रविवार को उमड़ा सैलाब: आम श्रद्धालुओं के लिए 1500 की रसीद बंद

प्रोटोकाल और पंडे पुजारियों के मार्फत गर्भगृह में प्रवेश, मंदिर परिसर में प्रवेश कराया बंद

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में रविवार को महाशिवरात्रि पर्व जैसा नजारा देखने को मिला। चारों ओर श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आ रही थी। सुबह से ही ऐसी स्थिति पैदा होने के बाद मंदिर प्रशासन ने 1500 रुपए अभिषेक रसीद आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दी थी। केवल प्रोटोकाल और पंडे पुजारियों के मार्फत दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को ही प्रवेश की पात्रता दी गई थी। इसके लिए सहायक प्रशासक पूर्णिमा सिंघी के हाथों पूरी कमान दे दी गई थी।

रविवार को महाकाल प्री पेड बूथ से लेकर हरसिद्धि मंदिर तक श्रद्धालुओं के सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे। महाशिवरात्रि पर्व से पहले का रविवार होने के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई। ऐसे में सुबह 6.15 से 7.50 और फिर 8.30 बजे गर्भगृह में ऐसे श्रद्धालुओं को 1500 रुपए की अभिषेक रसीद से प्रवेश दिया गया। जोकि या तो प्रोटोकाल प्राप्त थे अथवा पंंडे पुजारियों के मार्फत उन्होंने रसीद कटवाई थी। इसके बावजूद गर्भगृह श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। दोपहर 1 बजे से लेकर 2.30 बजे तक भी यही क्रम चलता रहा।

मंदिर परिसर बंद किया

मंदिर में दोपहर में भीड़ का दबाव अधिक होने पर मंदिर परिसर को कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया था। यहां पर बेरिकेड् के माध्यम से श्रद्धालुओं को निर्गम गेट की ओर निकाला जा रहा था। वहीं त्रिविप्टेश्वर मंदिर के पास बनाए गए नये रास्ते के दूसरी ओर से आ रहे श्रद्धालुओं को रोकने के लिए मंदिर के ठीक पीछे बेरिकेड लगा दिए गए थे।

चांदी गेट से लाइन सभामंडप के दूसरे कोने तक

रविवार को दोपहर 1 बजे के बाद ऐसी स्थिति थी कि 1500 रुपए के अभिषेक रसीद धारी श्रद्धालुओ की लाइन चांदी गेट से लेकर सभामंडप के दूसरे कोने तक पहुंच गई थी। भारी भीड़ की खबर सुनकर कलेक्टर आशीषसिंह, प्रशासक गणेश कुमार धाकड़, पुजारी प्रदीप गुरु, आशीष गुरु, पीए अनुराग चौबे सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मंदिर की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करते नजर आए।

जगह जगह स्क्रीन लगाईं

महाशिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के दर्शन में कोई परेशानी ना आए इसके लिए चौराहों पर एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं। दो वर्ष पूर्व की महाशिवरात्रि पर्व की व्यवस्थाओं की ही तरह एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं। हालांकि रविवार को भी आम श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था पूर्व की ही तरह बड़ा गणपति मंदिर के सामने से ही रही।

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