शिव समय है कम खोलो तीसरा नेत्र, नेस्तनाबूत कर दो विधर्मियों, माफियाओं, अपराधियों को

झाबुआ हे शिव जिस जनता को आप ईश्वर और प्रदेश को अपना मंदिर कहते हैं आज वह इतिहास में सबसे विकट स्थिति में है। कोरोना पीछा छोड़ नहीं रहा। तंत्र बे लगाम हो चुका है, जन की समस्याओं का कहीं समाधान नहीं हो पा रहा। ऊपर से आर्थिक रूप से पिछड़े आदिवासी बाहुल्य जिले की स्थितियां सभी ओर से विकट होती जा रही है। बीते 15 माह जब आप सत्ता में नहीं थे को छोड़ दे तो जिले में माफियाओं का आतंक दिन दुगना रात चौगुना बढऩे लगा।

जिला यूं तो सर्वे में अत्यंत गरीब है किंतु जिले व पड़ोसी जिले अलीराजपुर जिले की गुजरात सरहद की उन दुकानों से जहां के अधिकांश लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले होकर वहां की जनसंख्या एक दो सैकड़ा से अधिक नहीं है। उन शासकीय शारब दुकानों से सत्ता को सवार्धिक राजस्व आबकारी से मिला है। यह कैसे मिला इसका जवाब तो शायद अब आपके तंत्र के पास इस लिए पक्का होगा कि अब तो आने शासकीय शराब दुकानों से बिल देने का प्रावधान जो शुरू कर दिया है।

जिस महुआ का हमारा अंचल उपयोग करता है, जिसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय आदिवासी नेता ने लड़ाई लड़ 5 किग्रा महुआ लहान बनाने की छूट दिलवाई थी। रिकार्ड गवाह है कि आपके आबकारी विभाग ने अधिक केस अवैध शराब की किसके बनाए। कुछ यही स्थिति माफियागिरी की जमीनों को लेकर है। आपकी सरकार ने बीते माह राजस्व रिकार्ड सुधार पखवाड़ा चलाया किन्तु आश्चर्य यह कि राजस्व विभाग अपनी खुद की जमीनों के रिकार्ड न तो सुधार पाया और ना ही अपनी जमीनें बचा पाया।

ऐसा भी नहीं की कुम्भकर्णीय नींद सोए राजस्व विभाग के आला अधिकारियों को इसका ज्ञान नहीं है। विभाग को नींद से जगाने कुछ लोगों ने आवेदन भी दिए परन्तु राजस्व ने अपना ही रिकार्ड नहीं सुधार तो निजी और अन्य खातों की जमीनों के रिकार्ड आवेदनकर्ता के आवेदन बाद भी कितने ओर कैसे किये होंगे। यही नहीं राजस्व विभाग में सीमांकन, बंटवारा, फौती नामांतरण आदि समयावधि में करने के सख्त निर्देश दे रखे हैं।

बावजूद उसके राजस्व विभाग शासन सन्धारीत मंदिरों की भूमियों को अतिक्रमण मुक्त नहीं करवा पा रहा है। इस तरह के मामलों की बानगी जिले के थांदला में सामने आई। जिले में खनिज माफियाओ का अपना अलग ही अंदाज है। जिले की नदियों की काली रेत सिर्फ पंचायत और जनपद स्तरीय कामों में वह भी विधि विपरीत होती है जो जिले के अधिकांश सरपंच अपने क्षेत्र की नदियों से उत्खनन, भंडारण व सप्लग कर करोड़पति बन गए। माहि क्षेत्र के एक रेत माफिया का तो आज तक कोई तोड़ ही नहीं।

जिले में गुजरात से आने वाली बालू रेत के माफिया ने तंत्र की रागों में ऐसा लक्ष्मी तंत्र ठुसा की कि खनिज विभाग से लेकर पूरे तंत्र की तंत्रिका तंत्र पक्षाघात से पीडि़त हो चुकी है। हे शिव खोलो अपना तीसरा नेत्र और कर दो नेस्तनाबूत माफियाओं के साथ विधर्मियों को। अन्यथा जिले में अवैध धर्मिक स्थल और धर्मांतरण सभी रिकार्ड न केवल ध्वस्त कर देगा वरन जिला जहां मिलने और रामराम की मधुर आत्मिय आवाज सुनने मिलती है व विलुप्त हो कर अन्य शब्द सुनाई देने लगेंगे।

बीते कुछ माह से राम की वानर सेना लगातार पंगु बने प्रशासन को मय प्रमाण अवगत कराते हुए आंदोलन भी कर रही किन्तु नतीजा सिफर। तो अपराध माफिया अब जिले में पलक झकाते ही छुरी घोपे हत्या जैसे जघन्य अपराध करने में हिचक महसूस नहीं कर रही। इसका ताजा उदाहरण गुजरात के गोधरा के विधर्मियों ने जिस तरह अपराध को अंजाम दिया उसने राष्ट्रपति की सुरक्षा में रहे आईपीएस की कार्यप्रणाली आप तक पहुंचा दी।

जिले को लगा था कि अब जिले को मिले युवा आईपीएस अपराधों पर पूर्ण नहीं किंतु अधिकांश लगाम लगा देंगे, लेकिन यहां तो शासकीय कार्य व्यवस्था के नाम कपड़े बदलने की तर्ज पर हर 15 दिन या माह में एक फेर बदल होने लगा। अपराधियो की धरपकड़ कर वाहवाही लूटने वाली पुलिस के कप्तान का बजाय अपराध रोकने अपने तमगे में चार चांद लगाने की महत्वाकांक्षा ने जिले में चोरियों, चेन स्नेचिंग, हत्या जैसे जघन्य अपराधों की और मुंह मोड़ दिया। जिले में यातायात का जिम्मा सम्हालने आयी मेडम आते ही विवादों में घिरने लगी।

वर्तमान परिवहन अधिकारी भी पूर्व परिवहन अधिकारी के पदचिन्हों पर उन्हीं से मार्गदर्शन लेकर चलने लगी। इसकी पहली बानगी ही मेडम का राजू को रखवाला बनाने को लेकर हुई, मारपीट और विवादों से शुरू हुई। फलत: परिवहन विभाग भी आबकारी विभाग की तरह बजाय बड़ी मछली पकडऩे के छोटी मछलियों का शिकार कर आपके अहम में बढ़ोतरी कर आपको रामराज में रावण निरूपित करने पर तुली है।

हे शिव अब समय बहुत ही काम है खोल लो अपना तीसरा नेत्र, निकलो वनगमन सबरिया मीठे बेर लेकर पलक पावड़े बिछाए बैठी है। अन्यथा फिर यह मत कहना अब पछताए होत क्या जब चिडिय़ा चुग गयी खेत। जनता जनार्दन आपकी भगवान आप इनके भक्त तो बाजय माफियाओ के जन को कह दो राम की चिडिय़ा राम का खेत, चुग लो चिडिय़ा भर भर पेट।

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