भाजपा और कांग्रेस के रणनीतिकारों के बीच सीधा मुकाबला, जीत-हार से तय होगा रुतबा

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भाजपा और कांग्रेस ने नई रणनीति से लड़ा चुनाव तो कार्यकर्ता भी बूथों पर नजर आया

उज्जैन, (राजेश रावत) अग्निपथ। विधानसभा चुनाव में इस बार उज्जैन उत्तर और उज्जैन दक्षिण का मुकाबला दोनों ही दलों के बीच लंबे समय बाद रोचक बना है। इसलिए अभी तक कोई भी परिणाम को लेकर सटीक बात नहीं कह पा रहा है। सभी राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं का मानना है कि पहली बार कांग्रेस से उज्जैन शहर की दोनों ही सीटों पर बागियों के नहीं रहने से मुकाबले में कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों का मानसिक संकट कम हो गया था तो कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति खत्म हो गई थी।

यानी इस बार जिनसे भी जिस भी दल को वोट दिया है वह साफ मानसिकता से दिया है। उ मीदवारों के बीच मुकाबला तो सीधा था ही पार्टी स्तर पर भी दोनों दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के जुटने से नया माहौल बन गया था, जो उज्जैन में तीन दशक के बाद पहली बार देखा गया है। कांग्रेस हो या भाजपा लोगों ने प्रत्याशी के मान मनुहार का इंतजार किए बगैर ही चुनाव में खुद को झोंक दिया था। इस चुनाव को सबने अपने खुद का चुनाव का मानकर लड़ा है। इस चुनाव के अनुभव पर भाजपा के रणनीतिकारों का अपना -अपना अनुभव और दावे हैं।

कांग्रेस कार्यकर्ता स्वत: प्रेरित हुआ

18 साल के वनवास के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता स्वत: मोटिवेट होकर सक्रिय हुआ। इस बार गुटबाजी भी नहीं थी। इसकी वजह से कांग्रेस की परेशानी शून्य हो गई। इस बार हमने उत्तर विधानसभा में भाजपा के कमजोर हिस्सों को फोकस किया था। इसका कारण भाजपा से छह बार के विधायक रहे पारस जैन का मैदन में न होना था। हमने गुरु आखड़ा, अनाज मंडी, वीडी मार्केट में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया और अपनी ताकत लगाकर भाजपा के कार्यकर्ताओं को न्यूट्रलाइज किया। सोनू गेहलोत को टिकट नहीं मिलने से माली समाज का वोट भी कांग्रेस से जुड़ा है। हमने कांग्रेस के वोट बैंक हिंदू और मुस्लिम को अधिक से अधिक सं या में मतदान के लिए लेकर आने का प्रयास किया। इसकी वजह से जहां पिछली बार 65 प्रतिशत मतदान हुआ था वहीं इस बार कांग्रेस के वोट बैंक ने 80 प्रतिशत मतदान किया।

बूथ संभालने की ट्रेडिंग और सिस्टम से काम किया गया

दक्षिण विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी का मार्गदर्शन करने और उज्जैन के चाणक्य कहलाने वाले डॉ बटुकशंकर जोशी का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस बार हर विधानसभा में बूथ के कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दिलाने का काम किया था। हर वार्ड में बूथ पर बैठने वाले कार्यकर्ताओं की भूमिका स्पष्ट होने से चुनाव सिस्टमैटिक रूप से लड़ा गया। उज्जैन उत्तर हो या उज्जैन दक्षिण कार्यकर्ता के मन में किसी प्रकार की शंका नहीं थी। न वह प्रत्याशी को लेकर आशंकित था और न ही चुनाव को लेकर इस वजह से बेहतर काम हुआ और उसका परिणाम भी सबके सामने आएगा। कांग्रेस के कार्यकर्ता ने इमानदारी और लगन से जो काम किया है, यह पहली बार उज्जैन के इतिहास में हुआ है। इसका श्रेय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी को दिया जाना चाहिए। क्योंकि वे हर विधानसभा की चिंता कर रहे थे। हमारा हर कार्यकर्ता चुनाव संचालक के रूप में काम कर रहा था।

जमीनी स्तर से कार्यकर्ता बूथ पर आकर जुटा

कांग्रेस के संगठन मंत्री अजय राठौर का कहना है कि पहली बार कांग्रेस ने संगठन मंत्री का पद बनाया था। शहर अध्यक्ष रवि भदौरिया के साथ मिलकर वे लगातार सक्रिय रूप से पार्टी का कैडर बनाने में जुटे रहे। चुनाव में वह काम आया और सक्रियता से सभी कार्यकर्ताओं ने काम किया। संगठन की ताकत बढऩे से प्रत्याशी को लाभ मिला। राठौर का कहना है कि वे 1980 से चुनाव में सक्रिय रूप से भूमिका निभाते चले आ रहे हैं। इसमें बटुकशंकर जोशी, राजेंद्र भारती, विक्की यादव, माया त्रिवेदी का नाम शामिल है। पहली बार संगठन का कार्यकर्ता टेबल लगाकर बैठा है। मंडलम, सेक्टर और बीएलए लेवल पर कार्यकर्ताओं ने सक्रियता से प्रत्याशी को जिताने के लिए मतदान कराने में अपनी भूमिका निभाई है।

