लड्डू प्रसादी के पैकेट पर मंदिर के फोटो पर आपत्तिहाईकोर्ट पहुंचा धार्मिक भावना आहत होने का मामला

उज्जैन आये याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने प्रेस कांफ्रेंस रोकी

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में लड्डू प्रसाद पैकेट पर मंदिर की फोटो का विवाद हाईकोर्ट पहुंचने के बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मंदिर समिति को तीन महीने में मामले का निराकरण करने के लिए कहा है। मामला सामने आते ही याचिकाकर्ता उज्जैन में प्रेस कांफ्रेंस करने आए लेकिन इससे पहले मंदिर समिति प्रशासन ने याचिकाकर्ता के वकीलों को अपने पास बुलाकर आगामी 6 मई तक का समय मांग लिया,मंदिर समिति अब 6 मई को होने वाली प्रबंध समिति की बैठक में लड्डू पैकेट के लिए निर्णय लेगी।

19 अप्रैल 2024 को महंत सुखदेवानंद ब्रह्मचारी गुरु श्रीमहंत योगानंद, ब्रह्मचारी श्री शंभु पंच अग्नि अखाड़ा इंदौर और पं. शरद कुमार मिश्र, गुरु श्री स्वामी राधाकान्ताचार्य जी महाराज श्री दुर्गाशक्ति पीठ ने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। इसमें महाकाल मंदिर के लड्डू प्रसादी के पैकेट पर महाकाल मंदिर, ओंकारेश्वर और ऊँ छापने को गलत बताया गया। इसे हटवाने की मांग की थी। इसको लेकर कोर्ट में तर्क दिया गया कि प्रसाद खाकर डिब्बे कूड़ेदान में फेंक देते हैं।

कोर्ट में बताया कि महाकाल मंदिर प्रबंध समिति लड्डू प्रसाद वितरण करती है। इसके बॉक्स पर महाकाल मंदिर का शिखर, जिसमें ओम और शिखर के मध्य में नागचंद्रेश्वर मंदिर का फोटो लगा है। प्रसाद लेने के बाद लोग खाली पैकेट को डस्टबिन में फेंक देते हैं। अयोध्या में लाखों डिब्बे भेजे गए, जो बाद में कूड़ेदान में फेंक दिए गए। धर्म के हिसाब से यह अनुचित है।

अब 6 मई की बैठक का इंतजार

याचिकाकर्ता के वकील अभिष्ट मिश्र ने बताया की कोर्ट द्वारा निराकरण करने की बात सामने आते ही इंदौर के अन्य याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रघुनंदन सोनी, अनुपम भटेले, तुषार दुबे शनिवार को अपनी बात प्रेस के सामने रखना चाहते थे। लेकिन सुबह हम प्रेस क्लब पहुंचते उससे पहले महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक मृणाल मीणा, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, एडिशनल एसपी जयंत राठौर ने हमको मंदिर बुलाया और आगामी 6 मई को होने वाली महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में पैकेट में महाकाल मंदिर के फोटो हटाने का निर्णय लेने और पूरे मामले के समाधान का आश्वासन दिया है। अब हम 6 मई को बैठक में होने वाले निर्णय का इन्तजार करेंगे उसके बाद आगे की रणनीति बनाएंगे।

धार्मिक भावनाएं हो रही हैं आहत

वकील अभीष्ट मिश्र के अनुसार हमने कोर्ट को बताया कि प्रसाद वितरण मंदिर प्रबंध समिति करती है। भक्त प्रसाद का उपभोग कर बॉक्स डस्टबिन में फेंक देता है, इससे सनातन धर्म का अपमान हो रहा है। अयोध्या में लाखों डिब्बे भेजे थे जो बाद में कूड़े दान में फेंके गए। यह भी बताया कि वैष्णो देवी और गोल्डन टेम्पल अमृतसर का प्रसाद में भी कोई चित्र नहीं रहता है, मंदिर अधिनियम में भी नहीं लिखा की डब्बे कैसे रिसाइकिल करेंगे।

मंदिर समिति से पीएम कार्यालय तक शिकायत कहीं सुनवाई नहीं हुई

वकील मिश्र ने बताया कि प्रसादी पैकेट भक्त उपयोग के बाद फेंक देते है। मंदिर के फोटो छपे डब्बे  कचरे के ढेर में मिलने से सनातन धर्म का अपमान होता है। इसी को लेकर हमने दो बार मंदिर समिति को आवेदन दिया। नही सुनने पर  संत मंदिर के प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिले। बाबजूद निराकरण नहीं हुआ। तत्पश्चात पीएम मोदी को भी शिकायत की थी जो पीएमओ कार्यालय से सीएम हेल्प लाइन तक पहुंची। यहाँ कहा कि मंदिर समिति में बात हो गई है। निराकाण जल्द हो जाएगा।पर कुछ नहीं हुआ तब मजबूरन कोर्ट जाना पड़ा।

महाकाल के लड्डू प्रसाद की डिमांड विदेशों तक

बता दे कि महाकालेश्वर मंदिर का लड्डू प्रसाद शुद्ध घी और बेसन से बनाकर विक्रय किया जाता है। प्रसाद बडी मात्रा में देश ही नहीं विदेशी भक्त भी लेकर जाते है। प्रतिदिन करीब 50 किवंटल लड्डू मंदिर समिति बनवाकर 100 ,200 , 500 ग्राम और एक किलो के पैकेट में मिलता है। लड्डू प्रसाद 400 रुपए किलो में मिलता है। मंदिर समिति प्रति माह 12 हजार लड्डू प्रसादी पैकेट प्रिंट करवाती है।

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