प्रकाशवान लैंप की तरह होता है साहित्यकार : अनिल सिंह चंदेल

सरल काव्यांजलि का होली मिलन, कवि सम्मेलन सम्पन्न

उज्जैन, अग्निपथ। अच्छे साहित्य को पाठक आज भी पढऩा चाहते हैं,युवाओं को प्रेरित करने वाला साहित्य आगे आना चाहिए। साहित्यकार विश्वविद्यालय को मार्गदर्शन दें ताकि छोटे छोटे कोर्स शुरू किए जा सके।

यह विचार विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडेय ने सरल काव्यांजलि संस्था के स्व. डॉ.पी एन. नागर को समर्पित अठारहवें होली मिलन एवं कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। यह जानकारी देते हुए संस्था सहसचिव नरेंद्र शर्मा चमन ने बताया कि इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अनिलसिंह चंदेल ने कहा कि डॉ.पी.एन.नागर साहब सबको जोडऩे में विश्वास रखते थे। उन्होंने कहा कि साहित्यकार नाइट लैंप की तरह होता है। वह सदैव समाज के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होता है। बार काउंसिल अध्यक्ष, वरिष्ठ अभिभाषक अशोक यादव ने संस्था को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि कवि समाज का दर्पण होता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कालिदास कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य साहित्यकार डॉ. वंदना गुप्ता ने कहा कि विजन तभी सही बनता है जब मिशन हो। उन्होंने कविता फूलो जैसे खिलते दिन केशर जैसी रात भी पढ़ी जिस पर खूब दाद मिली।

इस अवसर पर शाल, स्मृति चिन्ह, नकद राशि देकर कायथा के हिन्दी मालवी के प्रसिद्ध कवि नरेंद्र नखेत्री को इंजी प्रमोद शिरढोणकर बिरहमन स्मृति सम्मान (श्रीमती आश ागंगा प्रमोद शिरढोणकर द्वारा) प्रसिद्ध हास्य कवि विजय गोपी को, श्रीमती आशा सुपेकर स्मृति सम्मान (एम जी सुपेकर, सन्तोष सुपेकर, प्रदेश कांग्रेस महामन्त्री शेखर सुपेकर द्वारा) वरिष्ठ कवि, मंच संचालक नृसिंह इनानी को शरदचंद्र मोरे स्मृति सम्मान (राजेंद्र देवधरे, श्रीमती सीमा देवधरे द्वारा) प्रदान किए गए।

युवा कवि हर्ष सैनी ने महाकाल के जयकारे लगाते नहीं थकूं, विजय गोपी ने आजादी के दीवाने ये (मुक्तक)। वी एस गहलोत साकित उज्जैनी ने बुझे चिरागों से रोशन मका नहीं होते। नरेंद्र नखेत्री जी ने सुण गांधी देश थारो मुसीबत को मारो हुइग्यो,लोग यांंका भूखे मरे थारी याद आय। सुगनचंद जैन ने गा के वन्देमातरम फंदे को चूम लिया, ऐसे वीरों को प्रणाम करता हूं। श्रीमती कोमल वाधवानी प्रेरणा ने काश जीवन में एक रंग होता भेजी जिसका वाचन आशागंगा शिरढोणकर ने किया।

राजेंद्र देवधरे दर्पण ने बच्चे को गोद में लेते ही बच्चे ने कर दिया हमे गीला। बच्चे की मां बोली होली है भई होली। दिलीप जैन ने प्रतिवर्ष दहन होता है, होली और रावण का अगले ही पल वे हमारे आसपास होते है। डॉ. रामप्रकाश तिवारी जी का वसंत गीत खूब पसंद किया गया। आशीष श्रीवास्तव अश्क ने आइना हूं जैसा है वैसा बताऊंगा, लोकतंत्र का चौथा पिलर हूं। डॉ. मोहन बैरागी ने मन में एक महाभारत सा संघर्षों का समर शेष है। मानसिंह शरद ने दाग मां के आंचल पर लगेगा नहीं आग हो अंगारे हो वीर रुकेगा नही सुनाकर कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की।

प्रारम्भ में शहीद दिवस पर अमर शहीदों राजगुरु, भगतसिंह, सुखदेव को श्रद्धाजलि दी गई, सरस्वती वन्दना डॉ. रामप्रकाश तिवारी ने प्रस्तुत की। संस्था की परम्परानुसार श्रीकृष्ण सरलजी की कविता का वाचन आशागंगा शिरढोणकर ने किया। अतिथि स्वागत डॉ. संजय नागर, डॉ.महेश कानूनगो, मुक्तेश मनावत, सुखरामसिंह तोमर, डॉ.रफीक नागौरी और कमलेश कुशवाह ने किया। स्वागत भाषण संस्था अध्यक्ष सन्तोष सुपेकर ने दिया।

सम्मान पत्रों का वाचन डॉ. नेत्रा रावणकर, संजय जौहरी, डॉ. संजय नागर, आशीष श्रीवास्तव अश्क ने किया तथा संचालन नितिन पोल, नृसिंह इनानी ने किया।

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