56 बच्चे हुए अनाथ, कोविड नियमों से बने हुए दूर, अब विभाग जांच में जुटा

झाबुआ। प्रदेश सरकार के निर्देश पर महिला व बाल विकास विभाग द्वारा जिलेभर में पिछले ढाई माह में अनाथ हुए बच्चों का सर्वे किया गया। सर्वे में 56 बच्चे अनाथ मिले हैं। अब नया आदेश हुआ है कि कोविड से मरने वाले माता-पिता के बच्चों को योजना का लाभ दिया जाना है। ग्रामीण क्षेत्रों के कई लोग संक्रमण से भी मरे हैं, लेकिन उन्होंने न तो जांच कराई न ही किसी प्रकार उनका कोविड को लेकर रजिस्ट्रेशन हुआ है। ऐसे में विभाग को यह तय करना मुश्किल होगा कि माता-पिता की मौत कोविड से हुई है। हालांकि आदेश के बाद पुन: गुरुवार से सर्वे कार्य शुरू कर दिया गया।

महिला व बाल विकास विभाग ने पहले सरकार की घोषणा के बाद अनाथ बच्चों का सर्वे शुरू किया था और सर्वे में 56 बच्चे जिलेभर में अनाथ पाए थे, लेकिन इस सर्वे में यह पुष्टि नहीं हुई कि इन बच्चों के माता-पिता कोविड संक्रमण से मरे हैं। ढाई माह के अंदर जिले के 56 बच्चों ने अपने माता-पिता खो दिए हैं।

शुरू किया है सर्वे-महिला व बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी एएस चौहान का कहना है कि जिले में 56 बच्चे अनाथ हुए थे और गुरुवार से पुन: सर्वे करवाया जा रहा है कि कोविड से कितने माता-पिता की मौत हुई है। हमारा प्रयास रहेगा कि सभी बच्चों को कोविड की योजना का लाभ न मिले तो अन्य योजना का लाभ उन्हें मिले ताकि उनकी शिक्षा अच्छे से हो सके।

कोरोना का मासूमों पर कहर-एक साल में 115 तो महीनेभर में 131 बच्चे हुए संक्रमित, जिलेे में 246 बच्चे कोरोना संक्रमित हुए, कुल आंकड़ा 7555 तक पहुंचा, रिकॉर्ड में 11 साल के एक बच्चे की मौत। आशंका है कि कोरोना की तीसरी लहर जब भी आएगी, यह बच्चों पर ज्यादा असर करेगी। लेकिन इससे पहले ही बच्चों पर इसका असर दिख रहा है। मई 2020 में जिले में पहला कोरोना केस मिलने के बाद से 13 अप्रैल 2021 तक जितने बच्चों को संक्रमण हुआ, उससे ज्यादा संक्रमित बीते 36 दिनों में मिले। यह 10 साल की उम्र तक के बच्चों का रिकार्ड है।

मई 2020 से 13 अप्रैल 2021 तक मिले 3913 मरीजों में से 115 बच्चे थे। 14 अप्रैल से 19 मई तक मिले संक्रमितों में से 131 बच्चे हैं। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 10 साल तक के किसी बच्चे की कोरोना से मौत नहीं हुई। 11 साल का एक बच्चा 13 अप्रैल को इसका शिकार हुआ। जिले में बुधवार रात तक 7547 कुल मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 246, 10 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। सबसे ज्यादा संख्या 11 से 45 साल के लोगों की है। सबसे कम मरीज 60 साल से अधिक उम्र के मिले हैं, लेकिन मौत के मामले इस वर्ग में आनुपातिक रूप से ज्यादा हैं। अब तक कोरोना संक्रमण से 49 लोगों की मौत हो चुकी है।

दूसरी लहर में 22 मौतें

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए बुलेटिन में फिलहाल 49 मौतें अब तक दोनों लहरों में बताई जा रही हैं। 27 मौतें पहली लहर में बताई गई थीं, 22 मौतें दूसरी लहर में। हालांकि अप्रैल माह में संक्रमण तेज गति से बढ़ा था। इस दौरान शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मौतें भी अधिक हुई थीं, लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि कोविड से कितनी मौतें हुुईं।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैला था संक्रमण

