मातृदिवस पर दुनिया भर की माताओं तुम्हें शत-शत प्रणाम

माँ पर लिखने के लिए
मैंने ज्यों ही कलम उठायी
प्रथम पूज्य आराध्य गजानन,
तुम्हारी ही याद आयी
ज्यों तुमने संपूर्ण सृष्टि को
माँ का पर्याय बताया
उससे बेहतर माँ को
कोई समझ ना पाया

विनीता मोटवानी की उपरोक्त पंक्तियां माँं के सम्मान में संक्षिप्त में सब कुछ कह गयी। कल मई माह के दूसरे रविवार को बनाये जाने वाले ‘‘मदर्स डे’’ पर मैं दुनिया भर की माताओं को शीश झुकाकर प्रणाम करता हूं, उनका वंदन करता हूं। मातृ दिवस मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। पुराने ग्रीस में ये ‘‘सिबेल’’ जो कि ग्रीक देवताओं की माता थी उनके सम्मान में यह मातृ दिवस मनाये जाने की धारणा है।

कुछ लोगों का मानना है कि मातृ दिवस की शुरुआत सन 1908 में अमेरिका की सामाजिक कार्यकर्ता एना जार्विस ने इसकी शुरुआत की थी। बताया जाता है कि एना जार्विस को अपनी माँ से बहुत प्यार था, बेहद लगाव रखने वाली एना ने अपनी माँ से बिछुड़ जाने के भय से जीवन भर अविवाहित रहने का प्रण ले लिया। माँ के निधन पश्चात एना ने माँ से प्यार जताने के लिये मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाने की शुरुआत की और उनकी याद में वेस्ट वर्जीनिया में एक स्मारक बनवाया जो आज भी दुनिया भर में मदर्स डे का एक यादगार प्रतीक माना जाता है। साल 1914 में अमेरिका में यह दिन आधिकारिक अवकाश बन गया।

रोम में 15-18 मार्च तक मातृ दिवस मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य माँ के प्रति सम्मान और प्रेम प्रदर्शित करना है। कैथोलिक ईसाई धर्म में ‘‘वर्जिन मेरी’’ को श्रद्धांजलि देने की प्रथा के साथ मातृ दिवस मनाने को जोड़ा गया है। नेपाल जो कि हिन्दू राष्ट्र है वहां कि हिन्दू परंपरा अनुसार इसे ‘‘माता तीर्थ औंशी’’ कहा जाता है। संसार के कुछ देशों में मातृ दिवस पर माँ को सम्मानित नहीं किये जाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कुछ देशों में मातृ दिवस को एक छोटे से त्योहार के रूप में भी मनाये जाने की परंपरा है।

चीन में अपनी माताओं को गुरनार (एक विशेष प्रकार का) का फूल एवं साथ में अन्य उपहार देने की परंपरा है। मातृ दिवस पर लोग अपनी माँ को कार्ड या उपहार देकर उन्हें याद दिलाते है कि वह उनके लिये कितनी खास और महत्वपूर्ण है, भले ही वह रोज ना कर पाये लेकिन वह अपनी माँ से बहुत प्यार करते हैं। एक माँ का आंचल अपनी संतान के लिये कभी छोटा नहीं पड़ता है। माँ का प्रेम संतान के लिये इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिये सारी दुनिया से लड़ लेती है।

माँ का हम सबके जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। एक माँ बिना यह दुनिया अधूरी है। माँ की बांहे दुनिया की किसी भी चीज की तुलना में सबसे अधिक आरामदायक होती है। समाज में तेजी से विलुप्त होते जा रहे सामाजिक रिश्तों में माँ और पिता का ही रिश्ता अजर-अमर है। टूटते संयुक्त परिवारों और न्यूकलियर परिवारों में हम दो हमारा एक का नारा दिन प्रतिदिन जोर पकड़ता जा रहा है, बढ़ती मंहगाई, प्रतिकूल होती परिस्थितियां, मंहगी शिक्षा, आधुनिक लाईफ स्टाईल, ऐशो आराम से जीने की लालसा से पति-पत्नी एक ही बच्चे की परवरिश करना चाहते हैं, इन सबके मद्देनजर आने वाले 75-100 वर्षों बाद काका-काकी, ताऊ-ताई, मौसा-मौसी, बुआ-फूफा, मामा-मामी, भैय्या-भाभी यह सब रिश्ते नाते अपने आप खत्म होने ही वाले हैं। पर जिसके पैरो के नीचे जन्नत होने की बात कही गयी है ऐसा माँ का रिश्ता जब तक दुनिया है तब -तक जीवित रहेगा मातृ दिवस पर दुनिया भर की मातृ शक्ति को बधाई देता हूं।

– अर्जुन सिंह चंदेल

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