गरीब वृद्धा की दर-दर गुहार, न्याय तो मिले किसी द्वार

सबको लगाई गुहार बार-बार, आप से भी उम्मीद एक बार

यह व्यथा जिले के कल्याणपुरा थाने की एक वृद्धा की हे जो अपनी बची कुची जमीन पुलिस से बचाने के लिए थाने से लेकर एसपी तक और कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री ऑन लाइन समाधान उर्फ 181 तक शिकायत के बाद थक हार कर अब न्यायालय का दरवाजा खट खटा ने को मजबूर हुई। बावजूद उसके न्याय नहीं मिलना तंत्र की रौबदार कार्यप्रणाली इंगित करती है।

देश भक्ति जन सेवा का नारा बुलंद करने वाली पुलिस जिसे रक्षक भी कहते ही भक्षक बन जाए तो न्याय की उम्मीद कम ही लगती है। किंतु जब न्याय देने वाले का मुखड़ा और कार्यप्रणाली बदलती है तो सहसा पीडि़त, दुखी के मन में न्याय आस लग ही जाती है। ऐसे ही न्याय की उम्मीद कल्याणपुरा नगर की वृद्धा देवकन्या ज्वला चरण नवागत एसपी श्री तिवारी से कर रही है।

दरअसल वृद्धा की भूमि जिसका सर्वे नंबर 388 में उक्त भूमि राजस्व रिकार्ड में भी वृद्धा के नाम से दर्ज होकर इसका सीमांकन भी किया जा चुका था और परिवार ने उक्त भूमि पर तार फेंसिंग भी करवा दी थी, किंतु कल्याणपुरा थाना प्रभारी ने वृद्धा के नाम दर्ज उक्त भूमि की तार फेंसिंग उखाड़ फेक थाना की बाउंड्री वॉल बनाना शुरू की तो विवाद ने खड़ा होने लगा। पुलिस के पीछे किसी अदृश्य राजनीति का हाथ होने के चलते थाना प्रभारी वृद्धा की जमीन को अपनी निजी जमीन मान मानी करने लगी जिसकी शिकायत वृद्धा देवकन्या ने नीचे से लगा कर उच्च पदस्थ अधिकारियों से की मगर बात नहीं बनी।

अब जब पुलिस अधीक्षक का तबादला होकर नवीन पुलिस अधीक्षक ने पदभार ग्रहण कर लिया तो एक बार पुन: न्याय की आकांक्षा लगाए देवकन्या व उसका परिवार एस पी से मुलाकात की तैयारी कर रहा है।

जांच को भी किया बाधित

देवकन्या ज्वला चारण के नाम पर दर्ज भूमि का पहले सीमांकन भी हो चुका हैं भूमि पर देवकन्या के परिवार वालों द्वारा उक्त भूमि पर तार फेन्सिन्ग की गई थी जो कल्याणपुर थाना प्रभारी द्वारा उसे तोड़ एक पक्की दीवार बना दी गई। जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर की गई थी जिसकी रिपोर्ट बनाने थाने पर गये पटवारी को थाना प्रभारी मिलता हैं तो प्रभारी का कहना होता है। एसआई खान आ जाये तब तक बैठों कई घंटों हो जाते हैं तब तक़ ख़ान नहीं आता है। तब बिना रिपोर्ट बनाये पटवारी आ जाता हैं, दूसरे दिन फिऱ पटवारी रिपोर्ट बनाने के लिये फिऱ थाना कल्याणपुरा जाता है।

तब एसआई ख़ान मिलते वो कहते हैं पटवारी को की आज थाना प्रभारी बाहर गये हुए हैं वो आये तब आ जाना आये दिन ऐसा ही चलने लगा ऐसा करते कुछ दिन निकाल जाते हैं तभी एक दिन थाने पर थाना प्रभारी व ख़ान दोनों मिल जाते हैं। पटवारी आलोक नीनामा शिकायत करता की रिपोर्ट बना रहे होते हैं तब थाना प्रभारी कहते हैं पटवारी को तेरी क्या औकात मेरे सामने तू मेरी रिपोर्ट बनायेगा तेरा पद क्या हैं और मेरा पद क्या हैं?

\इतने में एसआई ख़ान भी पटवारी को चले जाओ यहां से नहीं तो तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा तभी पटवारी आलोक नीनामा कहते हैं। मुझे जिले सें शिकायत की रिपोर्ट बनाने के लिये भेजा है। पटवारी आलोक नीनामा की एक ना सुनी अपने आप को जलील होता देख थाने सें निकल अपने ऑफि़स आ गये।

आफिस आने के बाद मैंने अपने से ऊपरी अधिकारी को इस घटना के बारे में बताया। झाबुआ पहुंचे पटवारी के मोबाइल पर एक संदेश आता है जिसे थाना प्रभारी भेजता है और कहता है इस लेटर में जेसा लिखा ऐसा लिख देना रिपोर्ट में नहीं तो बहुत बुरा होगा। तेरे लिये अब देखना है ऐसे थाना प्रभारी और एसआई ख़ान के खिलाफ पटवारी संघ पटवारी संघ भी कारवाही का मन बना रहा है।

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