हम चुप रहेंगे (30 अगस्त 2021)

नब्ज…

सही बीमारी का पता तभी चलता है। जब नब्ज पकड़ में आ जाये। फिर बीमारी का इलाज भी सही होता है। अपने मंद-मुस्कान जी ने इन दिनों नब्ज पकड़ी है। अपने फुलपेंटधारी की। सर्विस बुक वाली नब्ज। जिसे पकड़ते ही फुलपेंटधारी, इस कदर छटपटा गये कि वह अपनी सर्विस बुक ही दबा कर बैठ गये हैं। इधर मंद-मुस्कान जी ने सारे सबूत जमा कर लिये हैं। बस इंतजार है…सर्विस बुक का। मिलते ही जोरदार बम फटना पक्का है। अब देखना यह है कि नब्ज पकड़ में आने के बाद, बम कब फटता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।

शराफत…

शराफत का पता चलता है उसकी/जब वो गुस्से में भरकर बोलता है। शायर नवाज देवबंदी के इस अशआर को पंजाप्रेमी इन दिनों गुनगुना रहे हंै। इशारा, पंजाप्रेमी ग्रामीण मुखिया की तरफ है और घटना स्थल कोठी का है। आगर रोड को लेकर पंजाप्रेमी एकत्रित हुए थे। अपने उम्मीद जी को ज्ञापन देने की जिद पकड़े थे। मगर उम्मीद जी उस दिन शहर से बाहर थे। इसी दौरान पंजाप्रेमी हवाई फायर नेता भी पहुंच गये। उन्होंने आदत के अनुसार टांग अड़ाई और बोल दिया। मेरी बात हो गई है। जैसे ही इसका पता अपने पंजाप्रेमी ग्रामीण मुखिया को चला। तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर था। मेहनत करे हम-और नेतागिरी हवाई फायर। बस फिर क्या था। उन्होंने उस शब्दों में गुस्सा जाहिर किया। जो लिखने योग्य नहीं है। तभी तो पंजाप्रेमी, शराफत का अशआर गुनगुना रहे हैं। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

प्रार्थना…

बाबा महाकाल के दरबार में सेवाएं दे रहे कुछ लोग प्रार्थना कर रहे हैं। हर रोज कि…बाबा हम पर दया करो-रहम करो-कृपा करो। बस…किसी भी तरह से नरों में इंद्र को यहां से हटा दो। ताकि आराम से जीवन-बसर कर सकें। यह चर्चा बाबा के दरबार में सुनाई दे रही है। इसके पीछे कारण, नरों में इंद्र की कार्यशैली है। कानाफूंसी है कि अपने नरो में इंद्र, प्रोटोकॉल में जिस तरह से 2 घंटे पहले ड्यूटी लगा देते हैं। उसके चलते यह सभी परेशान है। वीआईपी का आगमन 4 बजे का होता है और नरों में इंद्र 1 बजे से ड्यूटी लगा देते हैं। इसी कार्यशैली ने प्रार्थना करने पर मजबूर कर दिया है। देखना यह है कि बाबा महाकाल अपने इन भक्तों की प्रार्थना सुनते हंै या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

पर्चा…

अपनी दाल-बिस्किट वाली तहसील में इंदौरी वर्दी ने दबिश डाली थी। अपने पंजाप्रेमी पहलवान के साहबजादे को पकडऩे के लिए। खैर, साहबजादे तो मिलना ही नहीं थे। मगर वर्दी ने पूरे शहर में जगह-जगह वांटेड के पर्चे चिपका दिये और वापस लौट गई। इधर वर्दी के जाते ही, पहलवान के समर्थक बाजार में निकले। जिन्होंने जहां-जहां पर्चे चिपके थे। वहां से निकालकर नाली में बहा दिये। यह नजारा कमलप्रेमियों और अधिकारियों ने भी देखा। मगर कोई कुछ नहीं बोला। सब चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

