तालिबान की इस भाषा से साफ है कि वह पाकिस्तान की बोली बोल रहा है। दरअसल पाकिस्तान यह आरोप लगाता रहा है कि भारत अफगानिस्तान का इस्तेमाल कर हमारे यहां उपद्रव फैलाता है। चीनियों की हत्या पर भी पाकिस्तान ने यही कहा था कि इसमें भारत और अफगानिस्तान का हाथ रहा है। ऐसे में साफ है कि पाकिस्तान की शह पर ही तालिबान ने इस तरह का बयान दिया है। पाकिस्तानी चैनल ‘हम न्यूज’ को दिए इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता ने भारत को लेकर कहा, ‘हम कह चुके हैं कि हम किसी भी देश या समूह को अफगानिस्तान की जमीन का किसी अन्य के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने देंगे। यह स्पष्ट है।’
शाहीन ने कहा कि भारत ने बहुत से प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। यदि वे इन परियोजनाओं को पूरा करना चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं क्योंकि ये लोगों के लिए हैं। अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार गिरने के बाद तालिबान की ओर से पहली बार भारत को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बात कही गई है। भारत ने बीते कुछ महीनों में तालिबान के कई नेताओं और गुटों से बातचीत के चैनल खोले हैं, लेकिन अब तक भारत ने काबुल में उसकी सत्ता को मान्यता देने का फैसला नहीं लिया है। इसके अलावा मंगलवार को भारत सरकार ने काबुल से अपने राजदूत और दूतावास से अन्य सभी स्टाफ को भी वापस बुलाने का ऐलान किया है।
तालिबानी प्रवक्ता ने कहा, ‘यदि कोई अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों अथवा किसी सैन्य मकसद के लिए करना चाहता है तो फिर हम ऐसा नहीं करने देंगे।’ हाल ही में भारत ने अफगानिस्तान के तमाम प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे अपने प्रोफेशनल्स को भी वापस बुलाया है। काबुल में अफगानिस्तान की संसद और सलमा डैम के निर्माण के अलावा भी तमाम प्रोजेक्ट्स में भारत जुड़ा रहा है। भारत ने अफगानिस्तान में 3 अरब डॉलर का खर्च किया है। किसी भी अन्य पड़ोसी देश ने अफगानिस्तान में इतना बड़ा निवेश नहीं किया था।