हर कार्यकर्ता को काम और हर काम के लिए कार्यकर्ता का फार्मला काम आया

भाजपा के उत्तर विधानसभा के प्रत्याशी के चुनाव संचालक की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता जगदीश अग्रवाल का कहना है कि उनकी टीम ने हर काम के लिए एक कार्यकर्ता और हर कार्यकर्ता के लिए एक काम का फार्मूला अपनाया था। इससे कार्यकर्ता को तवज्जो तो मिली ही साथ ही हमें काम बांटने से चुनाव लडऩे में आसानी हुई। काम का डिवाइडेशन होने के बाद उस काम की समीक्षा का भी ध्यान रखा गया। यानी हर दो दिन बाद जिसे जो काम दिया गया था उसकी पूछताछ की गई। इससे कार्यकर्ता ज्यादा जागरुक और सक्रिय बना रहा। वह इधर उधर घूमने के स्थान पर खुद फोकस होकर काम करता रहा। अब मतदान के बाद समीक्षा बैठक में उसने बताया कि बूथों और चुनाव में उसने किस तरह से काम किया और उसके इलाके में संगठन किस तरह से चुनाव कितने वोटों से जीत रहा है। इससे हमें अपनी रणनीति के कारगर होने की जानकारी भी मिली है।

पुराने कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया और नए से काम लिया

उज्जैन उत्तर में भाजपा प्रत्याशी के चुनाव में प्रभारी भूमिका निभाने वाले ओम जैन का कहना है कि उज्जैन उत्तर भाजपा की मप्र में सबसे सुरक्षित सीटों से एक सीट मानी जाती है। इसके बाद भी हमने पुराने कार्यकर्ताओं को स मान देने और नए कार्यकर्ताओं को जोडऩे की रणनीति पर काम किया। इससे पुराने कार्यकर्ता अपने अपने वार्ड, इलाकों में सक्रिय रूप से जुड़े रहे। इससे जनता में संगठन के मजबूत और एकजुट होने का मैसेज गया। लोगों को लगा कि यह कार्यकर्ता हर चुनाव में हमारे पास संगठन के लिए वोट मांगने आता था अब भी आ रहा है। यानी संगठन प्रत्याशी के लिए काम कर रहा है। वहीं नए कार्यकर्ताओंं को भी संगठन की रीति-नीति से अवगत कराया। उसे संगठन से जोड़ा। इसका फायदा रहा कि युवाओं ने उत्साह के साथ काम किया और समीक्षा बैठकों में इसका लाभ देखने को मिला है। उज्जैन उत्तर में वैसे भी हिंदू मुस्लिम को लेकर चुनाव लड़ा जाता रहा है। महाकाल लोक जैसे धार्मिक स्थलों के विकास भी भाजपा को लाभ मिला है।

मतदाता और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं में बढ़ी जागरुकता : उज्जैन उत्तर में कांग्रेस के चुनाव संचालक की भूमिका में रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनोहर बैरागी का कहना है कि वे 1980 से चुनाव में सक्रिय रूप से भूमिका निभाते आ रहे हैं। अपने शहर में पर्यवेक्षक और चुनाव संचालक बनकर काम करने का अपना अनुभव है। पहली बार बहुत ही सिस्टमैटिक तरीके से उज्जैन उत्तर का चुनाव लड़ा गया है। पहले इस तरह का व्यवस्थित मैनेजमेंट नहीं होता था। इसे लोकतंत्र की नई परंपरा स्थापित हो रही है। मतदाता और राजनीतिक दल के लोग शिक्षित हो रहे हैं। उनका नया अनुभव उन्हें नए चुनाव लडऩे के तरीके सिखा रहा है। पहले मंडलम, सेक्टर और बूथ और उससे भी आगे जाकर कभी चुनाव नहीं लड़ा जाता था। यानी बहुत ही बारीकी से चुनाव को लड़ा जाने लगा है। इससे कार्यकर्ताओं में अवेयरनेस बढ़ी है।

भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता सबसे ज्यादा मतदान में हुआ सक्रिय

उज्जैन दक्षिण में भाजपा के चुनाव प्रभारी की भूमिका में रहने वाले वासु केसवानी का कहना है कि भाजपा में दो तरह के कार्यकर्ता काम करते हैं। एक 12 महीने सक्रिय रहने वाले कार्यकर्ता और दूसरे मतदान के दौरान सक्रिय होने वाले कार्यकर्ता। मतदान में सक्रिय होने वाले कार्यकर्ता इस बार सबसे ज्यादा मैदान में आए हैं। वे सुबह पांच बजे से सक्रिय हो गए थे। कई पोलिंग स्थानों पर अधिकारी और कर्मचारी लेट हो गए थे। परन्तु भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता बूथ पर पहुंच गया था। इसकी वजह से भाजपा प्रत्याशी को ज्यादा वोट मिलने की संभावना बनी है। भाजपा ने सुनियोजित और व्यवस्थित चुनाव लड़ा है। हमने अपने काम और भविष्य का रोडमैप बताया है।

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