प्रसाद का फसाद, आर्य की अडिय़लबाजी, उजागर हो रही घपलेबाजी

झाबुआ। वाह रहे सरकार राम राजी की सत्ता में आते ही दिया था नारा जीरो टॉलरेंस का अब यही नारा बन रहा सरकार की गले की हड्डी। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने जिले के ग्राम देवीगढ़ में दौरा कर ग्रामीणों तथा स्कूली बच्चो से हालचाल जाने थे तब मंच से सार्वजनिक रूप से कहा था हम दिल्ली से 1 रुपया भेजते है वो झबुआ तक आते आते 25 पैसे बनता है। स्व.राजीव गांधी की ऊक्त बात का बजाय समाधान होने के अब स्थितियां यह हो गयी कि भोपाल,दिल्ली से आने वाला रुपया अब जिले की जनता,या उनके विकास के लिए बचता ही नही।

जिले में ऐसा कोई विभाग नही है जो भ्र्ष्टाचार मुक्त हो और यह दावा कर सके कि यहां बिना रिश्वत अथवा कमीशन के कार्य ईमानदारी से समयावधि में किया जाता है। जिले में आए कलेक्टरों ओर पुलिस अधीक्षकों ने पहले ही जिले को नित नई योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रयोगशाला बना रखा है। वर्तमान कलेक्टर ने भी अनुशरण करते हुए गैर सरकारी संगठन को मिले शिक्षा क्षेत्र के कार्य को एक बार पुन: पूर्व कलेक्टर के आपणी शिक्षा आपणो स्वस्थ की तरह अ से अक्षर ज्ञान की शुरुवात शासकीय स्तर से शुरू की हालांकि योजना अच्छी है किंतु इसके क्रियान्वयन पर बहुत से प्रश्न है।

फिर भ्रस्टाचार सिर चढ़ कर बोल रहा जिले में ओर कलेक्टर सर्फ वातानुकूलित कमरे में बैठ सीएम हेल्प लाइन हो या जनसुनवाई जैसे प्रकरणों को निराकरण का समयावधि में निराकरण करने का आदेश दे कर कर्तव्य की इतिश्री करने में लगे है। मामला जनजातिय विभाग का ही सामने है राज्यपाल के दौरे के समय पेटलावद के एक लव्य आदर्श विद्यालय के विद्यार्थियों ने अपनी पीड़ा राज्यपाल मंगू भाई के सामने उजागर कर दी।

आश्चर्य तो यह कि मंच पर कलेक्टर ओर संसद बैठे देखते रहे बजाय बच्चो को आश्वस्त कर जिम्मेदार को फटकार लगाने के। राज्यपाल के जाते ही शुरू हो गया खेल ठीकरा फोडऩे का अब बारी सबसे पहले अधीक्षिका की थी सो उसे सबसे पहले निलंबित कर जांच शुरू कर दी। जाँच में कमिश्नर ने प्रचार्य प्रसाद को निलंबित किया तो एक दूसरे आदेश ने सरकार और उसके तंत्र की क्रयप्रणाली उजागर करते हुए प्रचार्य का तबादला वह भी प्रमोशन के साथ निकाल दिया।

प्रसाद का फसाद करना विभाग के लिए कोई नई बात नही है इसके प्रमाण दैनिक अग्निपथ के पास सुरक्षित है। बताते है वर्ष 2015 में योगेंद्र प्रसाद संकुल केंद्र कन्या उमावि में प्रचार्य पद पर रहते हुए छात्रवृत्ति घोटाला करते हुए 2 मार्च 2015 को अपने अधीनस्थ कर्मचारी दीपेंद्र चौधरी,स्वागत चौधरी (पुत्र दीपेंद्र),सविता मुकेश मुणिया,जाम्बु जीवन सिंगाड के खातों में क्रमश 16270, 31410, 27620, 10040 में जमा कर आहरित करने के प्रयाश किये किन्तु उप कोषालय के एक कर्मचारी द्वारा जांच में मामला उजागर हुआ था।

साथ ही एक शिक्षिका पूनम के साथ मारपीट करने पर मामला थाने तक भी पहुचा था,एक अन्य शिक्षिका सुनीता जो कन्या उमावि में ही कार्यरत थी से भी गाली गलौच करने पर कर्मचारियों ने कलेक्टर को शिकायत की थी वही मप्र.तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संगठन ने भी 6 अप्रेल 2015 को एक ज्ञापन कलेक्टर के नाम दिया था जिसमे भी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच की शिकायत की थी इतना सब होने के बाद भी प्रसाद का पेटलावद में ही बना रहना और फसाद को जन्म देना जनजातिय विभाग के लिए तमाचा तो है ही साथ ही प्रसाद के फसाद ने सहायक आयुक्त आर्य की अडिय़ल बाजी भी उजागर कर दी।

एक मीडिया बयान में प्रचार्य प्रसाद एकलव्य का ठीकरा सहायक आयुक्त आर्य पर फोड़ते हुए सुनाई दे रहे है। बताते है जिले के सभी सातों एक लव्य आदर्श विद्यालयों में लायब्रेरी व पुस्तके खरीदी हेतु 5-5 लाख यानी कुल 35 लाख रुपये आये थे जबकि इस रुपये की कोई खरीदी की ही नही ओर भोपाली व उज्जैन के सप्लायरों को भुगतान कर दिया।

आश्चर्य तो यह कि इस कार्य की कोई निविदा आमंत्रित नही की गयी। वह इसलिए कि नियमनुसार 25 हजार से अधिक की खरीदी पर निविदाएं बुलवानी पड़ती इस लिए भृष्ट आर्य ने अडिय़ल रुख कर सप्लायरों को टुकड़ो टूकड़ो में भुगतान शुरू कर दिया 25-25 हजार कर।

मामला तब उजागर हुआ जब भोपाल के एक सप्लायर ने जिले में आकर आरटीआई लगाई तब राणापुर प्रचार्य ने तो सप्लायर को 20 हजार रुपये तक ऑफर कर दिए थे किंतु पेटलावद प्रचार्य योगेंद्र प्रसाद ने न खाऊंगा ओर न खाने दूंगा तर्ज पर भोपाली सप्लायर को आरटीआई की जानकारी उपलब्ध करवा दी। बस अब आर्य भी अड़ गए प्रसाद को निपटाने को मौके की तलाश में ओर राज्यपाल के दौरे में पूरे जिले कही शिकायत नही मिली सिर्फ पेटलावदके मिली क्योकि यही से आर्य का 35 लाख का घोटाला कार्यालय से बाहर आरटीआई के पन्नो पर आकर उजागर हुआ।

बताते है यही आर्य रतलाम जिले में पदस्थ थे तब वहां भी ग्रामीण विद्युति करण में करोड़ो का घोटाला किया था जिसकी जांच उज्जैन लोकायुक्त में भी सम्भवत: प्रचलित है। कुल मिलाकर जब तक प्रसाद जैसे फसादी,आर्य जैसे अडिय़ल जिले के जनजातिय विभाग में कुंडली मार बैठे रहेंगे तब तक विभाग का बंटाढार तय है। यानी हमे तो अपनो ने लूटा गेरो में कहा था दम इतना…

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