स्कूल बसों की दुर्घटनाएं रोकने के लिए बनेगा एक कानून

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रोड सेफ्टी पर दो दिनी इंटरनेशनल सेमिनार इंदौर में प्रारंभ

इंदौर, अग्निपथ। देशभर में सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय सडक़ कांग्रेस (आईआरसी) द्वारा इंदौर में 28 व 29 अक्टूबर को ब्रिलियंट कनवैंशन सेंटर में रोड सेफ्टी पर दो दिनी इंटरनेशनल सेमिनार आयोजित किया जा रहा है।

सेमिनार में देशभर के विभिन्न स्थानों से आईआरसी के सदस्य तथा मप्र के विभिन्न जिलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। शुक्रवार को पहले दिन सेमिनार के मुख्य अतिथि प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव व विशेष अतिथि सांसद शंकर लालवानी थे। इसमें अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों के भी प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। खास बात यह कि स्कूल बसों की दुर्घटनाओं को रोकने व उनके संचालन को लेकर देशभर के लिए एक कोड भी तैयार किया गया है जो तीन माह में मप्र सहित सभी राज्यों में लागू होगा।

इस मौके पर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि हम एक ऐसा सिस्टम तैयार करना चाहते हैं जिसमें यातायात नियमों का और सख्ती से पालन हो जिससे खतरनाक दुर्घटनाएं हो। रोड पर हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक अकेला विभाग सक्षम नहीं होगा। इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सभी विभागों को प्रयत्न करने होंगे जिसके बहुत ही अच्छे परिणाम देखने को मिल सकेंगे उन्होंने सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात नियमों का सख्ती से पालन करने की बात कही।

उन्होंने कहा सेमिनार से जो निष्कर्ष निकले उसे हम भारत सरकार के समक्ष रखें, जिससे कि यह हमारे लिए और भी प्रभावी हो, परिणामदायक हो, जिससे हमें ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। सांसद शंकर लालवानी ने लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव से अनुरोध किया कि इंदौर क्षेत्र में जो भी ब्लैक स्पॉट हैं उसके निदान के लिए अलग से फंड प्राप्त हो। इसमें आवश्यक सुधार कर दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

आईआरसी के वाइस प्रेसीडेंट व मप्र के सेक्रेटरी (पीडब्ल्यूडी) आरके मेहरा, काउंसिल सदस्य संजय खाण्डे व डिप्टी डायरेक्टर (दिल्ली) राहुल पाटिल ने बताया कि आईआरसी द्वारा सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों से 120 प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के विभिन्न विभागों के 130 प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

दो दिनी सेमिनार का मुख्य विषय ‘रोड सेफ्टी करंट सिनेरियो एंड वे फॉरवर्ड’ पर 17 टेक्निकल सेशन होंगे। इसमें मप्र शासन द्वारा 5 प्रेजेंटेशन दिए जाएंगे। इसमें हाल ही में रीवा में नेशनल हाई वे पर ब्लेक स्पॉट पर हुई दुर्घटना को लेकर इंदौर के एसजीएसआईटीएस के प्रो. वंदना तारे द्वारा की गई केस स्टडी को भी शामिल किया गया है।

आईआईटी व आईआरसी ने किया एनालिसिस

डॉ. खाण्डे ने बताया कि बीते सालों में बड़ी संख्या में स्कूली बसें दुर्घटनाग्रस्त हुई है। इससे इसमें सवार विद्यार्थी घायल हुए हैं जबकि जानें भी गई हैं। उनकी सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए आईआरसी ने बीतें सालों में सभी राज्यों सरकारों से डाटा एकत्रित कर अध्ययन किया। फिर आईआईटी व आईआरसी की विभिन्न कमेटियों ने उन डाटा बेस का एनालिसिस कर अपनी सिफारिशें काउंसिल को दी।

इसके बाद 8 से 11 अक्टूबर को आईआरसी का 81वां लखनऊ में आयोजित हुआ इसमें स्कूल बसों के संचालन व संधारण को लेकर एक कोड का अनुमोदन किया गया है। यह प्रिंट होकर आगामी तीन माह में मप्र सहित सभी राज्य सरकार को भेजा जाएगा। भूतल केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने भी विभिन्न विभागों खासकर शिक्षा विभाग को अनुरोध किया है कि वे इसे अपने यहां पाठ्यक्रम में भी शामिल करें। कुछ राज्य सरकारों ने इसे अपने यहां प्राइमेरी व मिडिल स्कूलों में रोड सेफ्टी को लेकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय भी लिया है।

रोड सेप्टी : हाईलाइट्स

  • आईआरसी के मुताबिक रोड सेफ्टी चिंता का विषय है। जितनी मौते बीमारियों से नहीं होती हैं उससे कहीं ज्यादा सडक़ दुर्घटनाओं में होती हैं।
  • आईआरसी में मप्र के विभिन्न विभागों के छह काउंसिल मेंबर्स हैं।
  • सेमिनार में एक्सपर्ट सडक़ दुर्घटनाएं रोकने के लिए सुझाव के साथ प्रेजेंटेशन देंगे। – प्रेजेंटेशन में ओवर स्पीड, लाइसेंस, ट्रैफिक इंजीनियरिंग, एजुकेशन, इन्फोर्समेंट के बिंदुओं पर मंथन होगा।
  • नेशनल हाई वे व स्टेट हाई वे पर दुर्घटनाएं कैसे कम हो, इस पर खास जोर दिया गया है।
  • देश में 2019 की तुलना में 2020 में दुर्घटनाओं में कमी आई है। 2020 में 1.50 लाख दुर्घटनाएं हुई जबकि 4.50 लाख लोग घायल हुए हैं।
  • 2018 में मप्र में 379 ब्लैक स्पॉट्स थे जिनमें से 140 स्पॉट्स पर काम हुआ है जबकि बचे हुए ब्लैक स्पॉट्स दो साल में खत्म कर दिए जाएंगे।
  • अगर सडक़ बेहतर हो, ड्राइविंग भी अच्छी हो और 40 किमी प्रति स्पीड में वाहन चलाने के दौरान अचानक कोई मवेशी आ जाता है तो भी दुर्घटना की आशंका रहती है।

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