गणना शुरू करने के 12 साल बाद मांडू की गिद्ध खोह में नजर आए 2 सफेद गिद्ध

धार, अग्निपथ (आशीष यादव)। धार जिले में गिद्धों की गणना करने के लिए वन विभाग की टीम जंगलों में निकली। सूर्योदय होते ही बीट गार्ड और अन्य कर्मचारियों ने गिद्धों के रहवास स्थलों पर पहुंचकर उनकी संख्या चिह्नित की और उसे गूगल फॉर्म में भरा। यह गणना 18 फरवरी तक जारी रही। इसके बाद संयुक्त रिपोर्ट को देश और प्रदेश स्तर पर भेजा जाएगा। मांडू की गिद्धों खोओ में दो सफेद गिद्ध पाया गया।

2012 से गिद्धों की गणना शुरू हुई थी, लेकिन 2020 तक धार जिले में एक भी गिद्ध नहीं मिला था। यह गणना हर चार साल में होती है। 2024 की गणना में मांडू की गिद्धों खोओ में दो सफेद गिद्धों का प्रवास पाया गया। 2021 में भी गणना हुई थी, लेकिन विभाग को कोई सफलता नहीं मिली थी। अब विभाग और जिले की जनता के लिए यह खुशी की बात है कि जिले में गिद्धों का प्रवास शुरू हो गया है।

गिद्धों की गणना तीन दिवसीय अभियान का हिस्सा है। देश और प्रदेश में गिद्धों के लिए गिद्ध आवास स्थलों के संरक्षण की रणनीति तैयार करने के लिए यह गणना की जा रही है। विभागीय बीट गार्ड जंगलों में रहवास स्थल पर पहुंचकर गणना करते हैं और उसे गूगल फॉर्म में लोकेशन समेत भरते हैं। यह गणना रविवार तक चली।

सरकार द्वारा विलुप्त होते गिद्धों को बचाने के लिए चलाए जा रहे जटायु संरक्षण अभियान का असर दिखने लगा है। धार सहित प्रदेशभर में यह गणना तीन दिन तक चली। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में गिद्धों की संख्या में और भी वृद्धि होगी।

गिद्ध क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?

  • गिद्ध पशुओं के शवों का भक्षण करते हैं और मनुष्य को प्राकृतिक संकट से बचाते हैं।
  • गिद्धों की अनुपस्थिति में प्रकृति की त्रुटि रहित व्यवस्था छिन्न भिन्न हो सकती है।
  • मध्यप्रदेश में कुल 7 प्रजातियों के गिद्ध पाए जाते हैं, जिनमें से 4 प्रजाति स्थानीय और 3 प्रजाति प्रवासी हैं।

यह एक अच्छी खबर है कि धार जिले में गिद्धों का प्रवास शुरू हो गया है। यह सरकार के संरक्षण प्रयासों और जनता की जागरूकता का परिणाम है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में गिद्धों की संख्या में वृद्धि होगी और वे पर्यावरण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे।

गणना के दौरान इन बातों का ज्यादा रखा ख्याल

रेंजर नयन कुमार ने बताया की इसमें इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है । गणनाकर्मी सूर्योदय के तुरंत बाद प्रथम चरण में चयनित गिद्धों के घोंसलों के निकट पहुंच जाते हैं और घोंसलों के आसपास बैठे गिद्धों एवं उनके नवजातों की गणना करते हैं। इसमें उड़ते हुए गिद्ध को शामिल नहीं किया जाता। आवास स्थल के फोटो लिए जाएंगे। वहीं जितनी प्रजाति के गिद्ध होंगे, उनमें से प्रत्येक प्रजाति के गिद्ध का एक क्लोजअप फोटोग्राफ लिया।

गिद्धों की गणना प्रथम चरण में तब की जाती है, जब सभी प्रजाति के गिद्ध घोंसले बनाकर अपने अंडे दे चुके होते हैं या देने की तैयारी में होते हैं। ऐसे में इनकी गणना करने में सुविधा और सटीकता रहती है। इसी प्रकार से फरवरी माह आने तक इन घोंसलों में अंडों से नवजात गिद्ध निकल जाते हैं और वे उडऩे की तैयारी में रहते हैं। गिद्धों की गणना करने के लिए शीत ऋतु का अंतिम समय ठीक माना जाता है, ताकि स्थानीय और प्रवासी गिद्धों की समुचित गणना की जा सके।

इसे होते सफेद गिद्ध – इजिप्शियन (सफेद)

विशिष्ट पहचान: भारतीय उप महाद्वीप का सबसे छोटा गिद्ध
शारीरिक विवरण: लंबाई: 54-66 सेमी; पंखों का फैलाव: 146-177 सेेमी; वजन: 1.8-2.1 किलोग्राम.
म.प्र. में : आवासीय एवं प्रजनन
घोंसला : पेड़ो एवं चट्टानी पहाड़ो पर
वयस्क : व्यस्क के पंख मटमैले सफेद उड़ान पंख काले रंग के कीलनुमा, नग्न चेहरा पीले पीले रंग का चोच नुकीली अंकुशावार होती है। है। पैर गुलाबी तथा नाखून गहरे रंग के होते हैं।
अवयस्क: लगभग पूरे शरीर पर काले भूरे रंग के पंख होते हैं नग्न धूसर सिर, पैर भूरे रंगे के तथा नाखून काले ग्रे रंग के होते हैं।

जिलेभर की टीम लगी थी

पूरे जिले की वन परिक्षेत्र की टीम गणना करने में लगी थी। इसबार जिले में अलग- अलग तरह से जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वही मांडू में दो सफेद गिद्ध इस बार नजर आए हैं। जिनकी रिपोर्ट ऊपर पहुँचा दी गई है। – अशोक सोलंकी डीएफओ, धार

तीन दिन चली गणना

अभी तीन दिन गणना चली। मांडू गिद्ध खोओ में दो सफेद गिद्ध देखे गए। 12 साल पहले जब से गणना शुरू हुई तब से इस साल यह नजर आए हैं। अब यहां गिद्धों का स्थायी वास हो रहा है। – धनसिंह मेड़ा एसडीओ धार

मानव के कारण विनाश की ओर प्रजाति

यह वैज्ञानिक तथ्य सामने आया है कि मनुष्य जनित कारणों से गिद्धों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती चली जा रही है। डाइक्लोफिनेक नामक दवाई भी गिद्धों के लिए बेहद घातक साबित हुए हैं। इस दवा से उपचार किए हुए मृत पशुओं को खुले में फेंकने और फिर गिद्ध द्वारा इनका मांस भक्षण किए जाने से उनकी तादाद कम हुई। हालांकि अब इस डाइक्लोफिनेक दवाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

Next Post

गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन हजारों भक्तों ने किए माँ बगलामुखी के दर्शन

Sun Feb 18 , 2024
नलखेड़ा, अग्निपथ। गुप्त नवरात्रि महापर्व पर विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माँ बगलामुखी मंदिर पर गुप्त नवरात्रि की नवमी पर आस्था का सैलाब उमड़ा है।देश के विभिन्न स्थानों से माता रानी के भक्त दर्शनार्थ पहुंचे। मंदिर परिसर में लंबी लंबी कतारों के मध्य भी भक्तों की आस्था कम नही हो रही है।दिनभर […]
nalkheda mandir darshan