किसान शंकर भाबोर का कहना है कि दूसरी लहर के दौरान अप्रैल माह में शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी संक्रमण फैला था। संक्रमण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में मौतें भी हुई हैं। कई ग्रामीणों ने डर के कारण अपना टेस्ट नहीं करवाया। कई ग्रामीण सरकारी अस्पताल उपचार करवाने भी नहीं पहुंच पाए। सर्वे में आए सभी बच्चों को योजना का लाभ मिले ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके। समाजसेवी नीरजसिंह राठौर का कहना है कि सभी अनाथ बच्चों को लाभ मिले। ऐसा कार्य होना चाहिए। भले ही ग्रामीणों ने अपनी जांच व रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया और उनके माता-पिता की मौत कोविड से हुई है।

संक्रमण को लेकर फंस रहा पेच

विभाग ने अनाथ हुए बच्चों का सर्वे तो कर लिया, लेकिन अब नए निर्देश के बाद कोविड से मरने वाले माता-पिता का सर्वे फिर से शुरू किया गया है। ऐसे में यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि मरने वाले माता-पिता कोविड से ही मरे हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के कई लोगों ने कोविड की जांच तक नहीं करवाई और न ही उन्होंने किसी प्रकार का रजिस्ट्रेशन करवाया था। ऐसे में कैसे तय किया जाएगा कि मरने वाले माता-पिता की मौत कोविड से हुई है या अन्य कारण से।

10 दिन की संक्रमण दर 1.6 प्रतिशत, यह अप्रैल के औसत से 24 प्रतिशत कम

जिले में कोरोना की संक्रमण दर बीते दस दिनों में औसत रूप से 1.6 प्रतिशत रही है। मई की 1 से 19 तारीख तक का औसत 6.62 प्रतितश है। बुधवार को 1016 टेस्ट रिपोर्ट आई और इनमें से 7 पॉजीटिव निकली। इस दिन संक्रमण दर 0.69 प्रतिशत पर रही। यह 1 अप्रैल से अब तक सबसे कम है। बीते 10 दिनों की संक्रमण दर का औसत अप्रैल के औसत से 24 प्रतिशत तक कम है। अप्रैल में हर दिन औसत रूप से 127 मरीज मिले थे। मई में ये आंकड़ा 48 से कुछ ज्यादा है। हर दिन मरीज कम मिलने के साथ ही यह औसत भी कम हो रहा है।

गांवों में ज्यादा मौतें

50 दिन में 21 की जान गई, इनमें से 13 ग्रामीण। कोरोना की दूसरी लहर का असर गांवों में ज्यादा हो रहा है। सरकारी रिकॉर्ड में 1 अप्रैल से 19 मई के बीच 21 मरीजों की जान कोरोना संक्रमण के कारण गई। मृतकों में 13 मरीज छोटे गांवों के थे। 8 मरीज कस्बों (झाबुआ के 6 और राणापुर के 2) से थे, जिनकी जान कोरोना से गई। अप्रैल के पहले पूरे साल में जो 28 मौत हुई थी, उनमें से 27 शहरी क्षेत्रों में हुई थी।

ये आंकड़ा सीधे तौर पर दूसरी लहर के गांवों में तेजी से फैलने की स्थिति बताता है। ये भी साफ है कि गांवों में हुई कई सारी मौत सरकारी रिकार्ड में नहीं आ सकी। मरीजों के न टेस्ट हुए और न कोरोना का उपचार किया गया। मौत पर परिजन ने अंतिम संस्कार भी कर दिया। अभी तक मौत सबसे ज्यादा झाबुआ शहर के लोगों की हुई है। कुल मृतकों में से 19 झाबुआ शहर के हैं।

जिला एक नजर में
11 लाख 41 हजार जिले की जनसंख्या, 781 गांव जिले में, 375 पंचायतें जिलेभर में, 27 मौतें हुई थीं पहली लहर में, 22 मौतें दर्शाई गई दूसरी लहर में

 

Next Post

नालों से नेता दूर रहे तो बच गए 44 लाख

Sat May 22 , 2021
नगर निगम ने पहली बार अपने संसाधन लगाकर करवाई नालों की सफाई उज्जैन, अग्निपथ। बारिश शुरू होने से पहले शहर के 64 बड़े नालों की सफाई के काम में नगर निगम ने 44 लाख रूपए बचा लिए है। ऐसा पहली बार हुआ है जब नगर निगम ने अपने ही संसाधन […]