गायत्री नगर में फर्जी लोन के 6 मामले..!

सबूत मिटाने की कोशिश में लगे बैंक के कर्मचारी

उज्जैन, अग्निपथ। अवैध कॉलोनी गायत्री नगर ए सेक्टर में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मकान बनाने और लोन स्वीकृत हो जाने का केवल एक नहीं बल्कि ऐसे 6 मामले होने की जानकारी सामने आई है। नगर निगम की फर्जी भवन अनुज्ञा के आधार पर अवैध कॉलोनी में एक बैंक से धड़ल्ले से लोन बंटे और जब मामले का भांडा फूट गया है तो बैंक वाले ही अपनी नौकरी बचाने की जुगत में भिड़ गए है।

किसी भी कॉलोनी में किसी भी मकान के लिए लोन स्वीकृत करने से पहले बैंक उस कॉलोनी की वैधता, लोन धारक की आर्थिक क्षमता, मकान की वैधता आदि का सर्वे कराती है। इन्हीं सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बैंक लोन स्वीकृत या अस्वीकृत होता है। सूत्र बताते है कि गायत्री नगर ए सेक्टर में जिन भी मकान मालिकों को लोन आवंटित हुए है, उन्हें बैंक लोन दिलाने में इलाके के ही दो दलालों का सहयोग रहा है। पुलिस की जांच में इनके नाम सामने आने की संभावना है। इन्हीं दलालों ने भोले-भाले नागरिकों को अपना मकान दिलाने का लालच देकर फर्जीवाड़े का शिकार बनाया है।

इस पूरे घटनाक्रम में नगर निगम के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी कई सारे सवाल उठने लगे है। दलालों से लेकर नगर निगम और बैंक तक की चेन सामने आने के बाद इस मामले में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे।

धरे रह गए प्लॉट

गायत्री नगर ए सेक्टर में भारत गृह निर्माण सोसायटी से प्लॉट लेने वाले कई आम लोगों से बिल्डरों ने टोकन मनी देकर ही प्लाट्स के सौदे कर लिए है। बिल्डरों के दलाल ही अपनी पूरी चेन के माध्यम से अवैध कॉलोनी में मकान बनाकर सीधे-साधे लोगों को फांसने में लगे है। दैनिक अग्निपथ द्वारा कॉलोनी की वैधता का खुलासा किए जाने के बाद कई बिल्डरों के मंसूबों पर पानी फिर गया है।

सवालों के घेरे में निगम अधिकारी

  • एक भवन अनुज्ञा में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद केवल एक ही मामले में एफआईआर के लिए थाने में आवेदन दिया गया। अवैध कॉलोनी में बन रहे अन्य मकानों के दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं कराई?
  • पुलिस को लिखे पत्र में भवन अधिकारी खुद स्वीकार कर रहे है गायत्री नगर ए सेक्टर में भवन अनुज्ञा जारी नहीं की जाती है तो फिर यहां बन रहे अवैध मकानों का निर्माण रोका क्यों नहीं गया?
  • भवन अनुज्ञा और कॉलोनी की वैधता का प्रमाण पत्र नहीं था बावजूद इसके बैंक लोन किस आधार पर बंट गए। संबंधित बैंक में लोन के लिए लगाए गए दस्तावेज भी नगर निगम ने नहीं मंगवाए। जबकि इससे फर्जीवाड़े के अन्य मामलों का खुलासा हो सकता था।
  • फर्जी भवन अनुज्ञा पर भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा और भवन निरीक्षक गोपाल बोयत के डिजिटल हस्ताक्षर कैसे आए? अपने खुद के फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर के बारे में भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा ने पुलिस को लिखे पत्र में उल्लेख ही नहीं किया, जबकि यह हस्ताक्षर के दुरूपयोग का गंभीर मामला है।
  • गायत्री नगर में पिछले 3 महीने से ज्यादा वक्त से अवैध मकानों का निर्माण हो रहा है। ओवरसियर ने इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी। अवैध निर्माण होने की बात स्वीकार भी की लेकिन काम किसी भी मकान का नहीं रोका, न ही किसी मकान मालिक से उसके दस्तावेज मांगे।

इनका कहना

फर्जी भवन अनुज्ञा के मामले में जांच शुरू कर दी गई है। जांच में यदि फर्जीवाड़े की कोई चेन मिलती है तो अन्य दोषियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। आम नागरिकों को भ्रम में रखकर उन्हें प्लॉट या मकानों के सौदे करना भी अपराध है।
– अजीत तिवारी, चिमनगंज थाना प्रभारी

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