शनिश्चरी अमावस्या : त्रिवेणी संगम और रामघाट पर पर्व स्नान, दोपहर बाद बढ़ी भीड़

उज्जैन, अग्निपथ। माघ मास की शनिश्चरी और मौनी अमावस्या के विशेष संयोग में त्रिवेणी संगम पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। ठंड का मौसम होने के कारण सुबह के समय श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। लेकिन अपराह्न के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ बढऩा शुरू हो गई थी। यह पहली बार है कि जब प्रशासन द्वारा अलाव भी जलाए गए। श्रद्धालुओं ने घाटों पर ढेर सारी पनौतियां छोड़ीं।

पं. अमर डब्बावाला के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या पर शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर स्नान और नवग्रह शनि मंदिर में दर्शन-पूजन का विशेष महत्व है। इस बार मौनी अमावस्या के संयोग में शनिश्चरी अमावस्या आने से इसका महत्व और बढ़ गया है। खप्पर योग में शनिश्चरी अमावस्या आई है। एक दिन पहले से ही श्रद्धालुओं का शहर में आगमन शुरू हो गया था। कई भजन मंडलियां शाम से ही शिप्रा तट पर पहुंची और रातभर भजन-कीर्तन किए और इसके बाद त्रिवेणी संगम पर स्नान किया। इस दौरान पुलिस की व्यवस्था भी चाक चौबंद रही।

अलग अलग बेरिकेडिंग से सुलभ दर्शन

नवग्रह शनि मंदिर में दर्शन करने वालों के लिए अलग-अलग बेरिकेडिंग की गई थी, ताकि सुविधापूर्वक स्नान और दर्शन हो सकें। रात्रि से ही छुटपुट स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था। जिला प्रशासन ने पहले ही नर्मदा का पानी शिप्रा में छोड़ दिया था और घाटों पर फव्वारे से स्नान की व्यवस्था की थी। महिलाओं के लिए चैजिंग रूम भी बनाए गए थे। सर्दी के मौसम में कई जगह पर अलाव भी लगाए गए। श्रद्धालु मोबाइल से दान कर सके इसके लिए क्यूआरकोड के भी इंतजाम किए गये थे। सीसीटीवी कैमरों से निगरानी भी की जा रही थी।

शनि मंदिरों में पूजन अनुष्ठान

शनिश्चरी अमावस्या में शहर में स्थित शनि मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे थे। गऊघाट स्थित शनि मंदिर, पटनी बाजार स्थित शनि मंदिर, निकास चौराहा स्थित शनि मंदिर, खेड़ापति चौराहा स्थित शनि मंदिर, इंदिरा नगर स्थित शनि मंदिर सहित अन्य शनि मंदिरों में भगवान शनिदेव को तेल अर्पित करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। शनि देव की ढैया और साढ़साती को शांत करने के लिये लोग मंदिरों में जमा होते रहे।

सुबह भीड़ कम, दोपहर में बढ़ी

ठंड का असर शनिश्चरी अमावस्या स्नान पर भी पड़ा। श्रद्धालु सुबह के समय कम संख्या में पहुंचे। इससे नवग्रह शनि मंदिर में दर्शनार्थियों को आसानी से दर्शन होते रहे। दोपहर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढऩे लगी थी। इधर रामघाट पर भी श्रद्धालु स्नान दान के लिये पहुंचे और उन्होंने इसके बाद आसपास के मंदिरों में दर्शन कर दान पुण्य किया।

पनौती के रूप में जूते चप्पल छोड़े

श्रद्धालुओं ने शनिश्चरी अमावस्या पर संगम पर स्नान के बाद कपड़े व जूते-चप्पल पनौती के रूप में छोड़े। पं. डब्बावाला का कहना है कि इससे शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है। प्रशासन बाद में इसकी नीलामी करवाता है। पनौती का ढेर लगा हुआ था। वहीं नगर निगम के सफाई कर्मचारी जगह-जगह पर तैनात रहे। वाहनों के लिए पार्किंग स्थल की भी समुचित व्यवस्था की गई थी।

Next Post

भांजे से दुश्मनी में मामा को चाकू घोंपे

Sat Jan 21 , 2023
उज्जैन, अग्निपथ। चार बदमाशों ने भांजे से दुश्मनी होने पर मुंबई से आए उसके मामा के पेट में चाकू घोंप दिए। शनिवार सुबह घासमंडी के समीप हुई इस घटना में माधवनगर पुलिस केस दर्ज कर आरोपियों को तलाश रही है। बागपुरा निवासी प्रदीप पिता प्रभुलाल मेहर (20) मुंबई में काम […]