिये थे। प्रधानमंत्री की सभाओं से ज्यादा भीड़ जुटने से राजनैतिक पंडितों ने भी अपने दाँतों तले ऊँगुलियां दबा ली थी और आने वाले चुनाव परिणामों की हवा भांप ली थी।

हिंदु धर्म की मान्यताओं अनुसार पृथ्वी पर जन्म लेने वाले मनुष्य पर तीन तरह के ऋण होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि तीन तरह के ऋण को चुकता कर देने से मनुष्य को बहुत से पाप और संकटों से छुटकारा मिल जाता है। यह तीन ऋण है (1) देव ऋण (2) ऋषि ऋण (3) पितृ ऋण इसमें पितृ ऋण ब्रह्मा का ऋण माना गया है। यह ऋण हमारे पूर्वजों, हमारे कुल धर्म, वंश से जुड़ा है इसे पृथ्वी ऋण भी कहते हैं, जिसे संतान द्वारा चुकाया जाता है। जिससे तेजस्वी यादव महज 31 वर्ष की उम्र में ही उऋण हो गये हैं।

मात्र 9वीं पास तेजस्वी सोश्यल मीडिया का भरपूर उपयोग करते हैं वह ट्विटर, वाट्सअप, फेसबुक पर सक्रिय है एक बार तो कुँआरे तेजस्वी के वाट्सअप नंबर पर 4400 आई.लव.यू. के साथ शादी के प्रस्ताव आ गये थे तब उनके प्रतिउत्तर में तेजस्वी ने कहा था कि मैं शादी स्वजातीय और माता-पिता की मर्जी से ही करूँगा। बिहार के जनमानस में तेजस्वी ने इन चुनावों के माध्यम से पिता पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को भी दरकिनार करने में सफलता प्राप्त की है।

तेजस्वी के तेज से भाजपा का ‘कमल’ मुरझाया है वहीं जदयू का‘तीर’ भी तेजहीन साबित हो गया है। बिहार चुनावों के परिणाम भाजपा की चूलें हिलाने के साथ ही गंभीर चेतावनी है और इसका असर बंगाल के चुनावों पर भी पड़े बिना नहीं रहेगा रही जदयू की बात तो नीतिश बाबू की राजनैतिक अंतिम बिदायी लगभग तय है। महागठबंधन के अकेला यौद्धा जिसने चुनाव में 219 चुनावी रैलियाँ की और एक ही दिन में 19 रैलियों का रिकार्ड बनाने वाले तेजस्वी यादव देश और बिहार के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं उन्हें दैनिक अग्रिपथ परिवार की ओर से 32वें जन्मदिवस पर हार्दिक बधाई।

Next Post

वोकल फॉर लोकल व्यापार मेले में दूसरे दिन ग्राहकी बढ़ी

Sun Nov 8 , 2020
नानाखेड़ा क्षेत्र के कॉसमॉस मॉल में छोटे व्यापारियों को बढ़ावा देने के लिए पहली कोशिश कामयाब उज्जैन। सोशल मीडिया द्वारा चलाए जा रहे उज्जैन वाले ग्रुप और कॉसमॉस मॉल द्वारा लॉकडाउन में जिन छोटे व्यापारी जो घर से व्यापार करते हैं जैसे केक निर्माण, बिस्किट व अन्य सामानों का निर्माण […]