1500 रुपए का दर्शन टिकट अब फोटोयुक्त
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में 1500 रु. विशेष दर्शन टिकटधारी श्रद्धालुओं की गर्भगृह से दर्शन करने की संख्या तो अनलिमिटेड कर दी गई है। इसके साथ ही टिकट का दुरुपयोग न हो इसके लिये फोटो कैमरे से स्कैन कर टिकट पर चस्पा करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। मंगलवार से इस कार्य को अंजाम देना शुरू कर दिया गया।
महाकालेश्वर मंदिर में हारफूल वाले सहित अन्य 1500 रु टिकट का दुरुपयोग करने वाले लोगों पर अंकुश कसने और इसमें पारदर्शिता लाने के लिये मंगलवार से 1500 रु. टिकट काउंटर से श्रद्धालुओं के फोटो लगे टिकट वितरित करना शुरू कर दिया गया। इसमें मंगलवार को दो स्कैनर कैमरे विंडो की ग्रिल पर कस कर काम करना शुरू कर दिया गया था। श्रद्धालु का चेहरा स्केन कर कम्प्यूटर में डालकर टिकट वितरण किया जा रहा था। सहायक प्रशासक लोकेश चौहान ने भी विंडो पर जाकर काम देखा और आवश्यक सलाह दी। फिलहाल दो कम्प्यूटर इस काम के लिये लगाये गये हैं। श्रद्धालु से आधार कार्ड लेकर ही काम किया जा रहा है। हालांकि इस काम में थोड़ा समय तो लग रहा है, लेकिन श्रद्धालु की ओर से ऐसी कोई प्रतिक्रिया देखने में नहीं आई। श्रद्धालु आराम से आकर अपना चेहरा स्कैन करवा कर टिकट प्राप्त कर रहा था।
चेहरा स्कैन के लिये लाइन में लगना जरूरी
एक ही परिवार के यदि 8 लोग आये हों तो सभी को लाइन में लगना अनिवार्य होगा। सभी के चेहरे का स्कैन के बाद ही टिकट रिलीज की जायेगी। इससे श्रद्धालु का भौतिक सत्यापन भी हो रहा है। हालांकि इससे परिवार के लोग परेशान तो होंगे और लाइन भी लंबी हो जायेगी। लेकिन बिना लाइन में लगे चेहरा स्कैन भी तो नहीं हो पायेगा, इसलिये इसे आवश्यक किया गया है।
भस्मारती विंडों में भी लगेंगे स्कैनर
सहायक प्रशासक लोकेश चौहान ने बताया कि स्कैनर कैमरे का उपयोग विशेष दर्शन टिकट में तो किया जाना तो शुरू कर दिया गया है, इसके साथ ही अब स्कैनरों को भस्मारती विंडो पर भी लगाया जायेगा। यहां पर क्यूआर कोड मोबाइल से स्कैन कर आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है। अब सीधे भस्मारती टिकट पर कम्प्यूटर आपरेटर चेहरे का फोटो स्कैन कर आनलाइन रजिस्ट्रेशन कर लेगा।
बारकोड चैक के बाद दोबारा उपयोग नहीं
मंदिर प्रबंध समिति ने और अधिक पारदर्शिता के लिये सभामंडप में एक कम्प्यूटर आपरेटर को बैठा दिया है। यहां लाइन में लगे श्रद्धालु उसे टिकट देता है। इस दौरान आपरेटर बारकोड स्कैन करता है। इसके बाद श्रद्धालु को जाने दिया जा रहा है। ज्ञात रहे कि बारकोड स्कैन और दर्शन किये जाने के बाद इस टिकट की उपयोगिता समाप्त भी हो जायेगी और फिर से स्कैन करने पर कम्प्यूटर इस टिकट को अनवैलिड बता देगा।
पारदर्शिता लाने के लिये एक नई व्यवस्था शुरू की गई है। आगे इसको और भी विस्तारित किया जायेगा।
-संदीप सोनी, प्रशासक, श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति