131 दिन बाद झाबुआ में नहीं मिला एक भी संक्रमित, फिर भी गाइड लाइन का पालन करना होगा

झाबुआ। 131 दिन बाद झाबुआ को कुछ राहत मिली है। वजह यह है कि गुरुवार को कोरोना का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है। इससे पहले 19 जनवरी को एक भी संक्रमित नहीं मिला था। उसके बाद नए केस बढ़ते ही चले गए।

एक समय तो सक्रिय मरीजों की संख्या 1500 के भी पार हो गई और हर रोज 200 से अधिक मरीज मिलने लगे। अब जून झाबुआ के लिए राहत लेकर आया है। गुरुवार को पिछले साढ़े 4 महीने में पहली दफा कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया जबकि 1180 जांच हुई हैै, इस जांच में एक भी रिपोर्ट पाजीटिव नहीं आई है। सभी सैंपल निगेटिव पाए गए हैं। भयावह दौर से गुजरे झाबुआ के लिए यह फिलहाल राहत का विषय है, लेकिन लंबे समय तक इस स्थिति को बनाए रखने के लिए हर स्तर पर हर व्यक्ति को सावधानी रखना होगी।

इस साल की शुरुआत में कोरोना की रफ्तार कम थी लेकिन कोरोना का आंकड़ा शून्य पर नहीं जा रहा था। 19 जनवरी को शून्य मामले निकले। उसके बाद मार्च तक तीन से पांच मामले औसत रूप से प्रतिदिन सामने आते रहे। कोरोना कायम रहा, इसके तेवर जरूर कम पड़ गए।

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डा. बीएस बघेल का कहना है कि लापरवाही के गंभीर परिणाम हम भुगत चुके हैं। अब हर किसी को सतर्क रहना होगा। महामारी से बचाव के तरीके सभी को पता है। सिर्फ अमल करने में उदासीनता रख ली जाती है।

होली के बाद बिगड़े हालात

भगोरिया पर्व धूमधाम से मना। गांव-गांव में शादियों की धूम मची। इसी माहौल में होली का पर्व मना। होली पर्व गुजरते ही स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी। अप्रैल में तो देखते ही देखते हालात बिगड़ गए। मरीज गंभीर होने लगे और निजी अस्पतालों ने आक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध नहीं होने का कहकर मरीजों को लौटाना शुरू कर दिया। जिला अस्पताल में भी पलंग कम पड़ गए। इस दयनीय स्थिति ने परिदृश्य ही नकारात्मक बना दिया। मई में जाकर स्थिति संभलना शुरू हुई, लेकिन पूरा माह गुजर गया।

जून लाया राहत

जून की शुरुआत राहत भरी हुई है। 1 जून को यहां सिर्फ 4 नए मामले निकले। 2 जून को तो एक भी मामला कोरोना का सामने नहीं आया है। सक्रिय मरीजों की संख्या अब मात्र 56 पर पहुंच गई है। 56 में से भी 35 होम आइसोलेट हैं। 76 कोविड बेड वाले जिला अस्पताल में मात्र दो मरीज रह गए हैं। 15 मरीज जरूर जिले से बाहर उपचार करवा रहे हैं। पेटलावद के सिविल अस्पताल में 4 मरीज अभी भी भर्ती हैं।
हमारे हाथों में अब भविष्य
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कई तरह की जानकारियां इंटरनेट मीडिया पर कई दिनों से फैल रही हैं। हालात बदलने से शासन-प्रशासन ने छूट भी दे दी है। बस याद हर पल यह रखने की जरूरत है कि महामारी अभी भी अस्तित्व में है। यदि थोड़ी भी लापरवाही की तो महामारी फिर से अपना शिकंजा कस सकती है। 46 दिन का जनता कफ्र्यू जिला झेल चुका है। आर्थिक गतिविधियां व्यापक रूप से प्रभावित हुई हैं। लापरवाही करने पर संक्रमण फिर से बढ़ सकता है। अब हमारे हाथों में ही भविष्य है। यदि बचाव के तरीके उपयोग में लेते रहे तो जिला कोरोना मुक्त बन सकता है।

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