स्ट्रक्चर कमजोर: महाकालेश्वर मंदिर के पास चलाया वाइब्रेटर

एएसआई और जीएसआई की टीम पहले ही बता चुकी कमजोर, विशेषज्ञ की देखरेख में नहीं हुआ काम

उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष शिवलिंग क्षरण और मंदिर के स्ट्रक्चर की जांच को आने वाली आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) की टीम के केंद्रीय सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर के स्ट्रक्चर को कमजोर बताया था और हाल ही के दौरे में उन्होंने नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश करने के लिए बनाए गए लोहे के कालम को हटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन विशेषज्ञों की देखरेख के अभाव में कालम को निकालने के लिए शुक्रवार को वाइब्रेटर का इस्तेमाल किया गया।

प्रतिवर्ष नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन करने के लिए आम श्रद्धालुओं के प्रवेश के लिए लोहे की अस्थाई सीढियां लगाई जाती थी। सीढिय़ां ओंकारेश्वर मंदिर के किनारे से लगे हुए लोहे के कॉलम के ऊपर टिकाई जाती थी और श्रद्धालुओं को प्रवेश कराया जाता था। लेकिन शिवलिंग क्षरण को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने एएसआई और जीएसआई की केंद्रीय टीम को शिवलिंग क्षरण और मंदिर के स्ट्रक्चर की जांच करने के लिए भेजा था।

जिसमें दोनों ही टीमों ने मंदिर के स्ट्रक्चर का परीक्षण कर इसे कमजोर माना था और विगत 2 वर्ष से नागपंचमी पर्व पर किसी भी श्रद्धालु को नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। हाल ही में केंद्रीय जांच दल ने आकर ओंकारेश्वर मंदिर नागचंद्रेश्वर मंदिर के स्ट्रक्चर की जांच पुन: की थी। जिसमें उन्होंने इसको कमजोर पाया था। लिहाजा जाते-जाते उन्होंने ओंकारेश्वर से सटाकर नागचंद्रेश्वर मंदिर तक लगाए गए लोहे के कालम को हटाने के निर्देश प्रदान किए थे।

कांक्रीट तोडऩे के लिए वाइब्रेटर

विगत 5 दिन से लोहे के कालम को हटाने का कार्य मंदिर की निर्माण शाखा द्वारा किया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों की देखरेख में काम नहीं किया जा रहा है। लिहाजा पहले तो लोहे के कालम को काटकर पांच 5 फीट के टुकड़े निकाले गए। इसके बाद जब कालम बिल्कुल जमीन की सतह तक आ गया तो उसके अंदर भराव के लिए भरी गई ठोस कांक्रीट को तोडऩे के लिए वाइब्रेटर का इस्तेमाल किया गया। वाइब्रेटर का इस्तेमाल करते समय आसपास की जमीन भी कंपन कर रही थी। ऐसे में ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर मंदिर के स्ट्रक्चर को खतरा हो जाता। वाइब्रेटर इस्तेमाल करने की इजाजत आखिरकार किस अधिकारी ने दी यह तो जांच का विषय है। लेकिन इतना तो तय है कि वाइब्रेटर के इस्तेमाल से नुकसान होने की पूर्ण संभावना बन गई थी।

ठोस कांक्रीट को तोडऩे के लिए जतन

लोहे के कालम के अंदर मजबूती के लिए डाले गए ठोस कांक्रीट को तोडऩे के लिए वाइब्रेटर का इस्तेमाल तो किया गया, लेकिन काफी प्रयासों के बाद बमुश्किल तोड़ा जा सका। इसके लिए काफी देर तक वाइब्रेटर चलाया गया। इसके चलाने के दौरान मंदिर में आवाज आती रही और कंपन होता रहा।

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