नगर परिषद को चढ़ा ओडीएफ का भूत, कचरा वाहन दे रहे सबूत

थोथा चना बाजे घना उक्ति को चरितार्थ होते देखना हो तो उसका सबसे बढिय़ा उदाहरण झाबुआ जिले की थांदला नगर परिषद में देखने को मिलता है। नगर परिषद में जब से तलवे चाट कर राजस्व निरीक्षक पद वाला कर्मचारी प्रभारी सीएमओ बना तब से बंटी के राज का बंटाढार करना शुरू कर दिया। नगर की बेशकीमती भूमियां बाले-बाले भू-माफियाओं को बेच दी। वहीं राजस्व भूमियों पर भी नगर परिषद का अधिकार बता कर न केवल दुकानों का विधि विपरीत निर्माण कर दिया, वरन उन दुकानों को बाले-बाले बाले नीलाम भी कर दी थी।

जिसका नगरीय पत्रकार समिति के पुरजोर विरोध के बाद दुकानों की नीलामी की प्रक्रिया तो शुरू की परन्तु शेर की दाढ़ में खून लगने वाली कहावत चरितार्थ हो रही जिसका खुलासा अगली नजर में करेंगे। अभी तो नगर परिषद पर ओडीएफ++ होने का भूत सवार हुआ तो उसका सारा दण्ड नगर के नागरिकों पर मढ़ दिया।

नगर परिषद ने गत 28 जनवरी की एक अल्प सर्कुलेशन वाले दैनिक अखबार में दो विज्ञप्तियां ओडीएफ++ होने संबधी जारी की प्रथम विज्ञप्ति क्रमांक/144/दिनांक 27 जनवरी की जारी की गई। जिसमें स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत एसबीएम ओडीएफ मापदंडों पर खरा उतर ओडीएफ बनने के दावे आपत्ति 15 दिवस में मांगी। किन्तु नगर पालिका खुद ही अपने ही द्वारा जारी इसी समाचार-पत्र की विज्ञप्ति में स्वयमेव आपत्ति का कारण बन रही।

दर असल नगर परिषद ने प्रेसिडेंट इन काउंसिल के प्रस्ताव दिनांक 9 अगस्त 1918 प्रस्ताव क्रमांक 184 के आधार पर 13 बिंदुओं की विज्ञप्ति जारी कर नगर के नागरिकों, व्यापारियों, निर्माण कर्ताओं पर दंड और पुन: दोहराने के दण्ड अधिरोपित विज्ञप्ति के माध्यम से कर दिया।

जबकि नगर परिषद यही कार्य मुनादी कर भी करवा सकता था। खेर कागजी घोड़े चला कर भी नगर परिषद ओडीएफ++ की कवायद कर जारी विज्ञप्ति क्रमांक/144/दिनांक 27/01/2021 के बिंदु क्रमांक 3 में उल्लेखित किया कि डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में जिला व सूखा कचरा पृथक-पृथक नहीं देने पर प्रथम बार 10 रुपये तथा उसके बाद पुन: 15 रुपये दण्ड अधिरोपित किया जाएगा। किन्तु आश्चर्य यह कि नगर परिषद के कचरा वाहन में ही गीला, सूखा कचरा व खतरनाक अपशिष्ट (सेनेटरी पेड, दवाइयां) डालने का कोई विकल्प ही नहीं है। जो नगर परिषद के कचरा वाहन में दिखाई देता है।

कचरा वाहन में हरा और नीला रंग जरूर किया हुआ है। लेकिन कचरा वाहन बॉक्स के अंदर न तो पार्टीशन है गीले, सूखे कचरे का और न ही अलग से खरतनाक अपशिष्ट डालने का स्थान है। बावजूद इसके नगर के नागरिकों पर अपनी करतूत छिपाने बेजा राशि वसूलने और ओडीएफ++ होने का खेल खेला जा रहा है। विज्ञप्ति के बिंदु क्रमांक 4 में पालीथिन या प्लास्टिक थैलियों के क्रय, विक्रय पर 500 रुपया जुर्माना व पुन: क्रय विक्रय लर 550 रुपया जुर्माने की बात कही गयी पर पूरे नगर में पग पग पर काम माइक्रोन की पालीथिन प्लास्टिक थैलियों का उपयोग हो रहा। यहां तक नगर परिषद कार्यालय की नाक के नीचे, आजू बाजू, आमने सामने से लेकर पूरे नगर में बेधडक़ पालीथिन का उपयोग ट्रेन्चिंग ग्राउंड बयां करता नजर आ रहा है।

ट्रेंचिंग ग्राउंड से उड़ती पन्नियों, जलते कचरे को लेकर पूर्व में किसानों तथा स्कूली बच्चों ने जिम्मेदारो से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत बहुत कर चुके हंै। एक मात्र कांजी हाऊस को खंडहर कर दिए जाने के चलते आवारा जानवरों की धरपकड़ वर्षों से बंद है। सब्जी बाजार में अल सुबह से देर शाम जानवरों का जमावड़ा जान लेवा बना रहता। राहगीरों के लिए साथ ही नगर की अवैध कालोनियों को नगर परिषद ने अपने अधीन तो कर लिया। किन्तु अब कालोनीवासी सडक़, नाली, बिजली के लिए तरस रहे। ड्रेनेज का पानी सडक़ों पर पसर रहा। ऐसे में जिम्मेदार आम नागरिक से पहले नगर परिषद ही होना चाहिए। ओडीएफ++ होना नगर के लिए गौरव की बात है। लेकिन उसका पालन करवाने वाले ही पहले आपने, गिरेबाँ में झांके वरना पब्लिक कहेगी ओरो के घरों पर पत्थर फेंकने वालों पहले अपना घर देख लो वह भी शीशे का है।

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