ऐडा बन पेड़ा खा रहे आर्य, शिक्षा गुणवत्ता को लगा रहे पलीता

झाबुआ  जिले की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह जनजातीय विभाग के अधीन है। जनजातीय विभाग में व्यवस्था का जिम्मा निभाने वाले सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य वैसे तो शांत स्वभाव के अधिकारी नजर आते हैं, किन्तु ऐसी शांति किस काम की जिसमें बीईओ से लेकर प्राचार्य गच्च हो, हरियाली महोत्सव मना रहे हो और साहब नीरो की तरह बंशी बजा रहे हो। चाहे वह थांदला कन्याशाला के प्रभारी प्राचार्य एस कुमार हो या मेघनगर के हेडमास्टर प्राचार्य नायक, झाबुआ उत्कृष्ट के प्राचार्य खुराना हो, पेटलावद के बीईओ हुक्कू व रामा के सिरोठिया। ये सब प्रभारी होते हुए भी प्रभावी रहे व साहब मूक दर्शक।

बताते है घुटना पर की तरफ ही झुकता है। उसी तर्ज पर आर्य ने जिले में अंधा बाटे रेवड़ी अपने वालो को प्रभार दे दिए व लूट सको तो लूट, पूरी है छूट की तर्ज पर कार्य जारी है। कलेक्टर सोमेश मिश्रा भी बस काम चलाऊ की तरह भृष्ट प्रिंसिपल पर मूक है, तथा आर्य को वरदहस्त दे दिया है द्रोणाचार्य रूपी प्रिंसिपल को। मोरडूडिया, मॉडल विद्यालय में भी वर्षो कृषि के व्याख्याता नायक पदस्थ है जोकि आवासीय विद्याल होने के बाद भी झाबुआ से अपडाउन करते है बजाय पढ़ाने के प्रभारी बन ऐश कर रहे, तो राणापुर का कभी बीआरसी रहा एस कुमार कालांतर में मॉडल एकलव्य आवासीय विद्यालय में सप्लायर से मिलीभगत व भुगतान में हेराफेरी के चलते जनप्रतिनिधियों के निशाने पर रहने से, पद से तो हटा पर विद्यालय में अंगद की तरह अडिग उसके कारनामों पर भी शांत कपोत उड़ा रहे हैं इन पर भी आर्य का वरदहस्त है।

मेघनगर उत्कृष्ट के प्रभारी प्राचार्य नायक ने अतिथि शिक्षक ने बोल-बाले अपने वालों की ऑफलाइन भर्ती कर दी पर आर्य के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। मेघनगर विकासखंड के स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं पर आर्य ने एक व्याख्याता को बीच सत्र में हायर सेकेंडरी का प्रभार दे दिया जबकि उस विषय की मदरानी में नितांत आवश्यकता है। सहायक आयुक्त ने अतिथि शिक्षक के ग्रीष्म काल के वेतन के मामले में भी प्रिंसिपल को क्लीन चिट दे दी। जब कलेक्टर को लिखित शिकायत हुई थी गर्मी का वेतन अन्य संस्था में मिला। शिक्षा विभाग पर जनजातीय विभाग की संस्था में नहीं तो खुद जांच करने के आर्य ने प्राचार्य की एक रिपोर्ट को ही सही मान लिया हमने कोई कार्य नही लिया।

मेघनगर ब्लॉक में बीईओ के मुख्यालय पर नही रहने,बीईओ कार्यालय भ्रष्टचार के मामले में लेखपाल निलंबित होने व विभाग की शाख गिरने पर भी प्रशांतजी शांत ही बैठे रहे व मिश्राजी मौन। मेघनगर,थांदला उत्कृष्ट विद्यालय में अतिथि शिक्षक ऑफ लाइन मनमानी पर न कलेक्टर ने नजऱे टेढ़ी की न आर्य ने। मेघनगर के सरकारी आवासों को अपडाउन करने वालो को अलाट करने वालों को भी आर्य ने क्लीन चिट दे दी।

थांदला के एस कुमार के मॉडल एकलव्य में घोटाले की खबर, रसायन शास्त्र में दो साल पहले छात्राओं की धमकी आदि पर भी आर्य, एस कुमार के बचाव में ही खड़े रहे। बार बार निवेदन के बावजूद पीपलखूंटा की मिडिल स्कूल में एक भी शिक्षक को अटैच नहीं किया व अतिथियों के हवाले, तो रंभापुर बालक उमावि में कॉमर्स के अतिथि शिक्षक, राजनीति विषय के अतिथि शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई व विद्यालय में पदस्थ प्राथमिक, मिडिल शिक्षकों से हायर सेकेंडरी का कार्य लिया जा रहा है। यहां अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति न कर बेरोजगार युवाओं के मुंह से निवाला छीना जा रहा है।

बताते हैं जनजातीय विभाग के जिला संयोजक पद पर रहते शांत स्वभावी आर्य अपने कार्यकाल के दौरान रतलाम में वर्ष 2016 में करोड़ों के बिजली पोल घोटाले में लिप्त रहे जिसकी जांच लोकायुक्त में भी जारी है। स्कूलों में एक सप्लायर द्वारा सेनेटाइजर लगाने में भी आर्य का अधीनस्थों को पूर्ण संरक्षण है। बताते हैं उक्त सप्लायर सेव व मिठाई के पैकेट भी प्राचार्यो, बीईओ को पहुचाता है। चर्चा यह भी है कि मेघनगर के भ्रष्ट लेखापाल को बचाने हेतु भी आर्य ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया व अब उनकी बहाली मेघनगर, थांदला क्षेत्र की किसी स्कूल में हो सकती है पंचायत चुनाव बाद।

इस तरह शांत गंभीर प्रशांत भाई ऐडा बन कितने धीमी गति से पेड़ा खा रहे हैं व मेघनगर,थांदला, राणापुर के प्रिंसीपल अक्सर इनके कार्यालय में परिक्रमा करने, दण्डवत नजर आते हैं। वाह रे गरीब अशिक्षा व पिछड़ा झाबुआ जिला जहां शिक्षा का स्तर निम्नतर है पर अधिकारियों का स्तर उच्चतर हरियाली महोत्सव के चलते स्कूलों में खुलेआम ट्यूशनखोरी, लापरवाही, मनमानी व हायर सेकेंडरी में दो तीन माह तक वेतन नहीं मिलने के बावजूद अतिथि शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठा से विद्यालय संचालित हो रहे हैं। ग्वालियर की मिट्टी के प्रशांत आर्य अपने दिल पर हाथ रख ईमानदारी से भ्रष्ट प्राचार्यों, प्रभावी, प्रभारियों पर नजर कब टेढ़ी करेंगे इसमें संशय है। शिक्षा मंत्री जो कि जिले के प्रभारी मंत्री भी है कभी समीक्षा बैठक में ही आर्य की जन्म कर्म कुंडली देख ले तो दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है।

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