मूक व मंदबुद्धि महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में चार को कारावास

देवास, अग्निपथ। बहुविकलांग महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषी पाते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। जिसमें महिला से दुष्कर्म करने वाले तीन आरोपियों को 10-10 साल व मामले की जानकारी होने के बाद भी पुलिस को न बताने पर अवैध रूप से आश्रम चला रहे आरोपी को दो वर्ष कैद की सजा सुनाई है।

जिला लोक अभियोजन अधिकारी राजेन्द्र सिंह भदौरिया के मुताबिक प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, जिला देवास ने अपने फैसले में अभियुक्त मंगलनाम सैंधव को भादंसं की धारा 202 में 02 माह का सश्रम कारावास व 1000 जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं दिव्यांगजन अधिनियम की धारा 50 सहपठित धारा 89 में 4000 रूपये जुर्माना लगाया।

जबकि अभियुक्त भारतसिंह राव, दलपसिंह ऊर्फ दलब एवं मिथुन चौरिसया को भादंसं की धारा 376(2)(एन) का दोषी पाते हुए 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000-5000 रूपये के जुर्माने से दंडित किया गया। इन तीनों आरोपियों ने कई बार पीडि़ता से दुष्कर्म किया था।

अभियोजन कि मूक व मंदबुद्धि महिला को 7 नवंबर २०20 को गर्भावस्था में जिला चिकित्सालय देवास लाया गया था। जहां परीक्षण कर चिकित्सक ने यह अभिमत दिया गया कि पीडि़ता बहुविकलांग है। इसके पश्चात् मूक-बधिर विशेषज्ञ द्वारा पीडि़ता की काउंसलिंग करवाई गई और विशेषज्ञ द्वारा इशारे तथा भाव-भंगिमा समझकर पीडि़ता द्वारा बताई गई घटना का अनुवाद कर लेख किया गया।

परीक्षण के दौरान ज्ञात हुआ कि मूक-बधिर अभियोक्त्री की मानसिक व शारिरीक अक्षमता का लाभ उठाकर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा बलात्संग कारित किया गया है जिस कारण वह गर्भवती हुई है। इसके बाद 22 नवंबर २०20 को थाना बीएनपी देवास द्वारा अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध अपराध दर्ज कर जांच प्रारंभ की गई। अन्वेषण के दौरान अभियुक्त मंगलनाम द्वारा संचालित कबीर आश्रम जामगोद एवं चूना खदान देवास से समब्द्ध व्यक्तियों के डीएनए परीक्षण करवाये गए।

जांच के दौरान ही पडि़ता की पुन: काउंसलिंग करवाई गई और संदेहियों के फोटोग्राफ एक टेबिल पर रखकर पहचान करवाई गई। इस पर पीडि़ता ने अभियुक्तगण को पहचानकर इशारों में बताया कि इन अभियाक्तगण द्वारा उसके साथ एक से अधिक बार दुष्कर्म किया।

पीडि़ता एवं उसकी नवजात पुत्री का डीएनए परीक्षण कराया गया और एफएसएल से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार अभियुक्त भारत राव ही नवजात का जैविक पिता पाया गया। अभियुक्त मंगलनाम को अभियुक्तगण द्वारा पीडि़ता के साथ बलात्संग की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को इत्तिला नहीं दी गई और उसके द्वारा कबीर आश्रम चूना खदान देवास को बिना किसी वैध रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र के संचालित किया जाना पाया गया।

जिसके संबंध में सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण देवास एवं उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं देवास से जानकारी प्राप्त की गई। अन्य आवश्यक अनुसंधान उपरान्त अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उक्त प्रकरण गंभीर जघन्य सनसनीखेज की श्रेणी में चिन्हित था। जिस पर सभी पक्षों से सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला देते हुए आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।

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