मंत्री, विधायक-सांसद ने किया विकास का दावा;  20 हजार करोड़ के विकास कार्यों से बदलेगी सूरत

मेडिकल उपकरण पार्क , जल संसाधन पर देश का पहला शोध केंद्र, आईआईटी इंदौर इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क खोलने की तैयारी

उज्जैन, अग्निपथ। आगामी वर्षो में उज्जैन में 20 हजार करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य कराए जाएंगे। इससे जिले की सूरत ही बदल जाएगी। अगर मंत्री मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया और विधायक पारस जैन के दावे सच हो जाते हैं तो उज्जैैन के चारों तरफ विकास की अविरल धारा बहने लगेगा। फोरलेन और रेल लाइन के जाल से जिले के सूरत ही बदल जाएगी।

इससे न सिर्फ रोजगार आएंगे, बल्कि उज्जैन दुनिया के नक्शे पर नजर आने लगेगा। एयरपोर्ट बनने से दुनियाभर के उद्यमी और वैज्ञानिक यहां आकर अपने नॉलेज और धन बरसाएंगे। यह सब दावे मंगलवार को तीनों जनप्रतिनिधियों ने स्मार्ट सिटी कार्यालय के भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुए किए।

यादव ने बताया कि उज्जैन में 600 बीघा में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाया जाना प्रस्तावित है। इस तरह के देश में चार पार्क बन रहे हैं। इनमें से एक उज्जैन में है। इसमें सिटी स्केन से लेकर मेडिकल के क्षेत्र में बनने वाले सभी उपकरण बनाए जाएंगे। इन प्रोडक्ट को बनाने में अभी चीन और ताइवान का वर्चस्व है। परन्तु भारत में इनके निर्माण दुनिया भर में भारत का नाम होगा।

एक पार्क उज्जैन में बनने से दुनियाभर के लोगों का उज्जैन में आना-जाना लगा रहेगा। इसके लिए एयरपोर्ट की व्यवस्था भी कराई जा रही है। उज्जैन और इंदौर में एयरपोर्ट कनेक्टिविटी मिलने से रोजगार के साथ ही विकास के जो काम होंगे, उससे जिले की सूरत और सीरत ही बदल जाएगी।

तीन महीने में बेस्ट में होगा उत्पादन शुरू

यादव ने बताया कि बेस्ट का भूमि पूजन किया गया था। अगले तीन महीने में इसमें उत्पादन होने लगेगा। प्रतिभा सिंटेक्स का भूमि पूजन भी जल्द कराया जाएगा। इसमें पांच हजार मजदूरों को रोजगार मिलेगा।

ऐसे बिछेगा रेल और सडक़ों का जाल

सांसद फिरोजिया और मंत्री यादव ने बताया कि उज्जैन तीन नेशनल हाईवे होने से तीन तरह से उज्जैन की सडक़ कनेक्टिविटी होगी, इसमें उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के तहत आगर-झालावाड़, उज्जैन-देवास, उज्जैन-गरोंठ, उज्जैन-बदनावर सडक़ मार्ग स्वीकृत कराया गया है। इस पर लगभग 5602 करोड़ रुपये का व्यय होगा।

देवास से उज्जैन, फतेहाबाद से उज्जैन, मेट्रो लाइन, झालावाड़ वाली लाइन शुरू होने से उज्जैन की चारों दिशाओं में रेल लाइन से संपर्क हो जाएगा। झालावाड़ वाली लाइन सोयत तक आ चुकी है। इसी तरह इंदौर से भी उज्जैन के संपर्क मार्गों की संख्या तीन से ज्यादा होने जा रही है।

आईआईटी इंदौर इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क

यह रिसर्च पार्क इंदौर-उज्जैन और आसपास के सभी क्षेत्रों की औद्योगिक इकाई को शोध कार्य में मदद करेगा। साथ ही स्टाट-अप को प्रोत्साहित करेगा। इसे टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन हब के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसमें 100-150 अधिक कंपनियों को जोड़ा जाएगा। अभी आईआईटी चेन्नई और आईआईटी मुंबई में ऐसे ही रिसर्च पार्क कार्य कर रहे हैं।

मालवा क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार निर्माण की दिशा में इस इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क की अहम् भूमिका होगी। आने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए इस पार्क माध्यम से कार्य किया जाएगा। स्पोट्र्स साइंस के अंतर्गत स्पोट्र्स में उपयोग की जाने वाली डिवाइसेज और इक्विपमेंट पर भी यहां रिसर्च करना प्रस्तावित है।

देश का पहला केन्द्र जल संसाधन पर शोध कार्य

सेंटर फॉर वॉटर, जल संसाधन प्रबंधन के लिए यह एक महत्वपूर्ण केंद्र होगा, जहां जल के संबंध में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ जल संसाधन पर शोध कार्य किया जाएगा। वाटर मैनेजमेंट पर आधारित पाठ्यक्रम भी संचालित किये जाएंगे। मध्यप्रदेश में वॉटर कंजर्वेशन तकनीक को बढ़ाने और जल से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रमों को तैयार करने में केंद्र मदद करेगा। अपनी तरह का यह देश का पहला केंद्र होगा।

अंतरिक्ष खगोल पर भी रिसर्च होगा

सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी, स्पेस एंड हेरिटेज, काल गणना और खगोलीय विज्ञान में उज्जैन के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए यह सेंटर स्थापित किया जा रहा है। यहां स्पेस टेक्नोलॉजीए स्पेस इंजीनियरिंग और एस्ट्रो फिजिक्स के पाठ्यक्रम के साथ रिसर्च भी होगा। प्रयोगशाला भी स्थापित होंगी।
प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने जैसे विषयों पर शोध होगा

सेंटर फॉर इंडियन साइंटिफिक नॉलेज सिस्टमरू भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित यह केंद्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत देश का मॉडल बनेगा जिसमें कृषि, ज्ञान परंपरा, हॉलिस्टिक मेडिसिन, प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने जैसे विषयों पर शोध होंगे।

राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण केन्द्र खोला जायेगा

जेपी नारायण सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन ह्युमेनीटीज, इसके अंतर्गत डिजिटल ह्युमेनीटीज, एनवायर्नमेंटल ह्युमेनीटीज, डेवलपमेंट स्टडीज पर नेशनल रिसर्च सेंटर और सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए ह्युमेनीटीज और सोशल साइंस एजुकेशन पर राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण केंद्र खोला जाएगा।

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