पाइप लाइन फूटने से शिप्रा में मिला गंदा पानी, विधायक महेश परमार बैठे धरने पर

शिप्रा को खान नदी के गंदे पानी से बचाने के लिए 626.26 करोड़ के क्लोज डक्ट की डीपीआर तैयार कर भोपाल भेजी

उज्जैन, अग्निपथ। मंगलवार सुबह उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार शिप्रा के घाट पहुंचे। उनको सुबह शिप्रा नदी में नालों का गंदा पानी गिरने की शिकायत मिली थी। उन्होंने नदी में मिल रहे गंदे पानी के बीच डुबकी लगाकर और आचमन कर विरोध दर्ज कराया।

कांग्रेस मीडिया प्रभारी राजेश तिवारी ने प्रेसनोट जारी कर बताया कि कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार सुबह-सुबह सोकर उठे और सूचना मिली कि शिप्रा नदी में एक बार फिर गंदे नालों का पानी तेजी से मिल रहा है और वह भी रामघाट पर। सुनते ही मैं सबसे पहले शहर अध्यक्ष मुकेश भाटी के साथ रामघाट पहुंचा जहां मैंने देखा कि अत्यधिक गंदे पानी के नाले जिसमे मैला भी शामिल है वह शिप्रा नदी के पानी में मिलता ही जा रहा है। श्रद्धालुओं, पंडे, पुजारियों को घाट पर धार्मिक कार्य करने में बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। दरअसल 22 अप्रैल की रात से शिप्रा नदी में गंदे नालों का पानी लगातार बह रहा है।

नाले के पानी से स्नान किया

प्रेसनोट में आगे कहा गया कि इसी से नाराज कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार सरकार का विरोध करते हुए मां शिप्रा में मिल रहे गंदे नाले के पास बैठ गए। उन्होंने नदी में मिल रहे नाले के पानी से स्नान किया और भगवान सूर्य को जल अर्पित भी किया। इस दौरान उन्होंने शपथ ली कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है, तब तक में मां शिप्रा को शुद्ध करने की लड़ाई लड़ता रहूंगा।

शिप्रा मैया स्नान के लिए उज्जैन के नागरिक तो आते ही है, साथ ही हजारों की संख्या में पूरे देश से श्रद्धालु यहां आते हैं। उनकी सुरक्षा तक का ख्याल नहीं रखा जाता बार-बार आंदोलन होने के बाद भी केवल मुंह दिखाई शासन द्वारा होती है लेकिन सुरक्षा के इंतजाम आज भी नहीं है आज भी यहां पर नित दिन जनहानि होती रहती है।

पीएचई अधिकारी बोले- साफ पानी है

पीएचई के असिस्टेंट इंजीनियर एनके भास्कर का कहना है कि गंदा पानी नहीं है। पीने के पानी की पाइपलाइन लीकेज हुई है। यही पानी ओवरफ्लो हुआ है। कचरा और बदबूदार पानी के सवाल पर उन्होंने कहा कि हल्का सा कचरा है।

दो को नोटिस

इस मामले में निगम आयुक्त ने लापरवाही बरतने पर उपयंत्री जावेद कुरैशी व प्रभारी सहायक यंत्री राजीव गायकवाड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।

शिप्रा शुद्धिकरण पर अब नए प्रोजेक्ट का प्रस्ताव

सिंहस्थ 2028 से पहले शिप्रा को खान नदी (इंदौर) के गंदे पानी से बचाने के लिए 626.26 करोड़ के क्लोज डक्ट की डीपीआर तैयार कर भोपाल भेजी गई है। इससे पहले भी अधिकारी शिप्रा को साफ-सुथरा बनाने के नाम पर 21 साल में 650 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। क्लोज डक्ट की डीपीआर जल संसाधन विभाग ने तैयार की है।

विभाग दावा कर रहा है कि प्रोजेक्ट के तहत खान के गंदे पानी को गोठड़ा से शिप्रा में मिलने से रोकेंगे। आरसीसी के पॉकेटनुमा पक्के बॉक्स से डायवर्ट किया जाएगा। बॉक्स का दूसरा सिरा कालियादेह पर रहेगा। यहां से गंदा पानी बाहर निकलेगा।

बीच में पडऩे वाले शिप्रा के त्रिवेणी, सिद्धवट, रामघाट, मंगलनाथ सहित प्रमुख घाट गंदे पानी से बच सकेंगे। इससे पहले अफसरों ने 465 करोड़ से ओपन नहर का प्रस्ताव शासन को भेजा था। अब इसे रिवाइज करके क्लोज डक्ट डीपीआर तैयार की गई है।

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