‘शिव’ ने फिर जीता मतदाताओं का विश्वास

मध्यप्रदेश में हुए उपचुनावों के परिणामों की तस्वीर स्पष्ट नजर आ रही है। जबकि बिहार में टक्कर कांटे की है। मध्यप्रदेश के मामले में तो न्यूज चैनलों का अनुमान लगभग आये परिणामों से करीब निकला परंतु बिहार के चुनाव परिणामों ने सभी न्यूज चैनलों के पूर्वानुमानों को पलटकर रख दिया है।

बिहार के मतदाताओं ने पूरे देश को यह संदेश भी दिया है कि न्यूज चैनलों के पूर्वानुमानों पर आँख मींचकर विश्वास करना नादानी के सिवाय कुछ नहीं है। मध्यप्रदेश की 28 सीटों के लिये हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनकी टीम की मेहनत रंग लाई और मतदाताओं ने उन पर विश्वास कायम रखा।

भिंड-मुरैना के मतदाताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति अपनी नाराजगी का इजहार मतों के माध्यम से कर दिया है। सिंधिया के गृह क्षेत्र के मतदाताओं ने संदेश दिया है कि सिंधिया का काँग्रेस छोडक़र जाने का फैसला उचित नहीं था। कई सिंधिया समर्थक उम्मीदवार इन चुनावों में खेत रहे जिनमें मंत्री इमरती देवी, एंदल सिंह कंसाना, गिर्राज दंडोतिया शामिल है।

कुल मिलाकर ग्वालियर-चंबल संभाग में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन आशा के अनुरुप नहीं रहा। मालवा क्षेत्र ने जरूर भाजपा के गढ़ होने की धारणा को मजबूत किया है आगर एवं ब्यावरा सीट को छोडक़र भाजपा ने मंधाता, साँवेर, हाटपीपल्या, सुवासरा, बदनावर, नेपानगर में जीत का परचम फहरा दिया है। प्रदेश में हुए इन उपचुनावों का प्रदेश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

ग्वालियर-मुरैना-चंबल संभाग में पहली बार काँग्रेस पार्टी के टिकटों का वितरण महल से ना होकर काँग्रेस कार्यालय से हुआ और जिस क्षेत्र को सिंधिया जी की बपौती समझा जाता था उस क्षेत्र ने आजाद होकर प्रजातंत्र की नई इबारत लिख दी। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की इस अपेक्षित जीत का सेहरा पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ताओं को भी जाता है जिन्होंने अंतिम समय पर सारे मतभेद और अपने नफा-नुकसान को दरकिनार करके भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करवाया।

इन चुनाव परिणामों से ‘शिव का राज’ कायम रहेगा और आगामी तीन वर्षों तक उन्हें कोई हिला नहीं सकेगा। शिवराज जी के राजनैतिक प्रतिद्वंदी जो उनकी ही पार्टी के हैं उन्हें भी शिवराज को निर्विवाद नेता के रूप में मानना ही होगा। बात करें काँग्रेस की तो शायद काँग्रेस पार्टी के नेता के रूप में कमलनाथ की बिदायी लगभग तय मानी जा रही है। साथ ही कमलनाथ-दिग्विजय सिंह की पीढ़ी भी ढलती उम्र के कारण राजनैतिक अवसान पर है। काँग्रेस कार्यकर्ताओं की निगाहें अब शायद नेतृत्व के लिये अगली पीढ़ी में से किसी नवजवान को तलाश करेगी जिसमें जयवर्धनसिंह, नकुलनाथ, जीतू पटवारी, कुणाल चौधरी आते हैं।

यदि अनुभव की बात आई तो सज्जन वर्मा कार्यकर्ताओं की पहली पसंद हो सकते हैं। बिहार की 243 सीटों के लिये हुए चुनाव में काँग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है जो यह बता रहा है कि काँग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व में अब परिवर्तन आवश्यक है।

अभी तक चुनाव रूझानों से भी बिहार की तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पा रही है एनडीए को 12६ सीटों पर आगे चलकर एक सीट का नुकसान हुआ है वहीं महागठबंधन 111 सीटों पर आगे होकर एक सीट के फायदे में है, भाजपा और राजद में काँटे की टक्कर है, भाजपा 72 सीटों पर और राजद 75 सीटों पर रूझानों में आगे है। बिहार की राजनीति में परिवर्तन निश्चित आयेगा क्योंकि वहाँ के मतदाता ने नीतिश कुमार (जदयू), चिराग पासवान (एलजेपी) और काँग्रेस को एक सिरे से नकार दिया है।

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी स्थिति मजबूत की है और इस वजह से मुख्यमंत्री भाजपा का होने की माँग स्वाभाविक है ऐसी परिस्थिति में नीतिश कुमार का इसे स्वीकार करना मुश्किल-सा दिख रहा है। रूझानों में भी काफी उलटफेर हो रहा है देर रात तक तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।

इन चुनावों में राजनैतिक ओर मीडिया की भविष्यवाणी भले ही गलत साबित हुई हो परंतु इंदौर की ज्योतिषाचार्य श्रीमती मीनाक्षी श्रीवास्तव की भविष्यवाणी सच के काफी करीब रही। मेरे इसी कालम में मैंने उनकी भविष्यवाणी का उल्लेख किया था जिसमें उन्होंने बिहार में एनडीए की सरकार की घोषणा और मध्यप्रदेश में काँग्रेस को 10 सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया था। खैर मध्यप्रदेश में भाजपा की प्रचंड विजय पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान उनकी पूरी टीम और भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को बधाई।

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