धार्मिक स्थलों पर राजनीतिक गतिविधियों के लिए प्रतिबंध

उज्जैन, अग्निपथ। जिले में सभी धर्म के धार्मिक स्थलों पर राजनीतिक गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया है। जिले में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन की घोषणा के साथ ही आदर्श आचरण संहिता प्रभावशील है।

अपर कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी महेन्द्र सिंह कवचे ने एडीएम, जिले के समस्त अनुविभागीय दण्डाधिकारियों, समस्त पुलिस अनुविभागीय अधिकारियों, समस्त तहसीलदार एवं कार्यपालिक दण्डाधिकारियों तथा जिले के समस्त थाना प्रभारियों को निर्देश दिये हैं कि आदर्श आचरण संहिता अन्तर्गत धार्मिक संस्था अधिनियम-1988 के प्रावधान अनुसार अपने-अपने क्षेत्रांतर्गत स्थापित सभी प्रकार के धार्मिक स्थलों यथा- मन्दिर, मठ, मस्जि़द, गुरूद्वारा, गिरजाघर, जैन मन्दिर, बौद्ध मन्दिर, जैन उपासना स्थल तथा जिन स्थानों पर पूजा-अर्चना/इबादत की जाती है, ऐसे समस्त स्थल धार्मिक संस्थाओं का राजनैतिक और अन्य प्रयोजनों के लिये दुरूपयोग निवारित करने हेतु धारा-3 के तहत कोई धार्मिक संस्था या उसका प्रबंधक, संस्था के या उसके नियंत्रण के अधीन किसी परिसर का उपयोग राजनैतिक प्रयोजन हेतु नहीं करें।

सिख धर्म के अनुयायी कृपाण धारण कर सकेंगे, अन्य नहीं रख सकते हथियार

अधिनियम की धारा-4 अन्तर्गत धार्मिक परिसर में आयुध और गोला-बारूद ले जाने, भण्डारण पर पूर्णत: प्रतिबंध रहेगा, लेकिन सिख धर्म को मानने वाले किसी व्यक्ति द्वारा कृपाण धारण करने और उसे लेकर चलने पर यह लागू नहीं होगा। धारा-5 के तहत कतिपय क्रियाकलापों हेतु धार्मिक संस्थाओं की निधियों के उपयोग का प्रतिषेध रहेगा और धारा-6 के मुताबिक राजनैतिक विचारों का प्रचार करने के लिये धार्मिक स्थल एवं परिसर का उपयोग पूर्णरूपेण प्रतिबंधित रहेगा।

कोई धार्मिक भावना भडक़ाता है तो तुरंत पुलिस को सूचना दें

जिले के सभी धार्मिक स्थलों/संस्थाओं का राजनैतिक कार्यों के लिये उपयोग करना पूर्णत: वर्जित है। ऐसे धार्मिक स्थलों में समारोह आयोजित कर धर्म, जाति, समुदाय के बीच शत्रुता, आपसी घृणा या वैमनस्यता की भावना भडक़ाने पर संस्था के प्रबंधक या अन्य कर्मचारी द्वारा किसी भी आयोजन के सम्बन्ध में सम्बन्धित क्षेत्र के पुलिस थाना प्रभारी को इसकी सूचना देना अनिवार्य है। सूचना न देना भी एक आपराधिक कृत्य है और सूचना न देने वाले के विरूद्ध अधिनियम की धारा-3, 5, 6, 7 व 9 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जायेगा।

जिसमें न्यायालय द्वारा आरोपित व्यक्ति पर पांच वर्ष तक का कारावास और 10 हजार रुपये का अर्थदण्ड साथ ही भादंवि की धारा-176 के तहत एक माह तक का कारावास या 500 रुपये का अर्थदण्ड अथवा दोनों दिये जा सकते हैं।

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