लॉ कॉलेज में प्राचार्य के कक्ष की सील तोड़ी

अभाविप ने लगाया साक्ष्य मिटाने का आरोप, पुलिस ने किया था सील

इंदौर, अग्रिपथ। शासकीय लॉ कॉलेज में विवादित किताब को लेकर मचे बवाल के बीच शनिवार को पुलिस ने प्राचार्य का कक्ष सील कर दिया था लेकिन सोमवार को सील तोडक़र ताले को खोलने का मामला सामने आया है। छात्र नेताओं ने इसे लेकर कॉलेज प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और कहा कि साक्ष्य को मिटाने की कोशिश की जा रही है। छात्र नेताओं ने नई जांच कमेटी गठित करने की भी मांग की है।

मामले को लेकर कॉलेज के छात्र और अभाविप नेता लक्की आदिवाल का कहना है कि पूरे कॉलेज में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि साक्ष्य मिटाने की साजिश की जा रही है। कॉलेज के एक कर्मचारी पर मामले में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। पुलिस के द्वारा कक्ष को शनिवार को हमारी सूचना के बाद रात 9 बजे सील किया गया था लेकिन सील को खोलकर कुछ सबूत मिटाने की साजिश की गई है।

जांच कमेटी पर उठाए सवाल

छात्र और अभाविप नेता लक्की आदिवाल का कहना है कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि रविवार को जांच कमेटी ने बयान लिए साथ ही शिक्षकों के बयान होना थे। आरोपी टीचर्स ने समर्थक स्टूडेंट को भी बुलाया और अपने समर्थन में बयान देने का कहा। इस तरह पूरे मामले को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। पूर्व प्रिंसिपल ने जो जांच कमेटी बनाई है, उसमें शामिल लोगों को हटाकर निष्पक्ष जांच के लिए एक नई जांच कमेटी बनाई जानी चाहिए।

किसने किताब खरीदी जांच में होगा स्पष्ट, दोषी पर हो कार्रवाई

2014 में कॉलेज प्राचार्य डॉ.सुधा सिलावट के समय किताब खरीदी के सवाल पर छात्र नेता आदिवाल ने कहा कि निष्पक्ष कमेटी जांच करें और जो दोषी हो उसे सजा मिले। किसके समय में किताब खरीदी गई ये जांच में स्पष्ट हो जाएगा लेकिन एजेंडे के तहत उस किताब को कॉलेज में पढ़ाया जा रहा था। किताब के एक-एक पेज पर ऐसी-ऐसी लाइनें है, जो सिर्फ समाज को तोडऩे के लिए लिखी गई है। धर्म और समाज के प्रति हिंसा फैलाने का कार्य किया जा रहा है।

शिक्षकों ने सीएम और डीआईजी को लिखे लेटर

गवर्नमेंट न्यू लॉ कॉलेज के मामले में जिन शिक्षकों पर आरोप लगाए गए है उन्होंने इस मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान और इंदौर डीआईजी को लेटर लिखे है। जिसमें उन्होंने उन पर लगे आरोपों को गलत बताया है। ये लेटर फिरोज एहमद मीर और अमीक खोकर द्वारा लिखा गया है। ये लेटर रविवार को जारी किया गया। साथ ही इसमें शिक्षकों ने अपना पक्ष रखे जाने की भी बात लिखी है।

अजा-जजा विद्यार्थियों को ही देते थे पुस्तक

इंदौर के शासकीय विधि एव नवीन महाविद्यालय में चल रही हिंदुत्व विरोधी पाठशाला मूददे ने तूल पकड़ लिया है। एबीवीपी छात्र नेताओं का कहना है कि जिन पुस्तकों पर विवाद हुआ, उनका इस्तेमाल देश के खिलाफ भीम-मीम थ्योरी स्थापित करने के लिए किया जा रहा था। हिन्दू धर्म और समाज के विरुद्ध जहर उगलती ये पुस्तकें सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति के स्टूडेंट्स को ही मुफ्त दी जाती थी। इस पुस्तक में लिखा गया है कि ब्राह्मण दलितों और शूद्रों को गुलाम बनाना चाहते है।

ढाई दशक से सक्रिय है रैकेट

उधरउच्च शिक्षा विभाग से जुड़े दर्जनों जिम्मेदारों ने फ़ोन कर के बताया कि विभाग में एक रैकेट दो ढाई दशक से सक्रिय है जो प्रोफेसर्स ओर अन्य कर्मचारियों के ट्रांसफर ओर पोस्टिंग के साथ ब्लैकमेलिंग का काम कर रहा है। इन सबका मास्टर माइंड ही ताजा मामले के पीछे है। सरकार को इस पूरे मामले की गम्भीरता से जांच कराने चाहिए ताकि मुख्य मास्टरमाइंड गिरफ्तार हो

समय पर पकड़ लिया नहीं तो हर कॉलेज होता प्रभावित

आरएसएस की स्टूडेंट विंग एबीवीपी ने पूरे मामले ने मैदानपकड़ लिया है। परिषद अगर इस मसले को पकड़ती नही तो शहर का हर कॉलेज में जेएनयू जैसी गतिविधियां सामने ही नही आती। परिषद ने इस मसले पर मातृसंस्था आरएसएस से उम्मीद की है कि अब उच्च शिक्षा विभाग में पसरी उस मानसिकता का सफाया होना ही चाहिए जो 20 साल से हिंदुत्व विरोधी पाठशाला की जिम्मेदार है।

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