मोदी जी! भारत को भ्रष्टाचार रूपी दीमक से बचाइये

अंतर्राष्ट्रीय पारदर्शिता संस्था द्वारा जारी दुनिया के देशों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को लेकर जो भ्रष्टाचार परसेप्शन सूचकांक जारी किया गया है उसमें भारत को 100 में से 40 अंक दिये गये हैं जो गत वर्ष की तुलना में 1 अंक कम है। इसके कारण भारत की रैंकिंग 6 स्थान लुढक़कर 80 से 86 हो गई है। इस बार की सूची में न्यूजीलैंड ने दुनिया में सबसे ईमानदार देश का तमगा हासिल किया है। देशों में व्याप्त भ्रष्टाचार का सूचकांक जारी करने वाली संस्था ने 180 देशों की सूची जारी की है।
अंतर्राष्ट्रीय पारदर्शिता संस्था एक गैर सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय जर्मनी के बर्लिन शहर में है। इसकी स्थापना 5 मई 1993 को हुई थी। संस्था के संस्थापकों में विश्व बैंक के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक पीटर आईगन शामिल हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सी.पी.आई.) विकसित किया। व्यापारिक लोगों से किये सर्वेक्षणों से भ्रष्टाचार की व्यापकता के आधार पर सूचकांक जारी किया जाता है।

भ्रष्टाचार के निवारण पर ध्यान केन्द्रित कर हर वर्ष सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है जिससे दुनिया भर के देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति का मूल्यांकन होता है। मत सर्वेक्षण और विशेषज्ञों के आंकलन के आधार पर बोध होने वाले भ्रष्टाचार को मापा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय पारदर्शिता संस्था देशों को भ्रष्टाचार रूपी सामाजिक बुराई को दूर करने के उपायों की सलाह भी देती है। बात करते हैं दुनिया के सबसे ईमानदार देश न्यूजीलैंड की जिसको 88 अंक प्राप्त हुए हैं।

स्विटजरलैंड के बाद दुनिया का सबसे खूबसूरत देश जो अपनी सुंदरता और न्यूजीलैंडवासियों के खुश रहने के सूचकांक के कारण जाना जाता है। लगभग 49.2 लाख जनसंख्या वाले इस देश का क्षेत्रफल 268,021 वर्ग किलोमीटर है, न्यूजीलैंड में प्रति व्यक्ति आय 28 लाख, 73 हजार 274 रुपये प्रतिवर्ष है अर्थात प्रत्येक न्यूजीलैंडवासी लगभग ढाई लाख रुपये महीना कमाता है। ईमानदारी में दूसरे नंबर पर डेनमार्क है जो कि शांतिप्रिय और हैप्पीनेस के लिये दुनिया में टॉप पर है।

बहुत कम खर्चे में सामान्य जीवन जीने वाला यह देश ईमानदारी में 88 समान अंक प्राप्त करके भी दूसरे नंबर पर है। डेनमार्क की जनसंख्या 58.1 लाख है और क्षेत्रफल 42933 वर्ग किलोमीटर है और डेनमार्क निवासी प्रत्येक व्यक्ति की आय भारतीय रुपये में 41 लाख 12 हजार 698 रुपये है अर्थात प्रतिमाह लगभग साढ़े तीन लाख रुपये।

85 अंकों के साथ तीसरा सबसे ईमानदार देश फिनलैंड है जो यूरोप का देश है। अतिविकसित फिनलैंड के निवासी का रहन-सहन कमाल का है। इस देश की खूबसूरती देखने दुनिया भर के पर्यटक यहाँ आते हैं, यहाँ का वेतन दुनियाभर के देशों से ज्यादा है। फिनलैंड की आबादी मात्र 55.2 लाख है, क्षेत्रफल 33 हजार 844 वर्ग किलोमीटर है और प्रति व्यक्ति आय 35 लाख 41 हजार 834 रुपये अर्थात फिनलैंडवासी को प्रतिमाह लगभग 3 लाख रुपयों की आय है।

ईमानदारी में चौथे नंबर पर एशिया महाद्वीप का सिंगापुर देश है जो टॉप-10 में एशिया का इकलौता देश है ईमानदारी के सूचकांक में इसे भी 85 अंक ही प्राप्त है बेहद अमीर इस देश की जनसंख्या 55 लाख है और यह मात्र 750 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहाँ पर प्रति व्यक्ति आय 45 लाख 70 हजार 555 रुपये है, लगभग 3 लाख 75 हजार प्रतिमाह आय है सिंगापुरवासियों की।

ईमानदारी में मामले में इन देशों के बाद स्वीडन, स्विटजरलैंड, नार्वे, नीदरलैंड, केनडा और लक्समबर्ग का नंबर आता है। हमारे एशिया की हालत दयनीय है।180 देशों में पाकिस्तान 124वें, बांग्लादेश 146वें, चीन को 78वां और रूस को 129वां स्थान मिला है।

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा है। नवंबर में जारी एक सूचकांक में भारत के लोग रिश्वतखोरी के मामले में एशिया में टॉप पर है। हर 5 में से एक भारतीय रिश्वतखोरी का शिकार है। दूसरे नंबर पर कंबोडिया में सर्वाधिक रिश्वतखोरी है। सबसे ज्यादा 46 प्रतिशत भारतीय, पुलिस थाने में घूसखोरी का शिकार होते हैं।

भारतीय जनमानस के लिये यह चिंतन का विषय होना चाहिये कि जिस देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा आदमी हो, जिसके दामन पर इतने लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने के बाद भी भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा हो, जो सार्वजनिक रूप से कहता हो ‘ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा’ जिसके परिवार के किसी सदस्य पर भी भ्रष्टाचार के आरोप ना लगे हो, मोदी की ईमानदारी पर हर 138 करोड़ भारतीय को गर्व हो फिर भी देश में भ्रष्टाचार कम होने की जगह बढ़ रहा हो यह चिंताजनक बात है जिस पर भारत सरकार को गहन मंथन करना चाहिये और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध सख्त कानून बनाये जाने चाहिये अन्यथा भ्रष्टाचार रूपी दीमक भारत को खोखला कर देगी।

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