जिम्नास्टिक के आकाश की उभरती ग्रामीण प्रतिभा नर्मदा

बडऩगर /रुनिजा, अग्निपथ। प्रतिभा शहरों में ही नहीं ग्रामों में भी निवास करती है। और जब बात लड़कियों की हो और ग्रामीण क्षेत्रों से हो तो महत्व और बढ़ जाता है। आज हम देख रहे है कि लड़किया किसी भी क्षेत्र में लडक़ों से कम नहीं है।

हम बात कर रहे हैं महिला सम्मान पखवाड़े एवं 24 जनवरी अन्तर राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी, जिम्नास्टिक में स्वर्ण पदक व 5 – 5 पदक जितने वाली नर्मदा ऑटोलिया की जो ग्राम कारोदा (तहसील बदनावर) जैसे छोटे से कृषि प्रधान ग्राम के कृषक भेरूलाल ऑटोलिया व यशोदा ऑटोलिया की बड़ी पुत्री है।

अपने माता – पिता, गाँव व अपने प्रशिक्षक शांतिलाल सांखला का नाम रोशन करने वाली नर्मदा ने अपनी कहानी बयां कर बताया की सर्वप्रथम योग से खेल जीवन की शुरुआत की व माता – पिता के प्रोत्साहन ने मेरा होसला ब?ाया तो मुझे बचपन से ही जिम्नास्टिक का आकाश छुने की तमन्ना हो गई। मार्गदर्शक व खेल निर्देशक सांखला सर के निर्देशन में देहरादून महाबलीपुरम में तुथासन में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

उसके बाद वर्तमान में कुन्नर ( केरल) में स्पोटर्स अथॉरिटी आफ इंडिया केरल के कोच जी आंजना मेडम ने सफल प्रशिक्षण दिया। उज्जैन रेल्वे जिम प्रशिक्षण में हार्दिका सिंह मेडम ने जिम्नास्टिक में आने की प्रेरणा दी। रिदमिक जिम्नास्टिक में राष्ट्रीय स्तर पर 5 मेडल प्राप्त किये। मेरा सपना इंटरनेशनल रिदमिक स्वर्ण पदक प्राप्त करना है। इसके लिये उज्जैन रेल्वे जिम में प्रशिक्षण ले रही हुं।

युवा एव खेल कल्याण विभाग के जिला अधिकारी ओ.पी. हारोड, एवं ब्लॉक समन्वयक नन्दकिशोर नागर ने कहा की महिला शक्तिकरण अंतर्गत नर्मदा का सम्मान कर प्रोत्साहित किया जायेगा। यही नही नर्मदा की छोटी बहन उमा ने भी अपनी बहन नर्मदा से प्रेरणा लेकर हूप कोंडो में अंतर राष्ट्रीय खेल में प्रदर्शन किया है।

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