मेहरबान…

अपने चक्रम के मुखिया, इन दिनों एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी पर अत्यधिक मेहरबान हैं। इस कर्मचारी की एक मात्र योग्यता यह है कि…वह महिला है। इसके अलावा बौद्धिक स्तर पर इनकी कोई योग्यता नहीं है। इसके बाद भी चक्रम के मुखिया, हर विषय पर इनको बुलाकर, विशेष रूप से सलाह लेते हंै। अगर महिला कर्मचारी ने अपनी सहमति प्रदान कर दी, तो फिर वह फाइल तेजी से दौड़ती है। चक्रम के मुखिया की इस हरकत से विषय-विशेषज्ञ शिक्षकगण हैरान-परेशान हंै। मगर सभी चुप हैं। तो हम भी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

विदाई…

हमारे कालम के एक पात्र मंगलवार के दिन हमेशा के लिए विदाई ले रहे हैं। यह वही पात्र है, जिन्होंने कोरोना काल में हमको कई बार मौका दिया। उनके बारे में लिखने के लिए। मगर, आज हम उनका इस कालम में आखिरी बार जिक्र कर रहे हैं। इसके बाद उनका जिक्र करना असंभव होगा। क्योंकि वह मंगलवार को सरकारी सेवा से मुक्त हो रहे हंै। जो मुक्त हो रहे हैं, उनको हम अपने नीली फिल्मों के शौकीन के नाम से जानते हैं। उनकी जिंदगी की दूसरी पारी के लिए, हम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

वेतन…

बाबा के दरबार में पदस्थ एक कर्मचारी का वेतन बढ़ाने की तैयारी हो रही है। प्रस्ताव मंदिर समिति तक पहुंच गया है। बस…कानूनी सलाह का इंतजार है। हालांकि बाबा के दरबार में 330 कर्मचारी हैं। लेकिन वेतन केवल 1 कर्मचारी का ही बढ़ाये जाने की तैयारी है। ताज्जुब की बात यह है कि जिस कर्मचारी पर यह मेहरबानी हो रही है। वह स्टाम्प-कांड के आरोपी हैं। श्रीकृष्ण की जन्मस्थली भी जा चुके हैं। स्टाम्प-कांड अभी भी विचाराधीन है। इसके बाद भी इस कर्मचारी का वेतन बढ़ाये जाने की पूरी तैयारी हो गई है। बाबा के दरबार में तो यही चर्चा सुनाई दे रही है। देखना यह है कि आरोपी पर मंदिर प्रशासन कब मेहरबानी करता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

कूट-रचना…

शासकीय दस्तावेजों में कूट-रचना करना, बेहद गंभीर अपराध माना जाता है। दस्तावेजों में ऐसा करने पर ना केवल नौकरी जा सकती है, बल्कि श्रीकृष्ण की जन्मस्थली तक जाना पड़ सकता है। ऐसे संकेत इन दिनों राजधानी से मिल रहे हैं। इन संकेतों का संबंध बाबा महाकाल की नगरी से जुड़ा है। राजधानी के भरोसेमंद सूत्र दावा कर रहे है कि…कूट रचना करने वाले दोनों अधिकारी यहीं पदस्थ है। जिनमें से एक अधिकारी को अभी हाल ही में शासन द्वारा निलंबित किया गया है। जबकि दूसरे अधिकारी अपने फुलपेंटधारी है। दोनों ने मिलकर शासकीय दस्तावेजों में खुद को बचाने के लिए हेराफेरी की है। जो कि साबित हो चुकी है। वह भी मय सबूत दस्तावेजों के आधार पर। ऐसी कूट-रचनाओं का आंकड़ा आधा दर्जन के करीब बताया जा रहा है। अब देखना यह है कि राजधानी से इस मामले में क्या कड़ी कार्रवाई होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।

मुसीबत…

15 अगस्त को अस्तित्व में आई दीनदयाल अंत्योदय समिति, मुसीबत बन गई है। खासकर कमलप्रेमियों के लिए। मृतक व आरोपी के नाम पहले ही इसमें शामिल है। अब शासकीय कर्मचारी का नाम भी समिति में शामिल होने की चर्चा कमलप्रेमी कर रहे है। इधर तराना जनपद में तो विवाद हो गया है। खुलेआम सबके सामने। उन शब्दों का प्रयोग हुआ। जिसे हम लिख नहीं सकते हैं। इसका वीडियो भी वायरल हुआ है। इसके बाद कमलप्रेमी इस समिति को मुसीबत का नाम देकर अपना पल्ला झाड़ रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। हम तो बस आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।

-प्रशांत अंजाना

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