खाकी पर लगे दागों को धोने का सफल प्रयास

उज्जैन पुलिस में पिछले दिनों कप्तान द्वारा की गई आधी-अधूरी सर्जरी के बाद सुखद परिणाम आना चालू हो गये हैं। यदि यह सर्जरी पूरी तरह से हो जाती तो शायद आने वाले दिनों में नगरवासियों को एक पूरी तरह से बदली हुई नयी छवि पुलिस की नजर आती। इस बार की सर्जरी में भी राजनैतिक नेताओं के मुँह लगे और उनके हर अनुचित कार्य में मदद करने वाले भ्रष्ट आरक्षक बच गये हैं जो जिले के थानों में रसूखदार बनकर जमे हुए हैं। हो सकता है इनमें से कुछ आरक्षकों को थानों पर पदस्थी हुए 1-2 साल ही हुए हो परंतु कम समय में भी संबंधित थाना क्षेत्रों के अपराधियों से इनके प्रगाढ़ संबंध बन गये हैं।

शायद पुलिस विभाग की सर्जरी में भी पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल राजनैतिक प्रभाव से बच नहीं पाये। बेहतर होता पुलिस कप्तान जिले के थानों में जमा खाकी पर कलंक, भ्रष्ट पुलिस आरक्षकों के कारनामों और अपराधियों से उनकी सांठगांठ का पूरा चि_ा और जन्मकुंडली राजनेताओं और जन प्रतिनिधियों के समक्ष रखकर उन्हें विश्वास में लेते तो शायद चाहते हुए भी राजनेता इन भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की पैरवी करने की हिमाकत नहीं कर पाते।

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है यदि समय रहते इनकी पूरी तरह से सफाई कर दी जाये तो यह अपराधियों से गठजोड़ का नासूर काफी लंबे समय तक निष्क्रिय किया जा सकता है। साथ ही कुछ नगर सैनिक भी वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं उनके तिलस्म को भी तोड़ा जाना जरूरी है। मीडिया से स्वस्थ संबंध रखने के लिये मैं अग्निपथ की ओर से पुलिस कप्तान श्री शुक्ल को साधुवाद देना चाहता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि पुलिस और प्रेस के संबंध और प्रगाढ़ हो क्योंकि चापलूसी, चाटुकारिता, भटैती करने वाले पत्रकारों को छोडक़र यदि सही ढंग से पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करने वालों पत्रकारों से अगर पुलिस मित्रता रखती है तो दोनों को ही अपने-अपने कत्र्तव्यों को पूर्ण करने में सफलता मिलेगी।

पुलिस यदि प्रेस को दुश्मन ना समझकर मित्र समझेगी तो उसे समाज के अंदर की बहुत सारी जानकारियाँ मिलेगी साथ ही अपराध और अपराधियों के बारे में समय-समय पर सूचनाएँ भी प्राप्त होती रहेगी।

उदारमना पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल ने जहाँ एक ओर जिला प्रशासन के साथ मिलकर अपराधियों के विरूद्ध मोर्चा खोल रखा है जिसमें गुंडे बदमाशों के मकान जमींदोज किये जा रहे हैं जिससे नागरिकों में पुलिस और कानून के प्रति विश्वास बढ़ रहा है, साथ ही असामाजिक तत्वों में दहशत है और उनकी आपराधिक मानसिकता हतोत्साहित हो रही है। एक ओर गुंडे बदमाशों पर सतत् प्रहार दूसरी ओर पिछले सप्ताह पुलिस और प्रशासन की दो कार्यवाहियों ने नागरिकों का दिल जीत लिया है और इस सहृदयता वाले कार्य से पुलिस की एक सकारात्मक छवि समाज के सामने उभर कर आयी है।

पहला कार्य थाना महाकाल द्वारा की गई कार्रवाई का है जिसमें जयसिंहपुरा स्थित एक गरीब महिला के मकान पर वहीं के प्रभावशाली बदमाश ने ब्याज पर दिये गये रुपयों के एवज में उसे मकान से बेदखल कर बलात कब्जा कर लिया था। जबकि महिला का कहना था कि वह मूलधन से कई गुना पैसा ब्याजखोर को दे चुकी थी। जिला प्रशासन के दबंग अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी श्री नरेन्द्र सूर्यवंशी ने पुलिस के साथ जाकर उस महिला को उसका मकान वापस दिलवाया उस महिला ने प्रशासन को दुआएँ दी।

दूसरा उम्दा कार्य कल माधव नगर पुलिस ने 87 वर्षीय निर्मला देवी जिनका मकान एल.आई.सी. ऑफिस के पीछे है उनके मकान पर धारा 302 के आरोपी दिलीप उर्फ अंडा जिस पर 10 हजार का ईनाम भी घोषित है उसने सन् 2019 से महिला के मकान पर कब्जा कर लिया था।

वृद्ध महिला की गुहार पर पुलिस कप्तान ने संज्ञान लेते हुए आरोपी अंडा से मकान का कब्जा छुड़ाकर मुक्त कराकर महिला को सौंपा। निश्चित तौर पर इन दो कार्यों से पुलिस प्रशासन ने सकारात्मक भूमिका निभाकर समाज का दिल जीता है और खाकी पर लगे दागों को धोने का प्रयास किया है। उज्जैन पुलिस द्वारा किये गये इन सत्कार्यों से पूरे प्रदेश का पुलिस प्रशासन प्रेरणा लेगा हम ऐसी उम्मीद करते हैं।

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