बसंत पंचमी पर धार भोजशाला में पूरे दिन आराधना के स्वर गूंजे, निकली शोभायात्रा

हजारों भक्तों ने मां वाग्देवी को नमन कर यज्ञ में आहुतियां दी

धार, अग्निपथ। ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पर्व धार में बड़े धूमधाम से मनाया गया। वहीं धार मां वाग्देवी का अति प्राचीन मंदिर भोजशाला में हिंदू समाज के द्वारा मनाया गया। बसंत पंचमी के अवसर पर भोजशाला में पूरे दिन आराधना के स्वर गूंजे। हजारों लोग इसके साक्षी बने। राजा भोज के जयकारों से पूरा शहर गुंजायमान रहा।

भोजशाला में सूर्य की पहली किरण के साथ ही पूजन शुरू हुआ। सुबह 6 बजे हवन की शुरुआत हुई जो शाम 5:45 बजे पूर्णाहुति व महाआरती के साथ पूर्ण हुई। भोजशाला परिसर में सैकड़ो बच्चो का वेदारम्भ संस्कार भी किया गया। वसंत पंचमी पर भोजशाला में दर्शन करने के लिए हिंदू समाज का पूरे दिन हजारों भक्तों का तांता लगा रहा।

हिंदू समाज में इस उत्सव को लेकर अलग ही उत्साह देखा जा रहा था। बच्चों से महिला, पुरुष व बुजुर्ग शामिल हुए। मातृ शक्ति ने जुलूस में केसरिया साफा पहना जो आकर्षण का केंद्र रहा। दोपहर को घोड़ा चौपाटी से हिंदू समाज द्वारा शोभायात्रा निकाली गई। मोतीबाग चौक ज्योति मंदिर परिसर स्वामी शैलेशानंद गिरिजी महाराज पंच दशनाम जूना अखाड़ा शांत अद्वैत आश्रम नलखेड़ा जिला आगर- मालवा ने आयोजित एक विशाल धर्मसभा को संबोधित किया। इस दौरान भोज उत्सव समिति पदाधिकारी मंचासीन रहे।

भोजशाला धार के लिए गौरव की बात

धर्मसभा को संबोधित करते हुए मोतीबाग चौक ज्योति मंदिर परिसर स्वामी शैलेशानंद गिरिजी महाराज पंच दशनाम जूना अखाड़ा शांत अद्वैत आश्रम नलखेड़ा जिला आगर- मालवा ने कहा कि आज बड़ा शुभ संयोग है कि माँ सरस्वती के पावन अवतरण का दिन है ही नगर गौरव दिवस भी साथ में मनाया जा रहा हैं,। धार का मां वाग्देवी सरस्वती मंदिर भोजशाला एक पूजनीय स्थल है जो पवित्रता की निर्मलता की मधुरता की देवी है। यहां पुराने जमाने में ज्ञान का भंडार हुआ करता था।

महाराजा भोज और बुद्धिमता की दृष्टि से विद्वान की दृष्टि से उस समय पूरे देश के अंदर इस प्रकार के प्रतापी राजा नहीं थे जिस प्रकार से राजा भोज ने अपना काम किया चाहे वह धार्मिक क्षेत्र में राजनीतिक क्षेत्र में आर्थिक क्षेत्र में सांस्कृतिक और कला के क्षेत्र में हो या साहित्य के क्षेत्र में हो प्रत्येक क्षेत्र में अगर काम करने का और वह भी बेहतरीन तरीके से काम करने का श्रेय जाता है एक हजार साल पहले दुनिया ने भी उसकी कल्पना नहीं की थी नदी जोड़ो अभियान चलाया जा रहा देश के अंदर यह कल्पना भी राजा भोज ने तब की थी । प्रसिद्ध भोजशाला के अंदर माता सरस्वती की स्थापना को लेकर हमारा संघर्ष जारी है ।

हिन्दू समाज पूरे साल करते इंतजार

बसंत पंचमी सरस्वती जन्मोत्सव का हिंदू समाज को पूरे साल इंतजार रहता है। इस पर्व पर भोजशाला में पूरे दिन हिंदू समाज को पूजन अर्चन की अनुमति रहती है। उत्सव को लेकर पूर्व में ही महाराजा भोज उत्सव समिति द्वारा तैयारियां की गई थी। वहीं शहर को भी आकर्षक रूप से भगवा ध्वज व पताकाओं से सजाया गया था। सुबह से ही भक्तों का भोजशाला में आना शुरू हो चुका था जो सूर्यास्त तक जारी रहा।

