महाकाल मंदिर में नागचंद्रेश्वर पुल बनकर तैयार, तिरंगा पट्टियों से सजाया

आज मध्य रात्रि में पूजन के बाद शुरू होंगे दर्शन, साल में एक दिन ही दर्शन देते है नागचंद्रेश्वर

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज मध्य रात्रि में नागपंचमी पर्व पर शिखर पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मन्दिर के पट वर्ष में एक बार चौबीस घंटे के लिये खुलेंगे। वर्षभर में सिर्फ एक दिन नागपंचमी के दिन खुलते हैं। सोमवार की मध्यरात्रि विशेष पूजा अर्चना के साथ आम भक्तों के लिये मन्दिर के पट खुल जायेंगे और भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव के लगातार चौबीस घंटे दर्शन होंगे। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा आज नवनिर्मित पुल के उदघाटन करने की संभावना है। आजादी का अमृत महोत्सव होने के कारण पूरे ब्रिज को तिरंगे की पट्टियों से सजा दिया गया है।

1 अगस्त रात्रि 12 बजे भगवान नागचंद्रेश्वर के पट खुलेंगे। मन्दिर के पट 2 अगस्त की रात्रि 12 बजे बन्द होंगे। इस दौरान लाखों श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करेंगे। इसे देखते हुए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं। प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी, जिसमें आज 1 अगस्त रात्रि 12 बजे पट खुलने के पश्चात श्री पंचायती महा निर्वाणी अखाड़े के महंत विनित गिरी महाराज द्वारा भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन किया जाएगा। शासकीय पूजन 2 अगस्त दोपहर 12 बजे होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 2 अगस्त को श्री महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के पश्चात मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा पूजन-आरती की जायेगी।

मुख्यमंत्री करेंगे नवनिर्मित पुल का उदघाटन

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान आज तीसरी सवारी में शामिल होने के लिए उज्जैन पधारेंगे। उनके साथ संघ के वीवीआईपी मेहमान के आने की भी जानकारी प्राप्त हुई है। इस दौरान आज मध्य रात्रि से नवनिर्मित पुल से श्रद्धालुओं के दर्शन कराए जाने से पूर्व दिन में उनके द्वारा पुल का उदघाटन किया जा सकता है। हालांकिं इसके बारे में आधिकारिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है। लेकिन इसकी पूरी संभावना जताई जा रही है। ज्ञातव्य रहे कि महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीतगिरी महाराज के यजमान के द्वारा पुल का निर्माण कराया गया है।

शिव परिवार सप्तमुखी सर्प शय्या पर विराजित

महाकाल मंदिर के द्वितीय तल पर स्थित इस प्रतिमा का नाग पंचमी पर पूजन का है महत्व।
महाकाल मंदिर के द्वितीय तल पर स्थित इस प्रतिमा का नाग पंचमी पर पूजन का है महत्व।

हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर स्थित हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर पर स्थित है। श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं।

माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में श्री शिवजी, मां पार्वती श्रीगणेश जी के साथ सप्तमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। साथ में दोनों के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

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