वैकुंठ चतुर्दशी आज: हरिहर मिलन के लिए मध्यरात्रि में गोपाल मंदिर जायेंगे महाकाल

हरिहर मिलन में हर सौपेंगे हरि को सृष्टि का भार, बिल्वपत्र की माला करेंगे भेंट

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से कार्तिक-अगहन मास के दौरान भगवान महाकाल आज पालकी में सवार होकर मध्यरात्रि में हरि से मिलने गोपाल मंदिर जायेंगे। भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागने के बाद अब हर द्वारा उनको सृष्टि का भार सौंपा जायेगा। एक ओर जहां हर हरि को बिल्वपत्र की माला सौपेंगे, वहीं हरि भी उनको तुलसी की माला भेंट करेंगे।

मंदिर समिति सदस्य और पुजारी राम शर्मा ने बताया कि वर्षाकाल के चातुर्मास में भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में सौंपकर राजा बलि के अतिथि बनकर पाताल लोक में वास करते हैं। देवउठनी एकादशी पर देवशक्ति जागृत होती है, इसके चार दिन बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव पुन: सृष्टि के संचालन का भार भगवान विष्णु को सौंप देते हैं। कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी पर छह नवंबर को इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए भगवान महाकाल रात 11 बजे चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर जाएंगे। यहां हरि-हर का मिलन होगा, इसके बाद रात 2.30 बजे सवारी पुन: महाकाल मंदिर के लिए रवाना होगी।

तुलसी बिल्वपत्र की मालाओं का होगा आदान प्रदान

गोपाल मंदिर में भगवान महाकाल की पालकी का विधिवत पूजन अर्चन होगा। इस दौरान महाकाल मंदिर के पुजारी सहित गोपाल मंदिर के पुजारी भी मौजूद रहेंगे। इस दौरान हर की ओर से हरि को बिल्वपत्र की माला भेंट की जायेगी तो हरि की ओर से भगवान महाकाल को तुलसी की माला प्रदान कर सृष्टि का भार अपने हाथों में लिया जायेगा।

हरिहर मिलन के दूसरे दिन सवारी

भगवान महाकाल की पहली सवारी-31 अक्टूबर को निकली थी। आज हरि-हर मिलन की सवारी-6 नवंबर को रात 11 बजे निकाली जायेगी। इसके दूसरे दिन 7 नवंबर सोमवार को दूसरी सवारी, तीसरी सवारी- 14 नवंबर, चौथी सवारी 21 नवंबर को निकाली जायेगी।

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