भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में राशन सामग्री बांटने वाली पार्षद और उनके पति के खिलाफ एफआईआर

वार्ड नंबर 54 की भाजपा पार्षद निर्मला परमार और पति का राशन बांटते हुआ था वीडियो वायरल, छह माह की सजा हो सकती

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन दक्षिण विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी मोहन यादव के समर्थन में राशन बांटने वाली भाजपा पार्षद निर्मला परमार और और उनके पति करण परमार के खिलाफ निर्वाचन अधिकारी की शिकायत पर नागझिरी थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। मामले की शिकायत कांग्रेस नेता अजीत सिंह ने की थी। इसके वीडियो भी वायरल हो गए थे।

संभागीय जनसंपर्क कार्यालय से जारी प्रेसनोट के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-217 उज्जैन-दक्षिण के आरओ धीरेंद्र पाराशर ने वार्ड-53 की पार्षद श्रीमती निर्मला परमार और उनके पति करण परमार द्वारा वार्ड में खाद्य सामग्री के पैकेट का वितरण किये जाने पर उपरोक्त कृत्य आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में पाये जाने पर उनके विरूद्ध आरपी एक्ट-1951 की सुसंगत धारा तथा आईपीसी की धारा-171 के सुसंगत उपखण्डों एवं धारा-188 के अन्तर्गत प्रकरण पंजीबद्ध कराया जाकर कार्यवाही का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश एआरओ व एफएसटी दल प्रभारी विधानसभा क्षेत्र उज्जैन-दक्षिण अनिल मोरे को दिये हैं।

गौरतलब है कि पार्षद द्वारा वार्ड में मैदा, रवा, तेल और शकर का वितरण किया गया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा था। उक्त सामग्री भाजपा के उ मीदवार डॉ.मोहन यादव द्वारा वितरण हेतु उपलब्ध कराई गई थी।

अजीत सिंह बोले- मंगलवार को फिर एक वार्ड में बांटी घड़ी, कल शिकायत करूंगा

भाजपा प्रत्याशी मोहन यादव को पांच साल लोगों की याद नहीं आई थी। अब चुनाव के समय राशन सामग्री और घड़ी बांट रहे हैं। सोमवार को वार्ड 53 और वार्ड 45 में घड़ी और राशन सामग्री बांटने की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी। इसलिए चुनाव आयोग के निर्देश पर मंगलवार को एक मामले में एफआईआर हुई थी। अभी वार्ड 45 के मामले में एफआईआर नहीं हुई है।

इसके अलावा मंगलवार को फिर से वार्ड 39 में भाजपा नेताओं ने घड़ी बांटी है। इसकी शिकायत बुधवार को चुनाव आयोग से की जाएगी। इसके प्रमाण भी उन्हें सौंपे जाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रत्याशी को हार निकट नजर आ रही है इसलिए लोगों को लालच दिया जा रहा है।

लीगल एक्सपर्ट की ओपीनियन

आचार संहिता उल्लंघन के मामले में वरिष्ठ वकील वीरेंद्र शर्मा का कहना है कि आईपीसी की धारा 171 और धारा 188 लगाई गई है। इसका मतलब है कि प्रतिबंध के बावजूद वह काम किया गया है। इसलिए इन दोनों धाराओं को लगाया गया है। परन्तु इसके साथ ही जिस शासकीय सेवक को आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत मिली है उसका परिवाद भी संग्लन करके पुलिस चालान पेश करेगी।

उसके आधार पर कोर्ट फैसला देगी। अभी सात साल से कम सजा वाले केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक जमानत थाने से मिल जाएगी। धारा 171 में तीन माह की सजा और दो माह का जुर्माना या दोनों की सजा कोर्ट दे सकती है। वहीं धारा 188 में एक माह से छह माह की सजा का प्रावधान है। या दोनों की सजा कोर्ट से दी जा सकती है।

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