प्रमाणिक निकला हमारे धार्मिक ग्रंथों का वसुधैव कुटुम्बकम् का सिद्धांत

Arjun ke baan 29042021

अयं निज: परोवेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।।

अर्थ- यह अपना बंधु है, और यह अपना बंधु नहीं है। इस तरह की मानसिकता छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार ह्रदय वाले लोगों की तो सम्पूर्ण धरती ही परिवार है।

वसुधैव कुटुम्बकम्, सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है जो महाउपनिषद सहित अनेक ग्रंथों में लिपिबद्ध है। विश्वव्यापी कोरोना के इस अभूतपूर्व संकट ने देशों के बीच की सरहदों को मिटा दिया है। धरती, नदियां और पवन के झोंकों को कोई सरहद नहीं रोक सकती है यह प्रकृति का नियम है। सम्पूर्ण धरती संकट के इस समय में एक परिवार (कुटुम्ब) की भांति दृष्टिगोचर हो रही है, जो मानवों और मानवता के लिये शुभ संदेश है। अपने निजी हितों की खातिर देश, प्रांत, धर्म, जाति, वर्ग की खड़ी की गयी सारी दीवारें टूट गयी है।

एक-दूसरे को अपना परम शत्रु मानने वाले भारत-पाकिस्तान भी संकट की इस घड़ी में रिश्तों में आयी कड़वाहट को मिठास में बदल रहे हैं। भारत पर आये संकट पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री सहित वहाँ के पूरे अवाम ने एक कंठ से इस समय सहायता की पेशकश कर हिंदुस्तानी अवाम का दिल जीत लिया है। यही हालत ड्रेगन (चीन) का भी है, लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को लेकर टकराव और विवाद की स्थिति को वह भी दरकिनार कर तीन बार भारत को सहायता की पेशकश कर चुका है।

यह तो हुई दुनिया के उन राष्ट्रों की बात जिनसे हमारे संबंध सामान्य नहीं थे बाकि दुनिया के अन्य सक्षम राष्ट्र संकट के इस समय में मुक्तहस्त से हमारी मदद कर ही रहे हैं और उन्होंने अपने देशों के दरवाजे 24 घंटे हमारे लिये खोल दिये हैं।

अमेरिका की बाइडेन सरकार ने तो भारत की मदद के लिये एक विशेष टीम का ही गठन कर दिया है जो भारत को दी जाने वाली मदद पर नजर रखेगी, साथ ही भारत को किस संसाधन की आवश्यकता है उसकी सूचना भी उच्चायोग को करेगी। अमेरिका हमें ऑक्सीजन, कोरोना वैक्सीन, जीवन रक्षक दवाईयां, पीपीई किट के साथ ही वैक्सीन निर्माण के काम आने वाली कच्ची सामग्री भी भेज रहा है।

हमारा मित्र देश सऊदी अरब 80 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन, 4 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टेंकर भेज रहा है। हॉगकॉग 800 ऑक्सीजन कॉन्सेन्टे्रटर भेज चुका है और 10 हजार और भेज रहा है, साथ ही 500 बाईपैप मशीनें भी। आस्ट्रेलिया ऑक्सीजन वेंटिलेटर, पीपीई किट, ब्रिटेन 300 ऑक्सीजन कॉन्सेन्टे्रटर के अलावा 600 मेडिकल डिवाईस, जर्मनी मोबाईल ऑक्सीजन जनरेटर, छोटा सा देश भूटान रोज भारत को 50 टन ऑक्सीजन प्रदाय कर रहा है, रूस स्पूतनिक वैक्सीन देने के साथ ही उसका फार्मूला भी हमें दे रहा है।

इसके अलावा फ्रांस, रूस, कनाडा, जापान भी हमारी मदद कर रहे हैं और तो और अमेरिका की स्वयं सेवी संस्थाएं भी भारत की मदद करने को तैयार है। गूगल कंपनी 135 करोड़ की मदद कर रही है जो उसके कर्मचारियों ने एकत्र किये हैं। गूगल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुंदर पिचाई ने व्यक्तिगत तौर पर भी 5 करोड़ का योगदान दिया है।

कोरोना आपातकाल में सचमुच सारी दुनिया एक परिवार की तरह खड़ी है। सभी देशों को चाहिये इस आपदा से सबक लें, छोटे-छोटे गिले शिकवों को भुलाकर एक-दूसरे की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाये। वैचारिक मतभेद भले ही कायम रहे परंतु मनभेदों की कोई जगह अब नहीं होना चाहिये।

138 करोड़ भारतीयों पर भी पड़ोसी देशों सहित दुनिया का ऋण चढ़ गया है अब इस ऋण से कैसे भविष्य में उऋण होना है यह हमारे सत्ताधारियों के हाथ में है। हमारे धार्मिक ग्रंथों ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि 725 करोड़ मनुष्यों की यह सम्पूर्ण दुनिया वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत पर चलेगी तो संसार की बड़ी से बड़ी आपदा का भी मुकाबला किया जा सकता है।

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