कमजोर लिवर वालों में कोविड होने पर मौत का खतरा 30 गुना

 7 दिन के इस डाइट प्लान से लिवर को ऐसे स्वस्थ रखें

अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी कहती है, लिवर की गंभीर बीमारी सिरोसिस से जूझने वाले मरीजों में कोरोना का संक्रमण होने पर मौत का खतरा 30 गुना अधिक रहा है। कोरोना के दौर में लिवर को स्वस्थ रखने की अहमियत बढ़ गई है।

कनैडियन लिवर फाउंडेशन के मुताबिक, लिवर शरीर के लिए 500 तरह के काम करता है। इसमें शरीर को एनर्जी देना, इंफेक्शन और टॉक्सिन से बचाना, खून का थक्का जमने में मदद करना और हार्मोन को कंट्रोल करना जैसे प्रमुख काम शामिल हैं।

7 दिन के एक डाइट प्लान से लिवर को डिटॉक्स किया जा सकता है। यानी इसमें से जहरीले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं। डिटॉक्स डाइट का पहला काम आहार से कैफीन, निकोटीन और रिफाइंड शुगर जैसे हानिकारक पदार्थों को हटाकर उनकी जगह हेल्दी फूड को शामिल करना है। ग्लोबल लीडिंग होलिस्टिक हेल्थ गुरु डॉ. मिकी मेहता से जानिए लिवर को कैसे स्वस्थ रखें…

मजबूत लिवर के लिए अपनाएं 7 दिन का यह डाइट प्लान

  • पहला दिन-लिवर साफ करने वाले फूड लें: ऑर्गेनिक फल, सब्जियां, दालें खाएं। इनमें ग्लूटाथियोन पाया जाता है जो लिवर के टॉक्सिन क्लीजिंग एंजाइम को बढ़ाता है।
  • दूसरा दिन- लिवर को पोषण दें: पत्तेदार सब्जियां जैसे गोभी, ब्रॉकली, फूलगोभी, प्याज, लहसुन के पत्ते, खट्‌टे फल, नट्स और बीजों का सेवन करें। इनमें एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर होता है।
  • तीसरा दिन-आंतों को मजबूत बनाएं: फर्मेंटेड फूड जैसे दही, इडली, पनीर आदि में फायदेमंद बैक्टीरिया पाए जाते हैं। ये पाचन और इम्यूनिटी बढ़ाते हैं।
  • चौथा दिन-रुटीन में आएं: सोने, जागने और खाने का समय फिक्स करें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। इससे लिवर पर पड़ने वाला तनाव कम होता है।
  • पांचवां दिन-समय से पहले भोजन: दिन का मुख्य भोजन सुबह 10.30 बजे तक कर लें। रात का भोजन शाम 6.30 बजे तक समाप्त कर दें। शेष समय उपवास करें। इससे मेटाबॉलिज्म बेहतर हो जाता है।
  • छठा दिन-हल्दी की चाय: हल्दी में एंटी ऑक्सीडेंट और सूजन को घटाने वाले तत्व पाए जाते हैं। यह लिवर को एक्टिव रखने के साथ पाचन सुधारती है। इस दौरान हर्बल-टी का उपयोग भी कर सकते हैं।
  • सातवां दिन-खूब पसीना बहाएं: वॉक, साइकिलिंग और जॉगिंग से पसीना बहाएं।

इस प्लान के फायदे : ऊर्जा बढ़ेगी, त्वचा और पाचन तंत्र सुधरेगा

ऑक्सीजन लिवर और हार्ट तक पहुंचती है। पसीना टॉक्सिन को तेजी से बाहर करता है। प्रोसेस्ड फूड, ऐडेड शुगर, सॉल्ट और कैफीन शरीर की ऊर्जा को कम करते हैं। डिटाक्सिफिकेशन के दौरान इनके हटने से शरीर एनर्जेटिक महसूस करता है।

त्वचा में सूखापन, धब्बे, रूखापन कम होने लगता है। पाचन बेहतर होता है। टॉक्सिन्स कम होने से जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द और सूजन में कमी आती है। नींद बेहतर होती है। जो अपने आप में डिटॉक्सिफायर है। इससे मानसिक और शारीरिक संतुलन सुधरता है, जिससे मूड बेहतर होता है।

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