उज्जैनवासियों का स्वप्न साकार हुआ तो शिवराज जी आपका ऋणी रहेगा यह शहर

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प्रदेश के यशस्वी और संवेदनशील मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की उज्जैन में चिकित्सा महाविद्यालय खोलने की घोषणा का हम स्वागत करते हैं, साथ ही शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय की सौगात दिलवाने में जिन जनप्रतिनिधियों/ अधिकारियों/ संस्था/मीडिया या जो लोग व्यक्तिगत प्रयास रहे हैं हम उनके भी आभारी हैं। वास्तव में यदि यह घोषणा मूर्त रूप लेती है तो उज्जैनवासियों का बहुत पुराना सपना साकार होगा।

आपदा में अवसर वाली बात स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में इस नगर पर सटीक बैठनी है। पहले माधव नगर अस्पताल का कायाकल्प जो आज सारे संसाधनों से लैस होकर नागरिकों की सेवा कर रहा है और अब चिकित्सा महाविद्यालय की घोषणा। भविष्य के लिये यह एक बड़ी सौगात उज्जैन को मिली है।

शिवराज सिंह जी की घोषणा से यदि चिकित्सा महाविद्यालय खुला तो यह देश का 563वां चिकित्सा महाविद्यालय होगा। 286 शासकीय एवं 276 निजी चिकित्सा महाविद्यालय इस समय देश में कार्यरत हैं। यदि भारत की बात करे तो सर्वाधिक चिकित्सा महाविद्यालय कर्नाटक में है जिनकी संख्या 61 है, उसके बाद महाराष्ट्र में 60 और उत्तरप्रदेश में 57 चिकित्सा महाविद्यालय है।

यदि हम मध्यप्रदेश की बात करे तो यहाँ वर्तमान में 23 चिकित्सा महाविद्यालय मौजूद हैं जिसमें 14 शासकीय एवं 9 निजी हैं। देश का सबसे पुराना चिकित्सा महाविद्यालय कोलकाता का है जिसकी स्थापना सन् 1835 में हुयी थी। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘फिटनेस इंडिया’ का जो नारा बुलंद किया था, उज्जैन में खुलने वाला चिकित्सा महाविद्यालय भी उसी की ओर बढ़ता एक कदम है।

देश के कुल चिकित्सा महाविद्यालयों में सीटों की संख्या 82 हजार 926 है और प्रतिवर्ष लगभग 50 हजार शिक्षित चिकित्सक इन महाविद्यालयों से देश को मिलते हैं। वर्तमान में शासकीय महाविद्यालयों में न्यूनतम 10 लाख 40 हजार और अधिकतम 12 लाख 70 हजार फीस है। मोदी सरकार में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एन.एम.सी.) द्वारा नियमों में शिथिलता के कारण अब चिकित्सा महाविद्यालय खुलने की राहें आसान हो गयी है।

पहले शहर से 25 किलोमीटर दूर 25 एकड़ जमीन होने की अनिवार्यता से बहुत बाधाएँ आ रही थी परंतु अब 25 एकड़ जमीन की बाध्यता समाप्त कर दी गयी है। जिसके कारण बहुमंजिला भवनों के निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो गया है। शासकीय महाविद्यालय खुलने से उन गरीब मेधावी बच्चों को राहत मिलेगी जो मेधावी होने के बावजूद निजी महाविद्यालयों द्वारा दान के रूप में पिछले दरवाजे से वसूली जाने वाले भारी-भरकम राशि नहीं भर पाते थे।

वैसे भी देश में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाएँ हैं। भारत में प्रतिवर्ष बाँग्लादेश, अफगानिस्तान, ईरान, अफ्रीका एवं अन्य देशों से लाखों लोग ईलाज करवाने आते हैं। 2017 में अफगानिस्तान से ही 55 हजार 681 लोग भारत में इलाज लेने आये थे। यदि उज्जैन में यह चिकित्सा महाविद्यालय खुलता है तो शहर के विकास में भी एक ‘मील का पत्थर’ साबित होगा। आसपास के लोगों को रोजगार, बाहरी नागरिकों के आगमन से बहुत सारे रोजगार के अवसर सृजित होंगे साथ ही स्थानीय व्यापार-व्यवसाय में भी वृद्धि होगी।

मुख्यमंत्री जी हम यह गुजारिश करते हैं कि खुलने वाला चिकित्सा महाविद्यालय पूर्ण शासकीय हो, ऐसा ना हो की इसमें राजनेताओं की या अप्रत्यक्ष रूप से अधिकारियों की भागीदारी हो, यदि ऐसा हुआ तो उज्जैन के निवासी फिर शोषण और दादागिरी के शिकार होंगे, साथ ही गरीबों के बच्चों को भी लाभ नहीं मिल सकेगा।

साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि चिकित्सा महाविद्यालय में अच्छी विद्धता के शिक्षक हो जिन्हें निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के शिक्षकों से अच्छा वेतन और सुविधाएँ प्राप्त हो। चिकित्सा महाविद्यालय खोलने का लाभ तभी होगा जब योग्य शिक्षक पढ़ायेंगे ताकि महाविद्यालय से निकलने वाले चिकित्सक पढ़ायी के साथ नये-नये शोध भी करें और उज्जयिनी का नाम गौरवान्वित करें। सिर्फ डिग्री लेना ही लक्ष्य ना होकर देश को कुछ नया देने का जज्बा भी हो।

मैं विशेष रूप से वर्तमान सांसद अनिल फिरोजिया जी के प्रयासों को भी रेखांकित करना चाहूँगा जो सतत एक वर्ष से इसके लिये प्रयत्नशील थे। इसके पूर्व दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में 1995 में भी भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राम साँखला भी उज्जैन के लिये चिकित्सा महाविद्यालय की माँग कर चुके हैं। आभार शिवराज जी।

– अर्जुनसिंह चंदेल

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