संगठन की डोर से सत्ता को साधने की कोशिश

भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेशाध्यक्ष श्री विष्पुदत्त शर्मा जी ने बीते दिनों अपनी प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा की है। प्रदेश कार्यकारिणी में 12 उपाध्यक्ष, 12 प्रदेश मंत्री के अलावा, एक कोषाध्यक्ष, 1 प्रदेश सह कोषाध्यक्ष, एक प्रदेश कार्यालय मंत्री और एक प्रदेश मीडिया प्रभारी की नियुक्ति की गई है। 27 सदस्यीय यह कार्यकारिणी प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा को संगठन के कामकाज के संचालन में मदद करेगी। इसके साथ ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री शर्मा ने सात मोर्चा अध्यक्षों की भी नियुक्ति की है।

यदि भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी पर नजर डाले तो उज्जैन जिला सौभाग्यशाली रहा है जिसे 27 सदस्यों में से 3 पदों पर काबिज होने का अवसर प्राप्त हुआ है अर्थात लगभग 11 प्रतिशत हिस्सेदारी उज्जैन को मिली है और यदि संभाग स्तर पर बात करे तो उज्जैन संभाग का दुर्भाग्य रहा कि कार्यकारिणी में रतलाम, मंदसौर, नीमच को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला, शाजापुर को जरूर मौका मिला है। भारतीय जनता पार्टी के 7 विभिन्न मोर्चा अध्यक्षों में से प्रदेश के सबसे छोटे संभाग होशंगाबाद को दो मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष मिलना इस बात का घोतक है प्रदेश अध्यक्ष जी को होशंगाबाद और सागर से असीम स्नेह है क्योंकि कुल 12 प्रदेश मंत्रियों में से 3 सागर के हैं। खैर उज्जैन के भाजपा कार्यकर्ताओं में अपार उत्साह है कि पूर्व सांसद प्रोफेसर चिंतामण मालवीय और महिदपुर के 3 बार के विधायक बहादुर सिंह चौहान को प्रदेश कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के पद से नवाजा गया है वहीं भाजपा के पूर्व नगराध्यक्ष श्री अनिल जैन कालूहेड़ा को सह कोषाध्यक्ष बनाया गया है।

यदि सूक्ष्मता से सिर्फ उज्जैन जिले की ही विवेचना की जाए तो ऐसा लगता है एक तीर से कई शिकार किये गये हैं और संगठन की मदद से सत्ता पर नियंत्रण का प्रयास किया गया है। सबसे पहले बात करते हैं पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय जी के जो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा अप्रत्याशित रूप से उम्मीदवार घोषित किये गये थे और भाग्य के धनी शिक्षा क्षेत्र के प्रोफेसर मालवीय ने 3 लाख 30 हजार मतों से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर राजनीति में धमाकेदार प्रवेश किया था और संसद में भी सक्रियता दिखाकर अपनी उपस्थिति का एहसास कराया था 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट ना देकर श्री फिरोजिया को उम्मीदवार बनाया था। इस तरह से उम्मीदवारी से वंचित किये जाने से मालवीय पार्टी से खिन्न थे थोड़े समय के लिये उन्हें प्रदेश प्रवक्ता भी बनाया गया परंतु तवज्जों नहीं दी गई।

अभी हाल ही में आगर विधानसभा उपचुनाव में भी श्री मालवीय ने अपनी सशक्त दावेदारी प्रस्तुत की थी पर उन्हें निराश होना पड़ा, राजनीति के अखाड़ें में हुंकार भर रहे पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय उज्जैन नगर निगम के महापौर पद के लिये भी अपनी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत कर रहे थे इस कारण संगठन को उन्हें संतुष्ट करना जरूरी हो गया था। दूसरे उपाध्यक्ष बहादुर सिंह चौहान की बात करें तो वह भी तीन बार के विधायक रह चुके हैं जुझारू और कद्दावर बाहुबलि की छवि बना चुके विधायक चौहान की सौंधिया समाज और महिदपुर क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने के बाद भी शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में उनकी उपेक्षा कर डॉक्टर मोहन यादव जो कि दूसरी बार के ही विधायक हैं उन्हें केबिनेट मंत्री बनाकर उपकृत किये जाने से वह भी नाराज चल रहे थे इस कारण उन्हें भी मनाना जरूरी था।

तीसरे प्रदेश कार्यकारिणी में सह कोषाध्यक्ष बनाये गये अनिल जैन कालूहेड़ा जिनकी पहचान एक कुशल संगठक के रूप में है श्री जैन के कार्यकाल में लोक शक्ति भवन का निर्माण उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसे भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता लंबे समय तक याद रखेगा। नगर अध्यक्ष के रूप में उनकी पारी बहुत सफल साबित हुई थी वह भी कई दिनों से उपेक्षित चल रहे थे साथ ही श्री पारस जैन के मंत्रिमंडल में ना रहने के कारण वैश्य समाज में असंतोष के स्वर मुखर हो रहे थे जिन्हें संतुष्ट करने के लिये अनिल जैन को कार्यकारिणी में स्थान देकर उनके राजनैतिक भविष्य की सीढ़ी का मार्ग प्रशस्त किया है।

राजनैतिक जानकारों के हिसाब से चूँकि डॉक्टर मोहन यादव की छवि बहुत तेज तर्रार नेता के रूप में है और केबिनेट मंत्री बनने के बाद वह जिस ऊर्जा और दमखम के साथ कार्य कर रहे तो राजनैतिक सोच वालों के लिये चिंता का विषय बनता जा रहा था। क्योंकि अभी तक पूरे उज्जैन जिले में वह अकेले ही लाईट हाऊस या शक्ति पुंज के रूप में कार्य कर रहे थे प्रशासिनक अधिकारी भी उनके ही इशारों पर सारे फैसले ले रहे थे भारतीय जनता पार्टी की सोच अनुसार इसमें संतुलन बनाया जाना जरूरी था और इसके लिये यह जरूरी था कि उज्जैन में और पावर स्टेशन खड़े किये जाए ताकि यादव की गति को रोका जाए। यह भी सर्वविदित है कि प्रदेश कार्यकारिणी में जिन तीन नेताओं को स्थान दिया गया है वह तीनों ही केबिनेट मंत्री डा्क्टर मोहन यादव के धुर विरोधी है इस तरह भाजपा प्रदेश मुखिया ने संगठन की मदद से सत्ता पर भी नकेल कसने का प्रयास किया है।

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