जलसंकट: कई हैंडपंप-बोरिंग खराब, न संसाधन और ना ही स्टॉफ

400 से अधिक बोरिंग को मेंटेनेंस की दरकार, नर्मदा लाइन से गऊघाट फिल्टर प्लांट को जोडऩे की योजना अधर में

उज्जैन, अग्निपथ। शहर जलसंकट के मुहाने पर खड़ा है और पीएचई की इसमें लापरवाही सामने आई है। नगर में 2000 हैंडपंप, 400 से अधिक बोरिंग और मेंटेनेंस के नाम पर मात्र 12 कर्मचारी है। हैंडपंप-बोरिंग खराब है और पीएचई के पास न संसाधन और ना ही स्टॉफ है। खास बात तो यह कि वार्षिक मैंटेनेंस के लिए पीएचई ने दो बार निविदा निकाली,लेकिन कोई भी टेंडर लेने कोई नहीं आया है। ऐसे में विभाग ने कोई कार्ययोजना भी तैयार नहीं की। अब पुराने ठेकेदार के ठेके को एक्सटेण्ड किया जा रहा है।

गंभीर डेम में लगातार पानी कम होने और बारिश तक उक्त पानी को जलप्रदाय के लिये बचाकर रखने का हवाला देकर पीएचई ने शहर में एक दिन छोडक़र जलप्रदाय तो शुरू कर दिया लेकिन जलसंकट से निपटने के वैकल्पिक साधन कुएं, हैंडपंप, बोरिंग की सुध तक नहीं ली। अब स्थिति यह है कि जिस दिन शहर में जलप्रदाय नहीं होता है तो लोग पानी के खाली बर्तन लेकर यहां वहां भटकते नजर आते हैं।

शहर में 2000 से अधिक हैंडपंप हैं, सिंगल और डबल फेस बोरिंग की संख्या 400 से अधिक हैं। जलसंकट के समय यही हैंडपंप और बोरिंग आमजन के लिये पीने के पानी का विकल्प बचते हैं। पीएचई की हैंडपंप शाखा की हालत यह है कि पूरे शहर के हैंडपंप और बोरिंग की मरम्मत, आवश्यक सामान लगाने और मेंटेनेंस के लिये मात्र 12 कर्मचारी पदस्थ हैं। शिकायतों की स्थिति यह है कि प्रतिदिन जलप्रदाय के दौरान शहर के विभिन्न वार्डों से 4-5 शिकायतें आती थीं तो अब एक दिन छोडक़र जलप्रदाय होने के बाद अलग-अलग वार्डों से प्रतिदिन 15 से 20 शिकायतें आ रही हैं जिन्हें तत्काल ठीक करना संभव नहीं हो रहा है।

जलसंकट के दौर में पीएचई कंट्रोल रूम और हैंडपंप शाखा में शिकायतें प्रतिदिन आ रही हैं, लेकिन इन शिकायतों का निराकरण 2 से 4 दिनों के बाद भी नहीं हो पाता। कर्मचारी कहते हैं कि अफसर सिर्फ फरमान जारी करते हैं, हैंडपंप और बोरिंग को सुधारने में आने वाली परेशानियों को नहीं समझते। एक ही स्थान पर कई बार दो से तीन दिन लग जाते हैं इसी कारण शिकायतों की लिस्ट बढ़ती जाती है और लोगों को समय सीमा में सेवा उपलब्ध नहीं करा पाते।

पीएचई द्वारा हैंडपंप और बोरिंग मरम्मत के लिये लगने वाली आवश्यक सामग्री, मोटर, पाइप, विद्युत सामग्री आदि के लिये टैंडर जारी किये जाते हैं। जलसंकट के दौर में विभाग की स्थिति यह है कि आचार संहिता लगने से पहले सामग्री खरीदी के टैंडर तक नहीं हो पाये हैं और अब पीएचई अफसर आचार संहिता लागू होने की बात कहकर नए टैंडर आमंत्रित भी नहीं कर रहे। ऐसे में पीएचई कर्मचारी पुराने सामान को एक जगह से दूसरी जगह लगाकर खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं।