वहीं परंपरा अनुसार सुबह 12 बजे से मां-वाग्देवी के तैल चित्र को एक बग्घ्घी में रखकर शोभा यात्रा की शुरुआत हुई जिसमें मुख्य अतिथि व समाज के लोगशोभायात्रा में थे। शोभायात्रा लालबाग से शहर के मोहन टॉकीज, धान मंडी, आनंद चौपाटी सहित विभिन्ना मार्गो से होते हुए दोपहर 2 बजे भोजशाला परिसर पहुचीं । शोभायात्रा का शहर में जगह-जगह मंच बनाकर हिंदू समाज व विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों द्वारा स्वागत किया गया।

मां सरस्वती के जयकारे गुंजायमान

शोभायात्रा में हजारों की संख्या में हिंदू समाज के लोग शामिल रहे। इस दौरान युवाओं तथा मातृशक्ति में काफी उत्साह देखा गया। केसरिया पताका को हाथों में लेकर पूरे शहर में सियाराम और राजा भोज के जयकारों से गुंजा। वहीं जैसे ही भोजशाला के बाहर जुलूस पहुंचा इस दौरान हिंदू समाज के लोगों का उत्साह चरम पर देखा गया।

वही मातृ शक्ति का उत्साह चरम पर….मातृशक्ति भोजशाला परिसर में झूम उठी वसंत पंचमी को लेकर मातृशक्ति में एक अलग ही उत्साह देखा जा रहा था। सुबह से ही हजारों की संख्या में मातृशक्ति भोजशाला पहुंची और पूजन अर्चन किया गया। जुलूस में विशेष रुप से मातृशक्ति द्वारा केसरिया साड़ी का पहनावा रखा गया था। रास्ते में वह नृत्य कर मां सरस्वती के जयकारों के साथ वसंत पंचमी की खुशियां मनाती हुई दिखाई दीं।

नगरपालिका की टीम रही मौजूद

वही सीएमओ निशिकांत शुक्ला ने बताया के नगर पालिका 70 से 80 कर्मचारियों द्वारा सुबह से भोजशाला पहुँचकर साफ सफाई की व्यवस्था में लग थे। आने जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी की व्यवस्था के साथ बुजुर्गों को बैठने की व्यवस्था की गई थी। वही इसके साथ महिलाओं के लिए अलग सुरक्षा रूम बनाया था। वहीं नगर पालिका के कर्मचारियों द्वारा जुलूस के बाद शहर की साफ सफाई व्यवस्था को भी संभाली।

यह थे मौजूद

इस आयोजन में भोज उत्सव समिति के अध्यक्ष सुरेश जलोदिया, हेमंत दौराया,अशोक जैन, गोपाल शर्मा, विश्वास पांडे, अरविंद चौधरी, राजेश शुक्ला, कृष्णा नागर, सुमित चौधरी, आदि मौजूद रहे। मां वाग्देवी भोजशाला धार में सरस्वती जन्मोत्सव धर्मसभा में विशेष रूप से मौजूद थे।

प्रशासन की ओर से कलेक्टर प्रियंक मिश्रा, एसपी मनोज कुमार सिंह, आरआई पुरुषोत्तम बिश्नोई, एसडीएम रोशनी पाटीदार, मेघा पवांर, सीएसपी रविंद्र वास्केल, सीएमओ निशिकांत शुक्ला, टीआई कमलेश शर्मा, सविता चौधरी, तहसीलदार दिनेश उईके, संयुक्त कलेक्टर, जगदीश मेहरा, सोहनसिंह झानीया, संयुक्त कलेक्टर अंकिता प्रजापति, डिप्टी कलेक्टर सलौनी अग्रवाल, एसडीएम दीपक चौहान, दीपाली जाधव, समीर पाटीदार आदि के हवाले शहर की व्यवस्था वह बहुत भोजशाला सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा था।

प्रधानमंत्री को लिखा पोस्ट कॉर्ड

भोजशाला शाला के पास मोती बाग चौक पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा पोस्ट कॉर्ड लिखवा कर प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा था। वही सुबह से लगाकर शाम तक करीब हजार पोस्टकार्ड लोगों द्वारा लिखा गए थे । जो प्रधानमंत्री को पहुंचा जाएंगे कार्डों में कई अलग अलग तरीके से लोगों ने अपने भाव कार्ड में लिखे अपने भाव व्यक्त किया और प्रधानमंत्री को कहा कि जल्द हमारी मां वाग्देवी की प्रतिमा धार में स्थापित हो जिसकी हम पूजा अर्चना कर सके अंग्रेजों द्वारा हमारी मां को लंदन में कैद करके रखा है। ऐसी कहि तरह की बात कार्ड में हिन्दू समाज के लोगो द्वारा लिखी थी।

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