महाकाल, तेरी क्षिप्रा मैली रह गई भ्रष्टाचारियों के पाप धोते-धोते

उज्जैयिनी की प्राण वायु मोक्षदायिनी क्षिप्रा इन दिनों भाजपा के शासन काल में इंदौर के मल-मूत्र और केमिकल युक्त खान नदी के पानी से अपवित्र होकर अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रही है।

196 किलोमीटर लंबी क्षिप्रा नदी विध्यांचल पर्वत श्रृंखला में स्थित इंदौर के उज्जैनी मुंडला गाँव की ककड़ी बड़ली नामक स्थान से निकलती है। भारत की पवित्र नदियों में शुमार देश की दृश्य स्थली मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध और ऐतिहासिक नदी है। और इस मोक्षदायिनी क्षिप्रा के ही तट पर हमारा उज्जैन बसा हुआ है।

क्षिप्रा नदी का उल्लेख अनेक पुराणों और प्राचीन साहित्य में मिलता है। महाकवि कालिदास ने भी अपनी काव्य कृति मेघदूत में इसका मनोहारी वर्णन किया है। उत्तरवाहिनी क्षिप्रा का 196 किलोमीटर चलने के बाद आलोट के समीप शिपावरा नामक स्थान पर चंबल नदी से संगम होता है।

शायद मोक्षदायिनी क्षिप्रा को कोई श्राप लगा हुआ है तभी इस घोर कलयुग में इसे इंदौरवासियों के मल-मूत्र और प्रदूषित खान नदी को अंगीकार करना पड़ रहा है। शासकीय विभागों के अनेक अभियंता इस क्षिप्रा नदी शुद्धिकरण की बहने वाली गंगा में जिसमें करोड़ों-अरबों रुपया शासन से मुक्त हस्त से इस अभियान में प्रवाहित किया जिसमें डुबकी लगाकर अभियंताओं ने अपनी सात पीढिय़ों का भविष्य सुधार लिया है। शासन के कुछ विभागों के लिये क्षिप्रा का प्रदूषित होना वरदान साबित हुआ।

समय-काल-परिस्थिति के हिसाब से शासकीय विभाग योजना बनाते रहे कभी पंथपिपलाई में स्टाप डेम बनाकर पानी को लिफ्ट करकर खान नदी का प्रदूषित पानी नहरों के माध्यम से किसानों के खेतों तक गंदा पानी पहुँचाने की योजना को मूर्तरूप दिया, कभी रामवासा में डेम, कभी पिपल्वाराघौ में डेम, कभी त्रिवेणी मंदिर के पीछे डेम खूब लूटा जनता के गाढ़े खून पसीने की कमाई को शासन के माध्यम से। जल संसाधन विभाग के अभियंताओं का फिर भी मन नहीं भरा और कान्ह डायवर्शन के नाम से एक और योजना 93 करोड़ की बना डाली सिंहस्थ के नाम का लाभ लेकर जिसमें भोले भाले नागरिकों को सपने दिखाये गये कि इंदौर और साँवेर से आने वाली गंदगी अब क्षिप्रा में नहीं मिलने दी जायेगी।

परंतु शासन की योजनाओं की तरह ‘ढाक के तीन पात’ जल संसाधन विभाग की पूर्व योजनाओं की तरह इस कान्ह डायवर्शन योजना भी बुरी तरह फेल हुई। 30 सितंबर को बारिश काल समाप्ति की शासकीय घोषणा मानी जाती है और स्टॉप डेम बंद कर दिये जाते हैं परंतु दुर्भाग्यवश आज 25 नवंबर देव प्रबोधनी एकादशी के दिन भी इंदौर की प्रदूषित खान नदी इंदौर साँवेर होते हुए रास्ते में पडऩे वाले सारे स्टॉप डेमों से ओवर फ्लो के माध्यम से होती हुई शनि मंदिर पीछे स्थित टूटे हुए स्टॉप डेम से रास्ता बनाते हुए सीधे क्षिप्रा में मिल रही है लिहाजा पूरी क्षिप्रा नदी में खान की गंदगी फैल गई है।

त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक पानी काला हो गया है। नदी में से सडांध उठने लगी। नदी के गंदे पानी और बदबू से लोग स्नान तो ठीक बाहर से आने वाले श्रद्धालु आचमन भी नहीं कर पा रहे हैं। खान डायवर्शन योजना नौसिखिये अभियंताओं द्वारा बनाई गई योजना है जिसके पाइपों का व्यास बहुत ही कम है और मात्र 8 क्यूबिक पानी ही भेजा जा सकता है। और भूमिगत यह डायवर्शन लाईन भी दो दर्जन से अधिक स्थानों पर फूटी पड़ी है जहाँ खेत बैठ जाते हैं वहाँ जल संसाधन विभाग अपने पापों पर पर्दा डालने के लिये मुरम के ट्रक डलवा देता है। शायद यह लाईन अनेक स्थानों पर जाम भी हो सकती है जब नवंबर माह के अंत में यह कान्ह डायवर्शन योजना काम नहीं कर पा रही है तो इस बकवास योजना बनाने वाले जल संसाधन विभाग के अभियंताओं पर तो शासन के धन का दुरुपयोग करने का आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध होना चाहिये।

इस प्रदूषित खान नदी के शुद्धिकरण के नाम से इंदौर में भी शासकीय धन की खूब बंदरबाट हुई है कहीं शुद्धिकरण संयंत्र तो कहीं अन्य योजना के नाम पर। दुर्भाग्य है उज्जैनवासियों का कि शासन के करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी क्षिप्रा शुद्ध नहीं हो पायी हम जहाँ से चले थे वहीं पहुँच गये। चार दिनों बाद मोक्षदायिनी में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान होने वाला है देश भर के श्रद्धालु स्नान के लिये आयेंगे। हम उज्जैनवासी माफी माँगते हें बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं से कि हम आपके डुबकी लगाने के लिये स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं करा सकते हैं क्योंकि हमारी क्षिप्रा मैली हो गई भ्रष्टाचारियों के पाप धोते-धोते।

जय महाकाल

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