अभी गऊघाट-गंभीर डेम से मिलता है पानी

गऊघाट पर तीन फिल्टर प्लांट हैं, जिनसे रोज करीब 18 एमजीडी पानी फिल्टर कर जलप्रदाय के लिए दिया जाता है। गंभीर डेम के पास अंबोदिया में भी एक फिल्टर प्लांट है, जहां से 12 एमजीडी पानी शहर को दिया जाता है। गऊघाट पर पानी लाने के लिए रॉ वाटर पाइप लाइन है। शिप्रा से पानी लेने के लिए गऊघाट के पास इंटकवेल है। शिप्रा में पानी नहीं रहने से इसका उपयोग तभी हो सकता है जब नर्मदा का पानी शिप्रा में भरा हो। नर्मदा का पानी त्रिवेणी से खुली नदी में आता है और गऊघाट पर जमा होता है।

तीन माह में नहीं हुआ काम

गऊघाट फिल्टर प्लांट को नर्मदा की लाइन से जोडऩे के लिए कंपनी को 3 माह का समय दिया था। लाइन बिछाई नहीं जा सकी है। पीएचई ने ठेकेदार कंपनी को न नोटिस दिया न कोई कार्रवाई की। कंपनी भी इसे लेकर बेपरवाह हो गई है। इस योजना में बड़ी चूक यह भी सामने आई है कि पीएचई ने एनवीडीए से लाइन जोडऩे की परमिशन ही नहीं ली और 1.57 करोड़ की योजना बना दी और टेंडर भी लगाकर ठेका दे दिया। अब एनवीडीए से परमिशन मिलने के बाद ही इस लाइन को जोड़ा जा सकेगा। इसी चूक के कारण प्रशासन अभी खामोश है।

10 माह में नहीं बिछा सके 550 मीटर लंबी लाइन, 1.57 करोड़ रुपए की योजना आम लोगों को नहीं मिला फायदा

जलसंकट की स्थिति से निपटने के लिए पीएचई ने उज्जैन शहर में नर्मदा का पानी पिलाने के लिए 1.57 करोड़ रुपए की योजना बनाई, ठेका भी दिया लेकिन 10 माह में भी 550 मीटर लंबी लाइन बिछा नहीं सके। नर्मदा लाइन से गऊघाट फिल्टर प्लांट जोडऩे के लिए यह योजना बनाई थी, लेकिन 10 माह गुजरने के बाद भी अब तक लाइन ही बिछा नहीं सके। अब गर्मी में फिर पेयजल संकट आया तो इस पर खर्च पैसा निजात नहीं दिला सकेगा।

शहर की प्यास बुझाने वाले गंभीर डेम का पानी तेजी से कम हो रहा है और तेज गर्मी के कारण पानी भाप बनकर उडऩे और खपत बढऩे से जलसंकट खड़ा हो सकता है। हालांकि नगर निगम प्रशासन ने अभी से एक दिन छोडक़र पेयजल प्रदान करना शुरू कर दिया है, लेकिन जून के आसपास पेयजल संकट परेशान कर सकता है। इस संकट की घड़ी में लोगों को नर्मदा का पानी पिलाने के लिए भूखीमाता मंदिर के पास लालपुल के नजदीक गऊघाट फिल्टर प्लांट से नर्मदा की लाइन को जोडऩे के लिए 550 मीटर की लाइन बिछाने के लिए योजना बनाई और एक कंपनी को ठेका भी दे दिया गया था। कंपनी को तीन माह में लाइन डालने का समय दिया गया था, किंतु अब तक लाइन ही पूरी तरह बिछाई नहीं जा सकी। मई 2023 में यह काम शुरू किया गया था।

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