गजब भीड़: सोमवती अमावस्या पर 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

सोमकुंड पर 80 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किया स्नान, सोमवारिया क्षेत्र में जगह-जगह लगा जाम, दान पुण्य कर पितरों का किया तर्पण

उज्जैन, अग्निपथ। धर्म नगरी उज्जयिनी में कोरोना काल के बाद पहली बार सोमवती अमावस्या का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। परंपरा अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु सोमकुंड पर स्नान के लिए पहुंच रहे थे। श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होने की वजह से सोमवारीया क्षेत्र में जाम की स्थिति देखी गई। सोमकुंड पर दोपहर तक 80 हजार श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। वहीं 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने शिप्रा घाट पर स्नान कर दान पुण्य किया।

स्नान का सिलसिला देर रात 3 बजे से शुरू हुआ। श्रद्धालुओं में उत्साह साफ दिखाई दे रहा था। भरी धूप में ट्रैक्टर ट्रॉली में भी बैठकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु सोमकुंड पहुंचे। हालांकि सोम कुंड पर फंव्वारो के माध्यम से स्नान कराया गया । यहां महिला श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रही। रामघाट पर श्रद्धालुओं की संख्या को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों सिंहस्थ फिर से वापस आ गया हो।

रामघाट, छोटा पुल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम खड़ा होकर स्नान की प्रतिक्षा कर रहा था। शिप्रा घाट के चारों ओर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ था। दान पुण्य के बाद सैकड़ों की संख्या में महिलाएं बरगद के पेड़ का पूजन कर फेरे लगाते दिखाई दी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर शिप्रा नदी, सोमकुंड व महाकाल क्षेत्र में प्रत्येक स्थान पर 50 से अधिक अधिकारियों को लगाया गया था।

तीन त्यौहार का विशेष संयोग बना कारण

सोमवार को सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत के विशेष संयोग पर धर्म नगरी उज्जैन में मोक्ष दायिनी शिप्रा नदी पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। दोपहर 3 बजे तक तकरीबन 2 लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान कर शिप्रा नदी स्थित सोमतीर्थ कुंड सहित रामघाट, त्रिवेणी घाट,नृसिंह घाट पर डुबकी लगाई। गौरतलब है कि दो साल बाद सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं को पुण्य स्नान का अवसर मिला। क्योंकि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से पर्व स्नान पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस बार सोमवती अमावस्या के साथ शनि जयंती और वट सावित्री व्रत होने से इस दिन का पुण्यफल और ज्यादा बढ़ गया।

इस संयोग के चलते नदी घाटों पर पर्व स्नान का कई गुना फल बढ़ गया। शिप्रा में स्नान के साथ ही महिलाओं ने घाटों पर स्थित वट वृक्ष की पूजन और परिक्रमा किया। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भारी पुलिस बल तैनात था। एडिशनल एसपी, सीएसपी और सभी थानों के टीआई घाटों पर व्यवस्थाओं को संभाल रहे थे।

महाकालेश्वर मंदिर पहुंची भीड़

सोमवती अमावस्या पर्व होने के कारण महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे, इस अवसर पर मंदिर समिति के सदस्यों ने भी मोर्चा संभाला। सोमवती अमावस्या पर्व होने की वजह से सोमवार को उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। यहां ग्रामीण अंचल से हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे। यहां श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली।

दरअसल श्रद्धालुओं की संख्या अधिक इसलिए थे क्योंकि जय गुरुदेव आश्रम में दीक्षा महोत्सव का अंतिम दिन होने के कारण समापन था। लिहाजा बड़ी संख्या में जय गुरुदेव आश्रम के श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर दर्शन के लिए पहुंच गए थे। ऐसे में गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं के दर्शन पर रोक लगा दी गई थी। गर्भगृह में केवल 1500 रुपए शुल्क की रसीद के साथ ही श्रद्धालु प्रवेश कर रहे थे।

स्टेशन पर यात्रियों की बढ़ी भीड़ , रेलवे पुलिस ने संभाला मोर्चा

धर्म नगरी उज्जैन के जय गुरुदेव आश्रम में प्रवचन समाप्त होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु लौट रहे थे। वहीं दूसरी ओर सोमवार को सोमवती अमावस्या का पर्व होने के कारण शिप्रा नदी स्नान कर श्रद्धालु भी घर की ओर लौट रहे थे। श्रद्धालुओं की वापसी के कारण रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में यात्री दिखाई दिए। यहां यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसलिए रेलवे पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया था। यात्री गलत ट्रेन में ना बैठे, इस वजह से बार-बार अनाउंस किया जा रहा था। लोकल ट्रेनों में यात्रियों की अत्यधिक भीड़ थे। जीआरपी पुलिस यात्रियों को चलती ट्रेन में नही बैठने की सलाह देने के साथ यात्रियों को चलती ट्रेन में बैठने से रोक रही थी ।

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